सरकारी विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था में नहीं हो पा रहा है सुधार

सरकारी विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था में नहीं हो पा रहा है सुधार

जागरूक जनों में बना चर्चा का विषय


स्वतंत्र प्रभात-

रामनगर बाराबंकी। जहां एक तरफ देश व प्रदेश की सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर है।वही जिम्मेदार लोग उनके वादों को हवा हवाई करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है।इस समय शिक्षा का स्तर बिल्कुल गिरता नजर आ रहा है।संसाधन होते हुए भी शिक्षा का स्तर इतना अधिक गिर गया है कि इसमें सुधार होना बहुत ही मुश्किल है। जानकारों के मुताबिक इस समय क्षेत्र में चाहे वह सरकारी हो या प्राइवेट विद्यालय इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का विकास बिल्कुल नजर नहीं आ रहा है।आए दिन शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है ।जबकि इस समय इन विद्यालयों में पढ़े लिखे योग्य शिक्षक बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। शासन प्रशासन भी चाहता है कि बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिले जिससे उनका विकास हो सके। लेकिन सब कुछ सुविधा होते हुए भी जिस उद्देश्य से विद्यालय में बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं ,उनकी पढ़ाई सुचार रूप से नहीं हो पाती है।जबकि सरकारी स्कूल में बच्चों को भोजन,

किताबें ,बस्ता ,जूता, मोजा, ड्रेस फ्री मिलती है ।फिर भी इन विद्यालयों के बच्चे आज वही पर हैं। आज तक इनमें कोई बदलाव नहीं देखा जा रहा है ।जबकि इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक प्रशिक्षित हैं। फिर भी बच्चों की पढ़ाई अच्छे ढंग से नहीं हो पा रही है ।इसका क्या कारण है वहीं पर प्राइवेट स्कूलों में कम वेतन पर शिक्षक गण बच्चों को मन लगाकर पढ़ाते हैं और समय पर विद्यालय भी पहुंच जाते हैं। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थी आगे चलकर प्रतियोगिताओं में भाग लेकर सफल भी होते हैं और बोर्ड की परीक्षाओं में ज्यादा संख्या में इन्हीं विद्यालयों के बच्चे अच्छे नंबरों से पास भी होते हैं। इन्हीं विद्यालयों के बच्चे आगे चलकर आईएस, पीसीएस, इंजीनियर, डॉक्टर ,न्यायधीशशि जैसे पदों पर कार्यरत हैं जबकि इन विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक कहीं भी प्रशिक्षण नहीं प्राप्त किए हैं।फिर भी वह लोग लगन से बच्चों को पढ़ाते हैं इसलिए इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे आगे चलकर अपने माता पिता गांव देश का नाम रोशन करते हैं।जब मांटेसरी स्तर के विद्यालय नहीं थे तो वह समय सरकारी स्कूलों में संसाधन के अभाव में भी गुरु जन अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त  करवाते थे उस समय इन विद्यालयों में बच्चे गुरुओं का सम्मान भी करते थे।और समय से विद्यालय पहुंचकर सारे नियमों का पालन करते हुए मन लगाकर पढ़ाई करते थे।उस समय भी बहुत से बच्चे पढ़कर उच्च कोर्ट की नौकरी करके अपने देश का नाम रोशन करते थे।लेकिन वह समय ऐसा था की इन विद्यालयों में पढ़ाने वाले अध्यापक विद्यालय पैदल चलकर पढ़ाने जाते थे उन्हें कभी थकान नहीं महसूस होती थी वह 5 घंटे में बच्चों को इस योग बना देते थे की बच्चा कहीं भी नौकरी करने जाए उसे तत्काल नौकरी मिल जाती थी

वह समय ऐसा था कि ज्यादा से ज्यादा लोग अपने घरों में खेती बाड़ी का काम बहुत सुंदर ढंग से करते थे।गुरुजनों का बहुत ही सम्मान होता था आज सारी सुविधा होते हुए भी सरकारी स्कूलों की दशा दिनोंदिन क्यों बिगड़ती जा रही है।जबकि इस समय योग्य शिक्षक हैं फिर भी पढ़ाई का स्तर गिरने का क्या कारण है, यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है, स्थानीय लोगों का कहना है,कि अध्यापक गण समय से विद्यालय नहीं पहुंच पाते हैं जबकि इनके पास दोपहिया से लेकर चार पहिया तक वाहन है किसी भी अध्यापक को पैदल या साइकिल से स्कूल नहीं आना है फिर भी यह लोग लेट लपेट विद्यालय पहुंचते हैं उसके बाद थोड़ी देर आराम फरमाते हैं इसीलिए बच्चों की पढ़ाई दिनोंदिन बाधित होती जा रही है इस समय विद्यालयों में चेकिंग चल रही है इस कारण अध्यापक गण समय से विद्यालय पहुंच रहे हैं लेकिन पढ़ाई में बिल्कुल सुधार नहीं हुआ है इससे अच्छे मांटेसरी विद्यालय के अध्यापक हैं ना तो उन्हें अच्छा वेतन मिलता है और ना ही कोई सुविधा फिर भी वह अपने दायित्वों का निर्वाह करते रहते हैं इसलिए हम लोग व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक भी अपने बच्चों का प्रवेश मांटेसरी स्कूल में कराते हैं। क्योंकि इन विद्यालयों में पढ़ाई अच्छी होती है हमारे यहां के बहुत से बच्चे मांटेसरी स्कूल के पड़े हैं जो अच्छे पदों पर नौकरी कर रहे हैं।

शिक्षा के मंदिर मे बैठे शिक्षक शिक्षिकाएं अपनी कमियां छुपाने के लिए देश के चौथे स्तंभ पर भी आरोप लगाने मे नही हिचकिचाते

सरकारी विद्यालयों में अगर पत्रकार पहुँच जाए तो शिक्षा के मंदिर में बैठे कई शिक्षक शिक्षिकाएं अपनी कमियां छुपाने के लिए देश का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार से भी अभद्रता करने में नहीं चूकते हैं।और पैसा मांगने जैसा आरोप लगाते हुए अपने उच्च अधिकारियों से झूठ बोलने में जरा सा भी नही हिचकिचाते है।समय से शिक्षकों का स्कूल ना आना और छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना जागरूक जनों में चर्चा का विषय बना हुआ है।जहां एक तरफ देश और प्रदेश की सरकार छात्र-छात्राओं के भविष्य को लेकर गंभीर है वहीं दूसरी तरफ कुछ  शिक्षक शिक्षिकाएं उनकी मंशा पर पानी फेरने का काम बखूबी निभा रहे हैं। ऐसे में शिक्षा व्यवस्था अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है।

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