kavita
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Read More... संजीव -नी।
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By Office Desk Lucknow
चलो थोडा मुस्कुराते है।।चलो थोडा मुस्कुराते है,इस दवा को आजमाते है.कठिनाई में खिलखिलाते है,मुसीबत में भी मुस्कुराते हैं।जिसकी आदत है मुस्कुराना,वो ही ज़माने को हँसातें है।निराशा,विषाद में क्या रखा है मित्रो,उदासी को...
Read More... चलो थोडा मुस्कुराते है
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By Office Desk Lucknow
संजीव -नी। चलो थोडा मुस्कुराते है।। चलो थोडा मुस्कुराते है इस दवा को आजमाते है. कठिनाई में खिलखिलाते है, मुसीबत में भी मुस्कुराते हैं। जिसकी आदत है मुस्कुराना, वो ही ज़माने को झुकाते है। मायुसी विषाद की जड़ होती है,...
Read More... हे ईश्वर जमीं नही दी, आसमान तो दे
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By Office Desk Lucknow
हे ईश्वर जमीं नही दी,आसमान तो दे, थोड़ा जीने का अदद सामान तो दे। बहुत अभिलाषा,लिप्सा,आकांक्षा नहीं, जीने का कोई तरीका आसान तो दे । रोज खाली हाथ लौटता हूं घर अपने, इंसानियत का भला करने का इमान तो दे।...
Read More... कत्ल हुआ इस तरह हमारा किश्तों में
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By Office Desk Lucknow
कत्ल हुआ इस तरह हमारा किश्तों में ,कभी खँजर बदल गये कभी कातिल ।शामिल था मै किश्तों में तेरी जिंदगी में,कभी मुझे ख़ारिज किया कभी शामिल।बड़े दिनों बाद रौशनी लौटी है शहर में,आज पकड़ा गया...
Read More... संजीव-नी। कोई कविता नहीं लिखता
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By Office Desk Lucknow
संजीव-नी।कोई कविता नहीं लिखता सड़क के लिए?सड़क बेचारीकभी सुनसान, कभी बियाबानकभी पथरीले, कभी कटीले,भीड़ के हादसे को सहते,मशीनी हाथियों का सैलाबदर्द सहती, गुमसुमचलती जाती है,दर्द की अभिव्यक्तिकिससे कहें, किसकी सुने,...
Read More... नासमझ इश्क
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By Office Desk Lucknow
हम ढूढ़ते रह गएउनको हर निग़ाह में,पर वो तो खो ही गएओर किसी की बाहों में। हम ने तो हमेशा उनसेइक़रार ही किया थापर वो ही हर बारइन्कार ही करते रह गए। हमने तो...
Read More... मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक छत भी चाहिए
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By Swatantra Prabhat Desk
मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक छत भी चाहिए, जहां बैठकर मैं शहर की खूबसूरती को निहार सकूं l मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक खिड़की भी चाहिए, जहां बैठकर मैं बाहर के नजारे झांक सकूं l मुझे सिर्फ एक...
Read More... क्यूँ ?
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By Swatantra Prabhat Desk
क्यू तुम मेरे व्यक्तित्व पर अपना व्यक्तित्व थोपते हो ? क्यू मेरे इंन्द धनुषी स्वपनो को अपनी इच्छाओं के काले बादल से ढकते हो क्यूं मेरे हिरन रूपी मन के पैरों में अपने आदेशों की बेडियाँ जकड़ते हो? क्यूँ क्यू...
Read More... नटखट तितली
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By Swatantra Prabhat UP
Swatantra prabhat: रंग रंग के पंखों वाली, तितली हमें लुभाती हैं फूल फूल पर कली कली पर, अक्सर ये मड़राती है कभी इधर तो कभी उधर , बार बार उड़ जाती है पर फड़का के आती जाती, सबके मन को...
Read More... अतिरिक्त
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By Swatantra Prabhat UP
तुम चेहरे की मुस्कुराहट पर मत जाओ बहुत गम होते हैं सीने में दफन। तुम झूठी वफाओं में मत आओ बहुत ख़्वाब होते हैं आधे अधूरे से। तुम इन सिमटी हुई निगाहों पर मत जाओ बहुत कुछ बिखरा हुआ होता...
Read More... हास्य व्यंग कवि ने कविता के माध्यम से किया किसान सम्मेलन की शुरुआत
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By Swatantra Prabhat UP
उत्तर प्रदेश किसान सभा के जिला सम्मेलन के अवसर पर एक कवि सम्मेलन ग्राम डेेढुवा में हुआ. जिसमें हास्य-व्यंग्य के कवि जितेंद्र श्रीवास्तव "जित्तू भैयाने अपना काव्य पाठ करते हुए पढ़ा..
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