खुले आम डंके के चोट पर रिश्वत मांग रहा है लिपिक सौरभ दुबे आखिर किसके इशारे पर करता रहा अवैध वसूली।

रिश्वत मांगने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होंते ही स्वास्थ विभाग ने बाबू पर कार्यवाही कर झाड़ा पल्ला।

खुले आम डंके के चोट पर रिश्वत मांग रहा है लिपिक सौरभ दुबे आखिर किसके इशारे पर करता रहा अवैध वसूली।

स्वीपर शनि कुमार से जीपीएफ एक लाख तीस हजार स्वीकृति के लिये माँग रहा था 20 हजार का रिश्वत में किसका कितना दोष

निचले पायदान के कर्मचारियों के साथ हो रहा है अन्याय का आखिर है कौन जिम्मेदार।
 
बलरामपुर जहां केंद्र और राज्य सरकार है सरकारी सेवाओं और सुविधाओं को लेकर लाखों और करोड़ों रुपए विभाग को प्रदान करती हैं जिससे तमाम व्यवस्थाएं दुरुस्त होने के साथ ही सरकारी कर्मचारियों के वेतन व अन्य सुविधाओं को लेकर भी पर्याप्त व्यवस्थाएं सरकार अपने कर्मचारियों को देती है। उसके बावजूद भी विभागों में विभागीय अधिकारियों की मनमानी और वसूली जैसे भ्रष्टाचार का खेल बराबर कायम है और इसी के चलते निम्न वर्गीय कर्मचारी को विभागीय अधिकारियों का शिकार बनना पड़ता है। जबकि पर्दे के पीछे से सारा लाभ भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को मिलता है और कमीशन के नाम पर उन अधीनस्त कर्मियों को भी कुछ हिस्सा दिया जाता है।
 
जबकि किसी मामले के उजागर होने पर गाज इन कर्मियों पर ही गिरती है जिनके माध्यम से अधिकारी वसूली का खेल खेलता है ।जिसमे संबंधित विभाग के अधिकारी साफ-साफ बच जाते हैं। अगर इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग बलरामपुर की बात की जाय तो भ्रष्टाचार का बड़ा खेल लगातार विभाग के जिम्मेदार अधिकारी सीएमओ व अन्य के द्वारा खेला जा रहा है जहां पर नियुक्ति से लेकर दवाएं सप्लाई के साथ अन्य मामले में भी वसूली का खेल होता है और धन का बंदर बांट किया ही जाता है ।इसके साथ निम्न वर्ग के कर्मियों के साथ भी उनके वेतन से लेकर अन्य सुविधाओं को पाने के लिये भी चढ़ावा चढ़ाए बिना कार्य असम्भव है अगर काम करवाना है तो पैसा देना ही होगा की बात सामने आ रही है। 
 
जिसका एक बड़ा मामला जनपद बलरामपुर के श्री दत्तगंज विकासखंड में स्थित स्वास्थ केंद्र में उजागर हुआ है जहां पर एक सफाई कर्मी को अपना पीएफ बनवाने को लेकर संबंधित स्वास्थ्य विभाग के बाबू के द्वारा 20 हजार देने की बात कही जाती है जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही स्वास्थ्य विभाग में भूकंप आ गया है और इस मामले को लेकर आनन फानन में विभाग के अधिकारियों के द्वारा उस कर्मी का तबादला की कार्यवाही करते हुए मामले को शांत करने का प्रयास किया गया है।
 
जबकि सूत्र बताते हैं कि संबंध में विभागीय जांच भी बैठाया जा चुकी है। जिसमें अवैध वसूली प्रक्रिया को लेकर जांच कर उस पर कार्रवाई करने की बात कही जा रही है। लेकिन सवाल यहां यह उठता है क्या संबंधित विभाग के अधिकारियों के बिना स्वीकृति और मिलीभगत के ऐसा खेल हो सकता है जंहा बाबू इस प्रकार बेबाक रुपये की मांग करे जोकि अपने आप में एक जांच का बड़ा विषय है। 
 
