बच्‍चे व युवा ही नहीं बुजुर्ग भी हो रहे मोबाइल के लती, आप भी तो इसके आदी नहीं, अगर हां तो संभल जाएं

बच्‍चे व युवा ही नहीं बुजुर्ग भी हो रहे मोबाइल के लती, आप भी तो इसके आदी नहीं, अगर हां तो संभल जाएं

बच्‍चे व युवा ही नहीं बुजुर्ग भी हो रहे मोबाइल के लती, आप भी तो इसके आदी नहीं, अगर हां तो संभल जाएं


 


प्रयागराज
सोमराज वर्मा

देश-दुनिया की खबरें, रोचक जानकारी, मनोरंजन या फिर खेल दुनिया में क्‍या हो रहा है, घर बैठे मोबाइल पर देख सकते हैं। मोबाइल का प्रयोग करना गलत नहीं है लेकिन इसके आदी मत बनें। क्‍योंकि यह आपको अस्‍पताल तक पहुंचा सकता है। क्‍योंकि प्रयागराज में एक बुजुर्ग ने चार दिनों से खाना-पीना छोड़ दिया, हर समय मोबाइल के स्‍क्रीन पर ही उनकी निगाह रहती है। घरवाले उनकी हालत देख मोबाइल से मना कर दिए। अब वे अस्‍पताल के आइसीयू में भर्ती हैं। मनोचिकित्‍सक उनका इलाज कर रहे हैं।

कहीं आप भी ताे मोबाइल के लती नहीं हैं... :


 मोबाइल फोन की लत अभी तक आप बच्चों में ही सुनते और देखते आए होंगे। उनके अभिभावक इसलिए परेशान रहते हैं कि उनकी इस लत को कैसे छुड़ाएं। अस्‍पताल के चिकित्‍सकों से लेकर मनोविज्ञानी तक समस्‍या का हल निकालने के लिए दौड़ भी लगाते हैं। सोचिए अगर इसी मोबाइल के लती अगर बुजुर्ग हो जाएं तो परिवार में क्‍या बीतती होगी। कहीं आप को भी मोबाइल अधिक देखने का नशा तो नहीं है, अगर हां ताे तत्‍काल इस लत को दूर करें।

एजी आफिस के रिटायर्ड कर्मचारी का मनोचिकित्‍सक कर रहे इलाज : मोबाइल के लती तमाम बुजुर्ग भी हैं। ऐसे ही एक हैं प्रयागराज के 72 वर्षीय व्‍यक्ति।


 मोबाइल की लत ने एजी आफिस के सेवानिृत्‍त कर्मचारी को अस्पताल के आइसीयू में पहुंचा दिया। स्वजनों ने उन्हें भर्ती कराया है। कई दिनों से कुछ खा-पी भी नहीं रहे, नींद भी नहीं आ रही है। मन में काफी उलझन और हरकतें बच्चों जैसी है। उन्हें चाहिए तो सिर्फ मोबाइल फोन। अस्पताल में अब उनका इलाज मनोचिकित्सक कर रहे हैं।

माेबाइल के लत इतनी कि खाना भी नहीं खा रहे : शहर के प्रीतमनगर निवासी इस बुजुर्ग के स्वजन लेकर झलवा स्थित एक प्राइवेट अस्पताल पहुंचे। डाक्टर से पूरा विवरण बताया तो सभी चौंक पड़े। पता चला कि बुजुर्ग को मोबाइल फोन की अत्यधिक लत है।


 पहले भी फोन पर यू-ट्यूब या फेसबुक आदि अधिकाधिक समय देखते रहते थे। इधर कुछ दिनों से परिवार उनसे इसलिए परेशान हो गया क्योंकि बुजुर्ग ने मोबाइल के चक्कर में खाना पीना ही छोड़ दिया। रात भर फोन दी देखते, दिन में भी फोन की स्क्रीन से उनकी नजरें नहीं हटती। मना करने पर बिगड़ जाते। आंख से पानी गिरने लगा, आंखें लाल हो गईं लेकिन उनकी भूख प्यास पर भी मोबाइल फोन हावी रहा। डाक्टरों ने हालत देखा तो उन्हें आइसीयू में भर्ती करना पड़ा।

क्‍या कहते हैं काल्विन अस्‍पताल के मनोचिकित्‍सक : बुजुर्ग का इलाज कर रहे काल्विन अस्पताल के मनोचिकित्सक डा. राकेश पासवान ने बताया कि बुजुर्ग की हालत अभी ठीक नहीं है। वह लगातार मोबाइल फोन ही मांग रहे हैं। इलाज शुरू किया गया है। एक-दो दिनों बाद काउंसिलिंग कर उन्हें स्थिर किया जाएगा। इसके बाद का इलाज उनकी स्थिति पर निर्भर करेगा।

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