उतरौला में कुंडवा ताल पर पुलिया का अवैध पटाई : जनहित में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता

उतरौला में कुंडवा ताल पर पुलिया का अवैध पटाई : जनहित में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता

उतरौला (बलरामपुर)-उतरौला नगर क्षेत्र में स्थित कुंडवा ताल पर बनी पुलिया, जो कि चीनी मिल की स्थापना के समय निर्मित हुई थी, अब अपनी अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। यह पुलिया 2005 में सांसद रिजवान जहीर के आदेश पर फिर से बनी थी, लेकिन हाल ही में इसे दबंगों द्वारा अवैध तरीके से पाट दिया गया है। यह पुलिया उतरौला शहर के पनाह नाले की पानी निकासी का एकमात्र मार्ग है, जो अब पूरी तरह से बाधित हो गया है। 
 
पुलिया के पाटने से नगर क्षेत्र में जल निकासी व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ा है। पानी की निकासी के लिए यह एक महत्वपूर्ण रास्ता था, और अब यह पूरी तरह से खत्म हो चुका है। पनाह नाले का पानी अब शहर के अन्य हिस्सों में घुसने का खतरा बना हुआ है, जिससे जलभराव और बाढ़ जैसी समस्याओं का सामना हो सकता है। 
 
इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह कार्य स्थानीय प्रशासन और नगर पालिका की आँखों के सामने हुआ है, बावजूद इसके कि उच्च अधिकारियों को इस मामले की जानकारी पहले ही दी जा चुकी थी। एक वायरल लेटर में यह भी कहा गया है कि गाटा नंबर में तालाब या जल निकाय को पाटने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, लेकिन कुछ दबंगों ने अवैध रूप से इसे पाट कर प्लाटिंग शुरू कर दी है।
 
इस सब के बावजूद, नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी ने उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई है कि तालाब को पाटने से रोका जाए, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। न केवल तालाब, बल्कि सरकारी पुलिया भी दबंगों के हाथों से बच नहीं पाई। रातों-रात सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रालियां इस इलाके में आईं और तालाब को समतल कर दिया। इसने सिर्फ जल निकासी को ही प्रभावित नहीं किया, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन को भी खतरे में डाल दिया है। 
 
स्थानीय प्रशासन की नाकामी ने इस स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। यदि जल निकायों का संरक्षण नहीं किया गया और इनकी भराई को रोका नहीं गया, तो आने वाले समय में भारी बारिश के दौरान उतरौला पूरी तरह से जलमग्न हो सकता है, जिससे भारी जनहानि और संपत्ति की हानि हो सकती है।
 
इसलिए, जनहित में यह अत्यंत आवश्यक है कि कुंडवा ताल पर बनी पुलिया को फिर से खोला जाए और जल निकासी की व्यवस्था को सुचारू रूप से बहाल किया जाए। साथ ही, तालाब और जल निकायों को अवैध भराई से बचाने के लिए सख्त कार्रवाई की जाए ताकि आने वाले समय में ऐसी समस्याओं का समाधान किया जा सके और नगर क्षेत्र को जल प्रलय से बचाया जा सके।
 

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