नटखट तितली

नटखट तितली

Swatantra prabhat:

रंग रंग के पंखों वाली,

तितली हमें लुभाती हैं

फूल फूल पर कली कली पर,

अक्सर ये मड़राती है

 

कभी इधर तो कभी उधर ,

बार बार उड़ जाती है

पर फड़का के आती जाती,

सबके मन को ये भा जाती

 

सतरंगी पंखों से तितली,

दूर देश हो आती है।

कच्चे रंगों से रंग कर,

ये पंख कहां से लाती है

 

जहां-जहां भी फूल खिले,

वहां वहां ये जाती है

हर मौसम में आती जाती,

बारिश में छिप जाती है

 

खुशबू की है सखी सहेली,

बहारों के संग खेली है

भंवरों के संग आना जाना,

तितली बड़ी निराली है

 

लेखिका अंजली पांडेय

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