विंढमगंज में रासलीला में कृष्णा सुदामा चरित्र का मंचन

राजेश तिवारी ( क्राइम ब्यूरो)
सोनभद्र / उत्तर प्रदेश
विंढमगंज थाना क्षेत्र अन्तर्गत हरनाकछार में चल रहे नौ दिवसीय विष्णु महायज्ञ में बीती रात्रि को रासलीला के कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता का बड़ा ही मार्मिक मंचन किया गया।वृंदावन के कलाकारों द्वारा लीला के अंतर्गत बाल्यकाल में सुदामा जी उज्जैन नगरी स्थित संदीपनी गुरु के गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण के लिए जा रहे थे। रास्ते में उनके पैर में कांटा गड़ गया।
इस पर वे दर्द से चीखने चिल्लाने लगे। उसी रास्ते से होकर भगवान श्रीकृष्ण भी गुरुकुल शिक्षा ग्रहण करने जा रहे थे। सुदामा को मुसीबत में देख उन्होंने उनके पांव से कांटा निकाला।
इस घटना के बाद दोनों मित्र बन गए। गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण के दौरान सुदामा अपना पाठ भूल गए। गुरु द्वारा पूछे जाने के बाद उन्होंने पाठ नहीं सुनाया। इस पर गुरु ने उन्हें जंगल जाकर लकड़ी लाने को कहा। मित्र को मुसीबत में देख भगवान भी अपने याद किए पाठ को भूलने का नाटक कर बैठे। इस पर क्रोधित गुरु ने उन्हें भी सुदामा के साथ जंगल से लकड़ी लाने का आदेश दिया। भूख लगने पर खाने के लिए सुदामा को दो मुट्ठी चने दिए। जंगल में कृष्ण ने सुदामा को एक वृक्ष के नीचे आराम करने के लिए कह कर लकड़ियां लाने चले गए। उसी समय सुदामा को भूख लगी और उन्होंने पूरा चना खा लिया। लकड़ी लेकर लौटे कृष्ण ने भूख लगने पर सुदामा से चने मांगे तो सुदामा ने सच सच बता दिया।
पढ़ाई पूरी करने के बाद श्रीकृष्ण मथुरा के राजा बन गए और सुदामा भिखारी। फिर एक समय आया कि सुदामा श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचे। देने के लिए कुछ नहीं था तो वे अपने साथ पत्नी के द्वारा दिया हुआ कच्चा चावल ले गए। सुदामा को देख श्रीकृष्ण अति प्रसन्न हुए। उन्होंने सुदामा के लाए चावल खाने शुरू किए। एक मुट्ठी खाकर एक तथा दूसरी मुट्ठी चावल खाकर जब उन्होंने सुदामा को दो लोक का मालिक बना दिया।
जब वे तीसरी मुट्ठी चावल खाने लगे तो वहां खड़ी रुक्मिणी ने उन्हें रोककर कहा कि तीनों लोक सुदामा को दे देंगे तो स्वयं कहां रहेंगे प्रभु। इस पर श्रीकृष्ण ने अपने हाथ रोक लिए और सुदामा को दो लोक का मालिक बना दिया। जिसे देख मौजूद सैकड़ो श्रद्धालुओं ने भगवान श्री कृष्ण की जय घोष के साथ रासलीला समाप्त हुआ।
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