कुशीनगर : 26 मार्च को मनाया जाएगा होली – आचार्य आकाश तिवारी 

कुशीनगर : 26 मार्च को मनाया जाएगा होली – आचार्य आकाश तिवारी 

कुशीनगर। होलिका दहन के तीसरे दिन 26 मार्च दिन मंगलवार को हस्त नक्षत्र और ध्रुव योग में होली वसंतोत्सव,  रंगोत्सव मनाया जायेगा। उक्त जानकारी गोरखनाथ मंदिर के आचार्य आकाश तिवारी ने दी हैं उन्होंने ने बताया कि इस दिन दिन में हल्दी, तिल, मलयगिरि चंदन चूर्ण,गेंहूँ, मसूर दाल, मूंग, सरसो, लौंग जावित्री, इलाइची और कपूर के साथ पीस कर उपटन तैयार कर लें और सबके पूरे शरीर मे लगा कर जमीन पर उतार कर उसे लेकर होलिका में डालने से इस दिन शरीर की उबटन को होलिका में जलाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती है। उन्होंने आगे बताया कि हिंदू धर्म मान्यता अनुसार जीवन मे उत्तम विद्या और सर्व सफलता प्राप्ति के लिए होलिका में पंचमेवा, मखाना नारियल, पान तथा सुपारी भेंट करें।
 
गृह क्लेश से निजात पाने और सुख-शांति के लिए होलिका की अग्नि में जौ की आटा की गोली चढ़ाने से भय और कर्ज से निजात पाने के लिए नरसिंह स्रोत का पाठ करना लाभदायक होता है। होलिका दहन के बाद जलती अग्नि में नारियल दहन करने से नौकरी की बाधाएं दूर होती हैं। घर, दुकान और कार्यस्थल की नजर उतार कर उसे होलिका में दहन करने से लाभ होता है। होलिका दहन के दूसरे दिन राख लेकर उसे लाल रुमाल में बांधकर पैसों के स्थान पर रखने से बेकार खर्च रुक जाते हैं। लगातार बीमारी से परेशान हैं तो होलिका दहन के बाद बची राख मरीज़ के सोने वाले स्थान पर छिड़कने से लाभ मिलता है। बुरी नजर से बचाव के लिए गाय के गोबर में जौ, अरसी और कुश मिलाकर छोटा उपला बना कर इसे घर के मुख्य दरवाज़े पर लटका दें।
 
शादी नहीं हो रही है तो होली पर करें यह उपाय 
 
जिन जातकों की शादी नहीं हो रही है और विलंब हो रहा है तो होलीका दहन के दिन शिव मंदिर में पूजा करें। इसके साथ ही शिवलिंग पर पान, सुपारी और हल्दी की गांठ भी अर्पित करें। और होलिका दहन के दौरान पांच सुपारी, पांच इलायची, मेवे, हल्दी की गांठ और पीले चावल लें जाए और इसकी पूजा कर इसे घर में देवी के सामने रख दें। ऐसा करने से शादी में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती है और जल्द ही विवाह के योग बन जाते हैं। दांपत्य जीवन में शांति के लिए होली की रात उत्तर दिशा में एक पाट पर सफेद कपड़ा बिछा कर उस पर मूंग, चने की दाल, चावल, गेहूं, मसूर, काले उड़द एवं तिल के ढेर पर नव ग्रह यंत्र स्थापित करें। इसके बाद केसर का तिलक कर घी का दीपक जला कर पूजन करें।
 
नवविवाहिताओं को भी होली पर जाना चाहिए मायके
 
शास्त्रीय परम्परा के अनुसार नवविवाहिता को अपनी पहली होली पर मायके जाना चाहिए। होली के मौके पर सभी नई दुल्हन अपनी पहली होली अपने मायके में ही मनाती हैं। इस परंपरा को सालों से निभाया जा रहा है। होली के मौके पर नवविवाहिता अपने मायके चली जाती है और वहीं पर अपनी पहली होली मनाती है। माना जाता है कि शादी के बाद पहली होली पिहर में खेलने से एक नवविवाहिता का जीवन सुखमय और सौहार्द पूर्ण बीतता है। इसके साथ ही कुछ जगहों पर यह रिवाज इसलिए भी है कि शादी के बाद मायके में होली और पति से दूरी उनके बीच के प्रेम को और भी ज्यादा बढ़ा देता है। पहली होली नवविवाहिता और सास के लिए अशुभ होती है। पहली होली सास और बहू एक साथ कभी नहीं देखती, क्योंकि सास और नई बहू का एक साथ होली को जलते देखना अशुभ माना जाता है, जिसका असर घर के लोगों पर पड़ता है। यह भी मत है कि यदि कोई सास और नविवाहिता एक साथ होली को जलता हुआ देखती है तो उनमें से किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है। इसी कारण से पहली होली पर नवविवाहिता अपने मायके जाकर ही पहली होली खेलती है। पति और पत्नी के बीच इस अहसास को बढ़ाने के लिए मायके में पहली होली मनाने की परम्परा शुरू की गई थी।*
 
दोषों से बचने को होलिका में डालें हवन सामग्री
 
होलिका दहन में प्रत्येक परिवार से 800 ग्राम या सवा किलो हवन सामग्री के साथ 50 ग्राम कपूर , 10 ग्राम लौंग, 10 ग्राम जावित्री, और 10 ग्राम सफेद इलायची मिलाकर एक नारियल के साथ होलिका में अवश्य डालें, जिससे घर, दुकान, ऑफिस के प्रदूषित वातावरण शुद्ध होगा, और सभी नकारात्मक शक्तियां नष्ट होकर जागृत ऊर्जा मिल सकेगी और बाद में प्रतिदिन सुबह गाय के गोबर से बने कंडे को जला कर अपने इष्ट का 21 बार नाम लेकर आहुति देकर हवन अवश्य करें। ऐसा करने से सभी निगेटिव ऊर्जा से बचाव हो सकेगा।

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