सुखईपुर गांव में भव्य तरीके से मनी परशुराम जयंती।
पूरे विश्व के आराध्य देव भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती धूम धाम से मनाते हैं ग्राम वासी।
स्वतंत्र प्रभात - अंबेडकरनगर
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान विष्णु के अवतार परशुरामजी की जयंती मनाई जाती है। अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म प्रदोष काल में हुआ था, ऐसे में वैशाख तृतीया तिथि और प्रदोष काल में भगवान परशुराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया का पर्व हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। यह तिथि एक अबूझ मुहूर्त है, जिसमें किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य बिना मुहूर्त का विचार कर किया जा सकता है। भगवान परशुराम के बारे में सतयुग से लेकर द्वापर युग और कलयुग में अनेक कथाएं मिलती हैं l
आज भगवान श्री परशुराम की जयंती पुरे देश में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में काफ़ी धूमधाम से मनाई जा रही है। इसी कड़ी में अंबेडकर नगर के एक छोटे से गांव सुखई पुर में सदियों से परशुराम जयंती मनाई जाती है। गांव में इसकी शुरुवात कब हुई इसका सटीक अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल है लेकिन माना जाता है कि ये प्रथा शताब्दियों पुरानी है। बड़े स्तर पर जयंती मनाने का सिलसिला हाल के वर्षों से शुरु हुआ है।
जब गांव के कुछ युवा इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगे। जिसमें मुख्य रूप से पीयूष शुक्ला,मोहित शुक्ला उर्फ़ सत्य पंडित, सरस शुक्ला , रोहित शुक्ला,उत्तम शुक्ला, प्रद्युम्न शुक्ला,हर्ष शुक्ला, प्रबल शुक्ला, आयुष शुक्ला, कौस्तुभ शुक्ला, विभास विश्वकर्मा आदि युवा बढ़ चडकर हिस्सा लेते हैं। जिसकी वजह से प्रोग्राम की भव्यता बढ़ गई है।
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