यदि संविदा कंप्यूटर ऑपरेटर की कराई जाए आय से अधिक संपत्ति की जांच को होगा बड़ा खुलासा 

आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया की तर्ज पर मानदेय 8500 और संपत्ति लाखों करोड़ों की बनाने की चर्चा आम

यदि संविदा कंप्यूटर ऑपरेटर की कराई जाए आय से अधिक संपत्ति की जांच को होगा बड़ा खुलासा 

रू8500 के मानदेय में कैसे लखीमपुर से रमियाबेहड तक रोज आवागमन हो पाता है चौपाइयां वाहन से -अहम सवाल 

मामला विकासखंड रमिया बेहड में तैनात मनरेगा और आवास पटल पर कंप्यूटर ऑपरेटर के पद से जुड़ा है,
 
 चौपहियां वाहन दो-दो, लखीमपुर में आलीशान मकान, और अन्य सुख सुविधाओं से साधन संपन्न, कंप्यूटर साहब की आय से अधिक संपत्ति की जांच कराए जाने कीमांग 
 
लखीमपुर खीरी मामला विकासखंड रमियाबेहड के खंड विकास अधिकारी कार्यालय में तैनात संविदा कर्मीअनिल कुमार मनरेगा और आवास पटल पर कंप्यूटर ऑपरेटर के पद से जुड़ा है। उक्त कंप्यूटर ऑपरेटर के बारे में विभागीय सूत्रों द्वारा नाम न छापने की शर्त पर मिली जानकारी के अनुसार यह तैनात भले ही कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर हैं पर उनकी मर्जी के बिना विकासखंड रमियाबेहड में पत्ता नहीं हिल सकता है। यह है इन संविदा कर्मी कंप्यूटर ऑपरेटर साहब का रसूख।
 
सूत्रों द्वारा मिली जानकारी को यदि साझा किया जाए तो अनिल कुमार और खंड विकास अधिकारी रमियाबेहड के बीच चोली दामन का साथ होना बताया जाता है ।उसके चलते विकासखंड रमियाबेहड में आने वाली अधिकांश ग्राम पंचायत में मनरेगा का संपूर्ण कार्य अप्रत्यक्ष रूप से अनिल कुमार द्वारा ही कराए जाने की चर्चा आम है ।इतना ही नहीं अनिल कुमार की खंड विकास अधिकारी के साथ अच्छी दोस्ती या यूं कहे सेटिंग गेटिंग के चलते अपनी पत्नी राधा के नाम से एक फर्म राधा ट्रेडिंग कंपनी बना रखी है ।जिसमें ही ब्लॉक के मनरेगा का अधिकांश भुगतान राधा ट्रेडिंग कंपनी को ही किया जाता रहा है ।यदि विकासखंड रमिया बेहड में मनरेगा योजना से किए जाने वाले भुगतान की कराई जाए जांच तो अधिकांश भुगतान राधा ट्रेडिंग के नाम होने का होगा बड़ा खुलासा और अब तक हुए एक बड़े भ्रष्टाचार का भी होगा पर्दाफाश ।
 
आखिर किसी सक्षम अधिकारी व किस नियम के तहत उक्त संविदा कर्मी द्वारा ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना के तहत ठेकेदारी प्रथा से कराया जा रहा कार्य -अहम सवाल 
 
विकासखंड रमियाबेहड के अंतर्गत आने वाली अधिकांश ग्राम पंचायतो में मनरेगा के तहत कराए जाने वाले कार्यों को ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा ना कराकर सीधे अनिल कुमार के माध्यम से ठेकेदारी प्रथा से कराए जाने का मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना है। लोगों का कहना है कि अनिल कुमार ब्लॉक के संविदा कर्मी है या फिर ठेकेदार? इनके द्वारा कराए गए कार्यों में जमकर मानको  की धज्जियां उड़ाने के साथ साथ अनुपात भी जमकर तोड़ा गया ।लेकिन खंड विकास अधिकारी का हाथ उनके सिर पर होने के कारण इनका हर गुनाह माफ रहता है ।इनके द्वारा कराए जाने वाले मनरेगा कार्य में जमकर घोटाला करके फर्जीवाडा व भ्रष्टाचार किया गया है।और लाखों करोड़ों की नामी बेनामी संपत्ति उनके द्वारा बना डाली गई ऐसी सूत्रों द्वारा जानकारी दी गई है ।
 
आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाली बात चरितार्थ कर रहे - ऑपरेटर साहब 
 
विकासखंड रमियाबेहड में संविदा कंप्यूटर ऑपरेटर मनरेगा व आवास के पद पर तैनात अनिल कुमार का मानदेय 8500 प्रति माह बताया जाता है इस मानदेय पर ऑपरेटर साहब प्रतिदिन लखीमपुर से रमियाबेहड कार द्वारा डेली अप डाउन करते हैं, ऐसा सूत्रों का कहना है। जिस पर प्रतिदिन कम से कम चार लीटर डीजल या यू कहें ₹400 का खर्च आता है। यह खर्च कहां से देते हैं ।उसके बाद अपना व परिवार का खाना खर्चा बच्चों का खर्चा कैसे और कहां से चलता है। मानदेय तो अप डाउन में ही निकल जाता है ।जब मानदेय आने-जाने और में ही खर्च हो जाता है तो अन्य खर्च कैसे पूरे होते हैं।
 
सूत्र तो यह भी बताते हैं कि उक्त अनिल कुमार ने सेवा में आने के बाद काफी बेनामी नामी संपत्ति बनाई है। जिसमें बोलेरो कार जो खंड विकास अधिकारी रमियाबेहड के पास ही किराए पर लगी है। एक अन्य चौपहिया वाहन, लखीमपुर में भी आलीशान मकान, सहित अन्य प्रॉपर्टी बनाए जाने का मामला जन चर्चा का विषय बना है ।यदि उनकी आय से अधिक संपत्ति की कराई जाए जांच तो एक बड़े भ्रष्टाचार के मामले का होगा पर्दाफाश और कई अन्य चेहरे भी होंगे बेनकाब।शासन का स्पष्ट आदेश है कि प्रधान व पंचायत सचिव अपनी‌ फर्मों से नहीं कर सकते सामग्री की खरीद फरोख तो फिर कैसे राधा ट्रेडिंग कंपनी से की गई सामग्री की खरीदारी? जो कि संविदा कर्मचारी मनरेगा की पत्नी के नाम दर्ज है क्या यह शासनादेश का उल्लंघन नहीं है?
 
आखिर अधिकांश मनरेगा का भुगतान राधा ट्रेडिंग कंपनी के नाम क्यों किया गया? ग्राम पंचायत अधिकारी और ग्राम प्रधान की बजाय संविदा कर्मी अनिल कुमार के द्वारा किस सक्षम अधिकारी के आदेश से कराया गया मनरेगा योजना से कार्य ?इन यक्ष प्रश्नों के उत्तर किसी सक्षम अधिकारी के पास ढूंढे नहीं मिल पा रहे हैं। यदि उक्त प्रकरण में उच्च स्तरीय जांच टीम गठित करके कराई जाए निष्पक्ष जांच तो एकभ्रष्टाचार का खुलासा होना होगा तय और संविदा कर्मी द्वारा खंड विकास अधिकारी को विश्वास में लेकर किया जा रहे खेल का भी पर्दाफास होना तय होगा।

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