 इस बात की चर्चा मीडिया में काफी जोर शोर से होने के बाद अधिकारियों द्वारा कार्यवाही करने की बात सामने आई। जिसको लेकर मीडिया कर्मी चाहे वह टीवी चैनल का पत्रकार हो या डिजिटल मीडिया के साथ समाचार पत्र का पत्रकार हो जब वह ऐसे मामले को लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों की बाइट लेने जाता है तो वहां कई घंटे बाहर बिठाने के बाद भी साहब अपना पक्ष नही बताते हुए उनको घण्टो फालतू बिठा वापस कर देते हैं।
 
जबकि अक्सर समाचार चैनल में अधिकारियों का पक्ष के बिना खबर ही नहीं प्रकाशित की जाती है।वही अगर स्वास्थ्य विभाग के व्याप्त भ्रष्टाचार की बात करें तो कहीं मीडिया कर्मियों को अधिकारी पक्ष न बता विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की साजिश तो नही जिसके तहत मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी बलरामपुर पत्रकारों के सवालों से बचने के बहाने तो नहीं ढूंढ रहे है।आखिर क्या वजह है कि इस मामले में बाबू को ही दोषी ठहराया गया बाकी मुख्य घटनाक्रम के मुख्य आरोपी तक अब तक न कोई कार्रवाई हुई और न ही कोई जांच बिठाया गया है।
 
पूरे मामले की बात की जाए तो जनपद बलरामपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र श्रीदत्त गंज का मामला बताया जा रहा है। जिसमे बहुत बड़े बड़े मामलों की जांच में लीपापोती होने की बात सामने आ रही है जिस कारण विभागीय भृष्टाचार के मामलों में कार्यवाही नहीं हुई। जबकि ऐसे तमाम मामले में छोटे कर्मचारी डर के कारण शिकायत तक नहीं करते और जो करते भी हैं उसमे कुछ होता नहीं के साथ सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों से डरते हैं कि साहब कही हमारी नौकरी के लिये अभिशाप न बन जाये और हमें नौकरी से बाहर न कर दिया जाए।
 
वायरल वीडियो की बात करे तो सौरभ दुबे जो लिपिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र श्रीदत्त गंज बलरामपुर में लिपिक के पद पर कार्यरत है जिनके द्वारा चतुर्थ श्रेणी कर्मी स्वीपर से जीपीएस निकालने के लिए रिश्वत देने की बात की जारही है जिसमे एक लाख तीस हजार स्वीकृति के लिए बीस हजार की रिश्वत स्वास्थ विभाग का लिपिक मांग रहा है। और साफ साफ इसकी चर्चा है कि बिना पैसे के कार्य नही होगा साहब को देना है इस काम के लिये तब ही काम होगा ।
 
मामला जब शोसल मीडिया के माध्यम से उजागर हुआ तब आनन फानन उन्ही स्वास्थ विभाग के अधिकारियों के द्वारा जिनके कमाई का माध्यम वह बाबू रहा उस पर कार्यवाही करते हुए जांच टीम गठित करने के साथ कर्मी का ट्रांसफर अन्य स्वास्थ केंद्र सादुल्ला नगर कर दिया जाता है और मामले पर बर्फ डाल दी जाती है लेकिन सवाल यह उठता है कि इस वसूली प्रकरण में मुख्य सरगना कौन है और किसके इशारे पर अवैध वसूली का खेल विभाग के कर्मियों द्वारा किया जा रहा जिसमे अपने ही विभाग के निम्न स्तर के कर्मियों को भी नही बख्शा गया।
 
फिर आम जनता के साथ आखिर स्वास्थ सेवाओ को लेकर कितनी और किससे करनी है जिससे साहब का पेट भर सके। ऐसे ही बिभागीय मामलों में सम्बंधित स्वास्थ विभाग के जिम्मेदार अपना बचाव करते हुए अधिनस्त पर गाज गिरा खुद को पारसा बता रहे लेकिन ऐसे मामलों में मीडिया के सामने आने से ही उनको दहशत होती है कि कही सच न सामने आ जाये।

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