संजीवनी।

संजीवनी।

 

तुम मुस्कुराने में इजाफा तो करो।।

धूप है बहुत चलने का वादा तो करो।
भीड़ से निकल आने का इरादा तो करो।।

सो जाऊगा गहरी नींद पल दो पल।
ख्वाबों में आने का वादा तो करो।

दुनिया ऐसी ही है, ऐसी ही रहेगी।
तुम मुस्कुराने में इजाफा तो करो।।

चलो झूम लें स्वर लहरी के संग संग।
पायल छनकाने का इरादा तो करो।

बेरंग,बेनूर जिंदगी क्यों जिए हम।
प्यार के रंगों का इजाफा तो करो।

'संजीव' हवाओं पर लिखते है,नाम।
न भूल पानें का झूठा वादा तो करो।।

संजीव ठाकुर,

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संजीव-नी।
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