सरकारी अस्पताल में झाड़फूंक! अस्पताल की लापरवाही पर उठे सवाल

प्रसव पीड़ा से जूझती महिला के साथ तांत्रिक क्रिया का वीडियो वायरल

सरकारी अस्पताल में झाड़फूंक! अस्पताल की लापरवाही पर उठे सवाल

परिजनो ने कहा मोबाइल पर तांत्रिक से कराया झाड़फूंक

जितेन्द्र कुमार "राजेश"

त्रिवेणीगंज । अनुमंडलीय अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल उस वक्त खुल गई, जब एक गर्भवती महिला के साथ झाड़फूंक करते हुए का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में महिला अस्पताल के फर्श पर प्रसव पीड़ा में कराहती दिख रही है,जबकि उसके पास बैठी एक महिला पीड़िता के शरीर पर हाथ फेर रही है। मौके पर न कोई डॉक्टर दिखा, न ही कोई नर्स,यह नजारा अस्पताल की व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान है। वायरल वीडियो और वीडियो में दिखाए गए मामले दोनों ही शुक्रवार की है।

मामले को लेकर पीड़िता के पिता थाना क्षेत्र के कर्णपट्टी वार्ड 14 निवासी दिनेश यादव ने बताया कि उनकी बेटी संजू देवी पति ब्रजेश कुमार को शुक्रवार की सुबह प्रसव पीड़ा शुरू हुई। उसे अनुमंडलीय अस्पताल लाया गया, लेकिन वहां मौजूद डॉक्टर,नर्स, जीएनएम ने शुक्रवार को दिन के करीब डेढ़ बजे यह कहकर रेफर कर दिया कि यहाँ डिलीवरी इसका संभव नहीं है इसे प्राइवेट में ले जाइए। परिजन उसे लेकर बाजार स्थित एक प्राइवेट क्लिनिक पहुंचे,जहां रेफर करने के मात्र आधे घंटे में ही पीड़िता की नॉर्मल डिलीवरी सफलतापूर्वक हो गई। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

परिजनों ने बताया कि जब पीड़ा असहनीय हो गई थी और अस्पताल में कोई मदद नहीं मिली,तब उन्होंने मोबाइल के जरिए एक तांत्रिक से झाड़फूंक करवाई। यह बात जहां अंधविश्वास की गहराई दिखाती है, वहीं यह भी स्पष्ट करती है कि जब सरकारी संस्थान असहाय हो जाएं,तो आम जनता कहां जाए?

इस घटना ने सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या अब इलाज की जगह झाड़फूंक और तंत्र-मंत्र को बढ़ावा मिलेगा? क्या सरकार की मुफ्त स्वास्थ्य सेवा योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई हैं? इस शर्मनाक घटना की चौतरफा निंदा हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पतालों में अंधविश्वास जैसी गतिविधियों और प्राइवेट में मरीजों का भेजना इस पर तुरंत रोक लगाने के लिए कठोर नियमों की आवश्यकता है। लोगों का कहना है कि जब अस्पताल खुद अंधविश्वास का अड्डा बन जाए और मरीज को प्राइवेट अस्पताल क्लिनिक भेजने लगे तो आम  लोग कहां जाए? आखिर सरकारी अस्पतालों से लगातार रेफर करने का सिलसिला कब रुकेगा?गरीबों की पहुंच से अगर मुफ्त इलाज भी दूर हो गया तो व्यवस्था का क्या मतलब? लोगों ने कहा कि यह घटना न केवल चिकित्सा व्यवस्था की खस्ताहाली को उजागर करती है,बल्कि समाज में फैले अंधविश्वास की गहरी जड़ें भी सामने लाती है। जरूरत है कि जिम्मेदारों पर त्वरित कार्रवाई हो और अस्पतालों को अंधविश्वास नहीं,वैज्ञानिक सोच का केंद्र बनाया जाए।

बहरहाल मामले को लेकर सुपौल सिविल सर्जन ललन कुमार ठाकुर ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है उसकी जांच करवाते हैं जांचोपरांत जो भी दोषी पाए जायेंगे उनके खिलाफ उचित कार्यवाही की जाएगी।

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

 100 सैयद संयुक्त चिकित्सालय: महिला चिकित्सकों के विरुद्ध होगी कार्यवाही  100 सैयद संयुक्त चिकित्सालय: महिला चिकित्सकों के विरुद्ध होगी कार्यवाही
अस्पताल न आने वाली महिला चिकित्सकों की जांच शुरू, हो सकती है बड़ी कार्यवाही निज संवाददाता कुमारगंज [अयोध्या]।   क्षेत्र के...

अंतर्राष्ट्रीय

कालिकन धाम के गणेश देवतन पर शुरू हो रही भागवत कथा से पहले निकाली गई भव्य कलशयात्रा कालिकन धाम के गणेश देवतन पर शुरू हो रही भागवत कथा से पहले निकाली गई भव्य कलशयात्रा
रवि द्विवेदी रिंकू  संग्रामपुर,अमेठी। संग्रामपुर क्षेत्र के कालिकन धाम के पवित्र स्थान गणेश देवतन पर आज गुरूवार से श्रीमद्भागवत कथा...

Online Channel