kavita
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव -नी।

संजीव -नी। चलो थोडा मुस्कुराते है।।चलो थोडा मुस्कुराते है,इस दवा को आजमाते है.कठिनाई में खिलखिलाते है,मुसीबत में भी मुस्कुराते हैं।जिसकी आदत है मुस्कुराना,वो ही ज़माने को हँसातें है।निराशा,विषाद में क्या रखा है मित्रो,उदासी को...
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चलो थोडा मुस्कुराते है

चलो थोडा मुस्कुराते है संजीव -नी। चलो थोडा मुस्कुराते है।।    चलो थोडा मुस्कुराते है इस दवा को आजमाते है.    कठिनाई में खिलखिलाते है, मुसीबत में भी मुस्कुराते हैं।    जिसकी आदत है मुस्कुराना, वो ही ज़माने को झुकाते है।    मायुसी विषाद की जड़ होती है,...
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हे ईश्वर जमीं नही दी, आसमान तो दे

हे ईश्वर जमीं नही दी, आसमान तो दे हे ईश्वर जमीं नही दी,आसमान तो दे, थोड़ा जीने का अदद सामान तो दे।    बहुत अभिलाषा,लिप्सा,आकांक्षा नहीं,  जीने का कोई तरीका आसान तो दे ।    रोज खाली हाथ लौटता हूं घर अपने,  इंसानियत का भला करने का इमान तो दे।...
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कत्ल हुआ इस तरह हमारा किश्तों में

कत्ल हुआ इस तरह हमारा किश्तों में कत्ल हुआ इस तरह हमारा किश्तों में ,कभी खँजर बदल गये कभी कातिल ।शामिल था मै किश्तों में तेरी जिंदगी में,कभी मुझे ख़ारिज किया कभी शामिल।बड़े दिनों बाद रौशनी लौटी है शहर में,आज पकड़ा गया...
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संजीव-नी। कोई कविता नहीं लिखता

संजीव-नी। कोई कविता नहीं लिखता संजीव-नी।कोई कविता नहीं लिखता सड़क के लिए?सड़क बेचारीकभी सुनसान, कभी बियाबानकभी पथरीले, कभी कटीले,भीड़ के हादसे को सहते,मशीनी हाथियों का सैलाबदर्द सहती, गुमसुमचलती जाती है,दर्द की अभिव्यक्तिकिससे कहें, किसकी सुने,...
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नासमझ इश्क

नासमझ इश्क हम ढूढ़ते रह गएउनको हर निग़ाह में,पर वो तो खो ही गएओर किसी की बाहों में। हम ने तो हमेशा उनसेइक़रार ही किया थापर वो ही हर बारइन्कार ही करते रह गए। हमने तो...
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मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक छत भी  चाहिए

मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक छत भी  चाहिए मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक छत भी  चाहिए, जहां बैठकर मैं शहर की खूबसूरती को निहार सकूं l मुझे सिर्फ एक घर नहीं, एक खिड़की भी चाहिए, जहां बैठकर मैं बाहर के नजारे झांक सकूं l मुझे सिर्फ एक...
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क्यूँ ?

क्यूँ ? क्यू तुम मेरे व्यक्तित्व पर अपना व्यक्तित्व थोपते हो ? क्यू मेरे इंन्द धनुषी स्वपनो को अपनी इच्छाओं के काले बादल से ढकते हो क्यूं मेरे हिरन रूपी मन के पैरों में अपने आदेशों की बेडियाँ जकड़ते हो?   क्यूँ क्यू...
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नटखट तितली

नटखट तितली Swatantra prabhat: रंग रंग के पंखों वाली, तितली हमें लुभाती हैं फूल फूल पर कली कली पर, अक्सर ये मड़राती है    कभी इधर तो कभी उधर , बार बार उड़ जाती है पर फड़का के आती जाती, सबके मन को...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

अतिरिक्त

अतिरिक्त तुम चेहरे की  मुस्कुराहट पर मत जाओ  बहुत गम होते हैं  सीने में दफन। तुम झूठी  वफाओं में मत आओ बहुत ख़्वाब होते हैं आधे अधूरे से। तुम इन सिमटी हुई निगाहों पर मत जाओ बहुत कुछ बिखरा हुआ होता...
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हास्य व्यंग कवि ने कविता के माध्यम से किया किसान सम्मेलन की शुरुआत

हास्य व्यंग कवि ने कविता के माध्यम से किया किसान सम्मेलन की शुरुआत उत्तर प्रदेश किसान सभा के जिला सम्मेलन के अवसर पर एक कवि सम्मेलन ग्राम डेेढुवा में हुआ. जिसमें हास्य-व्यंग्य के कवि जितेंद्र श्रीवास्तव "जित्तू भैयाने अपना काव्य पाठ करते हुए पढ़ा..
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