सबसे ज्यादा अरबपति फिर भी आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे! 

सबसे ज्यादा अरबपति फिर भी आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे! 

इसे दुर्भाग्य कहा जा सकता है या हमारे नीति निर्माताओं की गलतियों का नतीजा कि दुनिया के अरबपतियों की तादाद में वृद्धि दर में भारतीय सबसे आगे हैं लेकिन फिर भी  करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन से अपनी आधी-अधूरी भूख मिटाने की मजबूरी है। संयुक्त राष्ट्र की 2024 की रिपोर्ट में 23.4 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने के लिए मजबूर बताया गया है आज किसी भी व्यक्ति की आय राष्ट्रीय की तुलना में यदि 60 फ़ीसदी कम है तो उसे व्यक्ति को गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है हालांकि भारत सरकार का दवाई की देश में 85 परसेंट गरीबी घट गई है और अब सिर्फ पांच पीस दी लोग ही गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं लेकिन सवाल उठता है कि यदि 8595 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से बाहर आ गए हैं तो मुफ्त अनाज पाने वाले 81 करोड लोग कौन है? 
 
दुनिया के सभी देशों में जिस तरीके से अरबपतियों की संख्या बढ़ रही है, उसमें भारत का स्थान शीर्ष पर है। यूबीएस की एक रिपोर्ट हाल ही में प्रकाशित हुई है। उसके अनुसार चीन में अरबपतियों की संपत्ति सालाना 20 फीसदी की दर से बढ़ी है। पिछले 5 वर्षों में अब इसमें पांच फीसदी की कमी आ गई है। 2020 से 2024 के बीच में अमेरिका के अरबपतियों की संपत्ति 58.5 फीसदी की दर से बढ़ी है। वहीं भारत में अरबपतियों की संख्या 263 फीसदी की दर से बढ़ रही है। इसको लेकर सारी दुनिया के देशों में आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। भारत में पिछले 10 सालों में अरबपतियों की संपत्ति तीन गुना 77 लाख करोड़ से बढ़कर 203 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। पिछले 10 साल में भारतीय अरबपतियों की संख्या 83 से बढ़कर 185 पर पहुंच गई है। भारत में अरबपतियों की संपत्ति ओसतन पिछले वर्षों में 263 फीसदी की दर से बढ़ी है। जो दुनिया के देशों में अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
 
भारत के शेयर बाजार की इसमें सबसे बड़ी भूमिका है। 2017 में क्रेडिट सुइस की एक रिपोर्ट में कहा गया था, भारत में बिजनेस स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड जो शीर्ष 500 कंपनियां हैं, उनकी संपत्तियों में बड़ी तेजी के साथ वृद्धि हुई है। भारतीय शेयर बाजार ने पिछले वर्षों में जिस तरह की ऊंचाइयां छुई है, उसके कारण सारा विश्व हतप्रभ है। पिछले 5 वर्षों में चीन में अरबपतियों की संख्या लगभग 16 फीसदी घट गई है। चीन ने अपने गरीब और मध्यम वर्ग के नागरिकों की हालात को बेहतर बनाने के लिए अपनी नीतियों में परिवर्तन किया। जिसके सुखद परिणाम चीन में देखने को मिल रहे हैं। अमेरिका के अरबपति भी भारतीय अरबपतियों का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में अमेरिका के अरबपतियों की संपत्ति 58.5 फीसदी बढ़ी है।
 
यूरोप के अन्य देशों में भी अमीरी बढ़ने की रफ्तार घटी है। इसी बीच भारत के अरबपतियों की संपत्ति में लगातार वृद्धि हो रही है। दुनिया के सभी देशों के अरबपतियों की संपत्ति 2015 में 533.5 लाख करोड़ थी। जो 2024 में बढ़कर 1185 लाख करोड रुपए पर पहुंच गई है। दुनिया के 185 अरबपतियों की संपत्ति के मामले में भारत के 102 उद्योगपति हैं। जिनकी संपत्ति पर तेजी के साथ वृद्धि हुई है। चीन के सिर्फ पांच हैं। पूंजीवाद के इस युग में भारत में सबसे ज्यादा संपत्ति और आय अरबपतियों की बढ़ रही है। इन्हें भारत में सबसे कम टैक्स देना होता है। मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग की आय कम होती जा रही है। पिछले 10 वर्षों में टैक्स और शुल्क मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग पर बढ़ाए गए हैं। जिसके कारण असमानता, सामाजिक व्यवस्था में भारत की बढ़ती जा रही है।
 
पिछले 10 वर्षों में भारत में अमीरी और गरीबी के बीच में खाई लगातार बढ़ती चली जा रही है। भारत की पहचान एक समाजवादी देश के रूप में थी। यहां पर पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों मिलकर काम कर रहे थे। पिछले 10 वर्षों में जिस तरीके से भारत में पूंजीवाद बढ़ रहा है, उसने भारतीय अर्थव्यवस्था में पूंजीवाद को असमान तरीके से बढ़ावा दिया है। पूंजीपतियों की कमाई बड़ी तेजी के साथ बढ़ रही है। उनकी संपत्ति भी बड़ी तेजी के साथ बढ़ रही है। इसकी तुलना में गरीब और मध्यम वर्ग की आय, खर्च की तुलना में लगातार कम हो रही है। जो भारत की सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है।
 
भारत इन दिनों महंगाई और बेरोजगारी की समस्या से गुजर रहा है। 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देना पड़ रहा है। मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग पर कर्ज लगातार बढता जा रहा है। निम्न और मध्यम वर्ग की बचत लगातार घटती चली जा रही है। उनके ऊपर कर्ज भी बढ़ता चला जा रहा है। इसके विपरीत सारा कारोबार सरकारी नीतियों के कारण कॉपोर्रेट कंपनियों के पास पहुंच रहा है। फलस्वरुप अर्थव्यवस्था में बड़ा असंतुलन पैदा हो गया है।
 
सरकार जो नीतियां बना रही है, उससे बड़े-बड़े पूंजीपतियों को सीधा लाभ पहुंच रहा है। 2014 के बाद से कॉरपोरेट सेक्टर का हर क्षेत्र में बड़ी तेजी के साथ एकाधिकार होता चला जा रहा है। जिसके कारण बहुत सारे लोग शेयर बाजार और अन्य माध्यमों में पूंजी निवेश कर आगे बढ़ रहे हैं। सवाल उठता है कि आम भारतीय के जीवन को गरीबी और भूख से कब और कैसे निजात मिलेगी? इस दिशा में सरकारों द्वारा किए जा रहे प्रयास अभी भी नाकाफी है और देश में विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार के कैंसर की जद में होने के कारण पात्रों को योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। सरकार को इस ओर ध्यान देने की महती आवश्यकता है।
 
मनोज कुमार अग्रवाल 
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं) 

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