डिजिटल एक्सरे मशीन के लिए 15 साल से तरस रहा जिला चिकित्सालय

डिजिटल एक्सरे मशीन के लिए 15 साल से तरस रहा जिला चिकित्सालय

-1984 में लग जिला चिकित्सालय में एक्सरी मशील, 15 साल पहले हो चुकी है एक्सपायर-25 लाख से अधिक आबादी वाले जनपद का भार उठा रहे जिला चिकित्सालय की हालत बदतर मथुरा। जिला चिकत्सालय को 15 साल की मैराथन मांग के बाद भी एक डिजिटल मशीन नहीं मिल सकी है। इस दौरान कई सरकारें बदल गईं।

-1984 में लग जिला चिकित्सालय में एक्सरी मशील, 15 साल पहले हो चुकी है एक्सपायर
-25 लाख से अधिक आबादी वाले जनपद का भार उठा रहे जिला चिकित्सालय की हालत बदतर

मथुरा। जिला चिकत्सालय को 15 साल की मैराथन मांग के बाद भी एक डिजिटल मशीन नहीं मिल सकी है। इस दौरान कई सरकारें बदल गईं। जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गये लेकिन अगर मुक्ति नहीं मिली तो जिला चिकित्सालय को 35 साल पुरानी खटारा और लगभग मृत हो चली एक्सरे मशीन से प्रतिदिन मानक से लगभग दो गुने एक्सरे खींचे जा रहे हैं।

डिजिटल एक्सरे मशीन के लिए 15 साल से तरस रहा जिला चिकित्सालय


वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक जनपद की आबादी 25 लाख से उपर थी। मेडिकोलीगल केस भी जिला चिकित्सालय में ही आते हैं। एनएच टू, यमुना एक्सप्रेस वे सहित जनपद भर में होन वाली दुर्घटनाओं के घायलों को भी यहीं लाया जाता है। इन मरीजों का भी सबसे पहले एक्सरे ही किया जाता है।


सांसद हेमा मालिनी, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र, कई प्रशासनिक अधिकारी और लखनऊ से आने वाली कई टीमें हाल ही में जिला चिकित्सालय का निरीक्षण कर चुकी है। सबके सामने जिला चिकित्सालय प्रशासन एक्सरे मशीन की बात रखता रहा है। हाल ही में उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के सामने भी यह मांग रखी गई। करीब चार महीने बीत गये लेकिन वह भी मशीन जिला चिकित्साल को नहीं दिला सके। सूत्रों की मानें तो हालत यह है कि एक्सरे सुखने की बेहद कम कीमत की ब्लोअर मशीन भी यहां नहीं है। हाथ से ये एक्सरे सुखाये जा रहे हैं।

15 साल पहले एक्सपायर हो चुकी है एक्सरे मशीन


जिस एक्सरे मशीन से इस समय जिला चिकित्सालय में एक्सरे किये जा रहे हैं। वह करीब 15 साल पहले ही अपनी आयु पूरी कर चुकी है। जिला चिकत्सालय के एक्सरे विभाग में मौजूद सतीश गौतम ने बताया कि 1984 में जिला चिकित्सालय को यह मशीन मिली थी। इस मशीन की औसत आयु 20 साल है। यानी करीब 15 पहले ही इस मशीन को हट जाना चाहिए था, लेकिन आज तक इससे काम लिया जा रहा है।

35 साल पुरानी मशीन से निकल रहा मानकों से ज्यादा रेडिएशन


मशीन के इनता पुराना और लगभग खटारा होने का नुक्शान मरीजों और खुद टेक्नीशियन को भी उठाना पड रहा है। गुणवत्ता के स्तर पर इस मशीन से किये जा रहे एक्सरे साफ नहीं आ रहे हैं। दूसरा मशीन से मानक से ज्यादा रेडिएशन रिलीज हो रहा है। जिसके घातक परिणाम मरीज और खुद एक्सरे टैक्नीशियन पर हो सकते हैं।

मानक 30 का, करने पड रहे 70 एक्सरे, 150 से 200 की प्रतिदिन जरूरत


विभागीय अधिकारी सतीश गौतम की मानें तों इस मशीन से 30 से 35 एक्सरे ही एक दिन में किये जा सकते हैं। जबकि मजबूरी में 70 एक्सरे किये जा रहे हैं। जबकि प्रतिदिन से 150 से 200 एक्सरे  करने की जरूरत है। बुधवार को ही सुबह 11ः30 तक 70 एक्सरे हो चुके थे, इसके बाद मरीजों को वापस भेज दिया गया।

कई बार इंस्पेक्षन भी होते रहे है, इस दौरान भी संज्ञान में लाया जाता है, 34 से 35 साल पुरानी मशीन से काम किया जा रहा है। यह जिला चिकित्सालय है, यहां काम लोड भी बहुत होता है। इस मशीन से एक्सरे की क्लीयरिटी इनती नहीं आपता ही जितनी डिजिटल एक्सरे मषीन में आती हैं। पत्राचार किया गया है, रिमेडर भी भेजा गया है, जल्दी से जल्दी इस समस्या से निजात मिल जाएगी।
60 से 70 एक्सरे प्रतिदिन हो रहे हैं।

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