कोरोना संक्रमण काल के दौरान देश में आर्थिक संकट का दौर

कोरोना संक्रमण काल के दौरान देश में आर्थिक संकट का दौर

—इन दिनों कोरोना वायरस को लेकर सामान्य लोगों के अन्दर तरह-तरह के मिथक भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। जहां पर कुछ लोगों का कहना है कि गर्म मौसम के कारण या भीषण गर्मी से कोरोना सतह पर ज्यादा देर तक टिक नहीं सकता या जीवित नहीं रह सकता है। तो वही कुछ लोगों

 —इन दिनों कोरोना वायरस को लेकर सामान्य लोगों के अन्दर तरह-तरह के मिथक भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। जहां पर कुछ लोगों का कहना है कि गर्म मौसम के कारण या भीषण गर्मी से कोरोना सतह पर ज्यादा देर तक टिक नहीं सकता या जीवित नहीं रह सकता है। तो वही कुछ लोगों के अनुसार आने वाले बारिश के मौसम (मानसून)में अत्यधिक सतर्क रहने की नितान्त आवश्यकता है।

सिर्फ़ इतना ही नहीं, बल्कि ये अनुमान लगाया जा रहा है कि आज जहां कोरोना वायरस है तो कल वही कोई और ख़तरनाक वायरस आ सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि बैक्टीरिया या वायरस से हम कभी दूर नहीं हो सकते, इसलिए हमें आवश्यक है एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर चलने की। फ़िलहाल संकट की इस घड़ी में लॉकडाउन के चलते  लोगों ने जिस तरह से स्वच्छता पूर्वक भौतिक दूरियां और सामाजिक दूरियां बनाकर चलने का ख़्याल रखा है, वह काबिल-ए-तारीफ़ है। वास्तव में कोरोना वायरस संकट के कारण जब देश में पूरा लॉकडाउन रहा तब पर्यावरण में कई तरह के सुखद अहसास को अनुभव किया गया।इस लॉकडाउन के दौरान प्रकृति एक तरह से पुनर्जीवित हो उठी है,

तो क्यों न प्रकृति से ही सीख लेते हुए हम भी मौजूदा समय का सदुपयोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में अपने को जुटाए , ताकि लॉकडाउन के बाद भी जब हम घर से कहीं बाहर निकले तो किसी भी तरह के वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने के लिए हमारा शरीर पूरी तरह से तैयार हो सकें। इसलिए यह अवश्य ध्यान रखें कि इसके लिए शारीरिक व मानसिक रूप से बिल्कुल स्वस्थ रहना होगा, एवं संक्रमण से बचने के लिए नियमित सफाई अभियान भी जारी रखना पड़ेगा। हम जानते है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन बार-बार इस बात को लेकर दोहरा रहा है कि सम्भवतः कोविड-19 की दवा या वैक्सीन कभी न मिले, तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

हम तो सिर्फ़ इस उम्मीद व विश्वास के साथ ज़रूर लगे हैं कि लोगों से एक निर्धारित भौतिक दूरी बनाए रखेंगे तथा साथ ही अन्य सभी अनिवार्य सावधानियां बरतने का प्रयास करेंगे, जो सचमुच में एक कड़े इम्तिहान की घड़ी है। चूकिं कोरोना वायरस के मामलों में तमाम कोशिशों व सावधानियों के बाद भी हम हर दिन इसमें वृद्धि ही देख रहे हैं। यहां तक कि संक्रमण के हर नये मामले बढ़ते जा रहे हैं जबकि इससे लड़ना सरकार और जनता दोनों की संयुक्त ज़िम्मेदारी है। जब तक कोरोना वायरस है तो, यह चिन्ता और चुनौती हमारा साथ कभी छोड़ने वाली नहीं है।सबसे बड़ी चिन्ता की बात तो यह है कि अब देश लॉकडाउन में रियायत देने के लिए बाध्य है, क्योंकि देश को राजस्व की अत्यन्त ज़रूरत है, तथा उसके ऊपर कारोबार जगत का दबाव डाला जा रहा है।

भला इससे बुरा वक्त कोई और क्या हो सकता है? इसलिए कि कोरोना वायरस का संकट एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है कि इसके हस्तक्षेप ने पूरी अर्थव्यवस्था की निरंतरता और बुनियाद को भंग कर दिया है। ऐसे में, अगर लॉकडाउन को बढ़ाया जाता है, तो यह तय है कि अर्थवयवस्था और ज्यादा संकुचित होगी।बेशक मौजूदा मुश्किल समय में सरकार आर्थिक मंदी का शिकार बनकर सामना कर रही है, जबकि मंदी की तमाम चेतावनियों के बावजूद लॉकडाउन को अभी पूरी तरह से नहीं खोला जा सकता। कोरोना संकट का यह काल केवल आर्थिक नुकसान तक ही सीमित नहीं है ,बल्कि इसके साथ-साथ अनेक उद्योग-धंधोंऔर रोजगार का अस्तित्व भी खत्म होता दिखाई दे रहा है।

आज हालात ऐसी है कि कोरोना के रूप में हम एक अभूतपूर्व संकट से गुजर रहे हैं एवं हर जगह लोगों को परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है।वैसे भी देखा जाय तो कोरोना संकट में सरकार के पास विकल्प बहुत सीमित हैं। कोरोना संकट के कारण देश में आई आर्थिक मंदी को संभालने हेतु चुनौतियों से निपटने के लिए, और रोजगार पर मंडराते के बादल को बढ़ने से रोकने के लिए परस्पर कम सम्पर्क वाली जीवन शैली अपनाकर सेवा भाव से काम करने की कोशिश एवं आवश्यकता पर विशेष बल देना  है। क्योंकि यह समयबहुत संभलकर और नियोजित तरीक़े से आगे बढ़ने का समय है, लेकिन ध्यान रहे, हम किसी बीमारी या परेशानी का माध्यम कतई न बनें और जहां कहीं भी हमें कोई कमी महसूस हो, वहां एक-दूसरे की मदद करें, तभी कोरोना के समय में हमारी सार्थकता सिद्ध होगी।


Krishna Deo Mishra (Principal)

चीन की दीवार भारत और नेपाल के बीच दोस्ती में क्यों आ रही है?

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

सुप्रीम कोर्ट ने दी गौतम नवलखा को जमानत- '4 साल में भी आरोप तय नहीं'। सुप्रीम कोर्ट ने दी गौतम नवलखा को जमानत- '4 साल में भी आरोप तय नहीं'।
स्वंतत्र प्रभात ब्यूरो।     सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत दे...

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel