किसानों को तिलहन फसलों के उत्पादन के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने तकनीकी जानकारी दी
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सिद्धार्थनगर। कृषि विज्ञान केंद्र सोहना द्वारा केंद्र पर चल रही भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित तिलहनी फसलों का समूह प्रथम पंक्ति प्रदर्शन परियोजना के अंर्तगत मिठवल ब्लाक के इमिलिया गांव में प्रक्षेत्र दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ प्रदीप कुमार ने बताया कि रोग, कीट एवं घास के नियंत्रण हेतु गर्मी की गहरी जुताई आवश्यक है इससे रसायनों का प्रयोग कम हो जाता है एवं फसल लागत कम आती है देश में हरित क्रांति के आने से हम खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हुए लेकिन खाद्य तेल के लिए अभी भी हम आयात पर निर्भर है।
इसलिए किसान अपने फसल चक्र में तिलहनी फसलों का समावेश कर देश को तेल उत्पादन में भी आत्मनिर्भर बनाएं। उन्होंने यह भी बताया की कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा समूह प्रथम पंक्ति प्रदर्शन तिलहन कार्यक्रम के तहत इस वर्ष जनपद में लगभग 70 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सरसों की उन्नत प्रजाति का प्रदर्शन किसानों के प्रक्षेत्र पर किया गया है। केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ प्रवेश कुमार ने मृदा नमूना एकत्रीकरण एवं मृदा में सूक्ष्मजीवों के महत्व के बारे में बताया।
कार्यक्रम सहायक नीलम सिंह ने किसानों को तिलहन फसलो के उत्पादन तकनीक के बारे में बताया और फलों एवं सब्जियों के मूल्य संवर्धन की जानकारी भी दी। कार्यक्रम में उपस्थित किसानों ने उन्नत प्रजाति की सरसों के लगे प्रदर्शनों का भी भ्रमण किया। प्रगतिशील कृषक, राजकुमार धर, अर्जुन, राम कृष्ण, दिग्विजय, राम प्रताप यादव, राम अनुज, राजा राम, जटा शंकर, त्रिलोकी नाथ, मनोज कुमार इत्यादि ने प्रतिभाग किया।
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