शिक्षा के मंदिरों के पास शराब बेचने पर रोक, मगर पिलाई जा रही शराब

सवाल पूछने पर जिला आबकारी अधिकारी पत्रकारों को नियमावली समझने की दे रहे नसीहत

शिक्षा के मंदिरों के पास शराब बेचने पर रोक, मगर पिलाई जा रही शराब

स्वतंत्र प्रभात 
धर्मेन्द्र राघव
अलीगढ़,। स्कूल, कॉलेज, मंदिर, मस्जिद या कोई भी अन्य धार्मिक स्थल हो, वहां आसपास शराब पिलाई तो जा सकती है, लेकिन बेची नहीं जा सकती। शहर में शराब की दुकानों के हालात कुछ ऐसे ही हैं। हालांकि खामी आबकारी विभाग के नियमों में ही है।

नहीं की जा सकती बिक्री
बार में शराब पिलाई तो जा सकती है, लेकिन बिक्री नहीं की जा सकती। बार के लिए जो नियम लागू होते हैं, वो शराब की दुकानें खोलने के लिए लागू होने वाले नियमों से बिल्कुल विपरीत हैं। शराब की दुकान के लिए 200 मीटर के दायरे में मंदिर, मस्जिद , गुरुद्वारा, चर्च या अन्य कोई भी धार्मिक स्थान नहीं होना चाहिए। और न ही सिनेमा हॉल, कच्ची बस्ती (जिसमें 50 फीसदी से ज्यादा एससी जनसंख्या हो) और स्कूल व कॉलेज। वहीं होटल बार पर यह नियम लागू नहीं होते हैं।

यह कैसी पॉलिसी? तो फिर होना चाहिए संशोधन
शराब की दुकान खोलने के लिए जो नियम लागू होते हैं, वो बार के लिए मान्य नहीं। शराब की दुकान के लिए 200 मीटर के दायरे का इकलौता नियम ही ऐसा है, जिसके कारण कई दुकानें खुलने के बाद बंद हो गई। दुकान के इस दायरे में न तो कोई स्कूल होनी चाहिए और न ही कॉलेज। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च और न ही कोई अन्य धार्मिक स्थान।

सिनेमा हॉल भी नहीं होना चाहिए और न ही कच्ची बस्ती। इधर, होटल बार के लिए 200 मीटर के दायरे वाला यह नियम लागू नहीं होता। बार में शराब पिलाई जाती है, लेकिन खरीदकर बाहर लाना नियम विरुद्ध है। जबकि शराब की दुकानों पर बिक्री के साथ पीने-पिलाने की गतिविधियां आजकल आम नजारा है।

सड़क व चौराहों पर खुलेआम शराबखोरी, सो रहा आबकारी और पुलिस
पुलिस शहर को अपराध से मुक्त करने की तमाम योजनाएं तो बनाती है, लेकिन प्रमुख सड़कों व चौराहों के किनारे चल रहे ओपन बार को रोकने की कोशिश नहीं करती। शाम ढलते ही देशी-विदेशी शराब की दुकानों के सामने शराब के शौकीन बोतल खोलकर पैग बनाने लगते हैं। देर रात तक यहां का माहौल ओपन बार जैसा बना रहता है। यहीं जमा होते हैं बलात्कार करने, चेन लूटने वाले अपराधी, जो नशा चढ़ने के बाद अपराध को अंजाम देने निकल पड़ते हैं।

कभी-कभी होती है कार्रवाईः
सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने से रोकने की कार्रवाई आबकारी विभाग कभी-कभी करता है। पुलिस भी अनदेखी करती है। किसी ने नहीं रोका तस्वीर महल स्थित शराब दुकान के बाहर सड़क किनारे खड़े होकर प्लास्टिक के ग्लास में बीयर और शराब खुलेआम पिलाई जा रही है। यहां लोग खुलेआम शराब पीते हैं। शहर के लगभग सभी अंडे के ठेलों पर शाम सात बजे के बाद अंडे के साथ शराब के पैग शुरू हो जाते हैं।

इन ठेला चालकों से संबंधित थानों के बीट इंचार्ज मासिक या प्रतिदिन के हिसाब से अपना सुविधा शुल्क वसूलते हैं। इस शुल्क में कौन-कौन हिस्सेदार होता है, यह अफसर ही बता सकते हैं। इस कारण लोग ठेलों पर या इसके सामने खड़े होकर शराब पीने लगते हैं। रोज शाम होते ही ठेलों पर भीड़ उमड़ने लगती है, जो देर रात तक रहती है।

इनका कहना है...
इस सबंध में जिला आबकारी अधिकारी डॉ.सतीश से पत्रकारों ने पूछताछ की तो उन्होंने संतोषपूर्ण जबाव नहीं दिया और उल्टा पत्रकारों से आबकारी विभाग की नियमावली की जानकारी के बारे में पूछने लगे। जब पत्रकारों ने पूछा कि स्कूल ,मंदिर,या मस्जिद के आस-पास दुकानों पर खुलेआम शराब पिलाई जा रही है

तो वह भड़क उठे और पत्रकारों से कहा कि पहले आबकारी के नियमों के बारे में खुद जानकारी कर लो तभी तो विभाग को सूचना दोगे। इससे साफ स्पष्ट होता है कि आबकारी विभाग की शह पर सुविधा शुल्क और सांठ-गांठ के चलते खुलेआम सड़कों और स्कूल,कॉलेज,मंदिर,मस्जिद के पास शराब की दुकानें नियमों के विपरीत खुलवा दी गई है।

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