दिव्यता की निशानी है दूध

दिव्यता की निशानी है दूध

दूध मानव जीवन के खान पान का विशिष्ट अंग है


दूध पेय पदार्थों में श्रेष्ठ है। दूध, आहार की दिव्य अवस्था का दूसरा नाम है। दूध मानव जीवन के खान पान का विशिष्ट अंग है। दूध के बिना स्वास्थ्य अधूरा है। दूध संपूर्ण आहार है। इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर के अनुसार गाय के दूध से बेहतर भैंस का दूध होता है। उसमें कम कोलेस्ट्रॉल होता है और मिनरल अधिक होते हैं। भैंस का दूध वजन और मांसपेशी मजबूत करता है। आयुर्वेद के अनुसार जो लोग अखाड़े/जिम मे जाते हैं

उनके लिए सबसे बेस्ट है। दूध ऊर्जा युक्त आहार है। दूध शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। दूध में एमिनो एसिड एवं फैटी एसिड मौजूद होते हैं। डॉ. वर्गीज़ कुरियन की जयंती पर राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाने का विचार सन 2014 में सबसे पहले इंडियन डेरी एसोसिएशन ने दिया था। डॉ. वर्गीज़ कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को केरल के कोझिकोट में हुआ था। उन्हें श्वेत क्रांति का जनक कहा जाता है। वर्ष 2021 में डॉ. कुरियन का 100 वां जन्म दिवस है। दूध की शुद्धता अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है। भारत विश्व का नंबर वन दुग्ध उत्पादक देश है।

भारत में दूध का उत्पादन 14 करोड़ लीटर लेकिन खपत 64 करोड़ लीटर है। इससे साबित होता है की दूध में मिलावट बड़े पैमाने पर हो रही है। दक्षिणी राज्यों के मुकाबले उत्तरी राज्यों में दूध में मिलावट के ज्यादा मामले सामने आए हैं। दूध में मिलावट को लेकर कुछ साल पहले  देश में एक सर्वे हुआ था। इसमें पाया गया कि दूध को पैक करते वक्त सफाई और स्वच्छता दोनों से खिलवाड़ किया जाता है। दूध में डिटर्जेंट की सीधे तौर पर मिलावट पाई गई।

यह मिलावट सीधे तौर पर लोगों की सेहत के लिए खतरा साबित हुई। इसके चलते उपभोक्ताओं के शारीरिक अंग काम करना बंद कर सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दूध में मिलावट के खिलाफ भारत सरकार के लिए एडवायजरी जारी की थी और कहा था कि अगर दूध और दूध से बने प्रोडक्ट में मिलावट पर लगाम नहीं लगाई गई तो देश की करीब 87 फीसदी आबादी 2025 तक कैंसर जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी का शिकार हो सकती है।

हमे यह नहीं भूलना चाहिए की "राष्ट्र के समुदाय का स्वास्थ्य ही उसकी संपत्ति है।" अतएव राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर भारत को दूध में होने वाले मिलावट के बारे में सोचना होगा और इससे उबरने के लिए भारत सरकार को ठोस रणनीति बनाने की जरुरत है। जिससे भारत के लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो सके और शुद्ध दूध लोगों तक पंहुच सके। यदि दूध मिलावट रहित है तो यह कहने में आश्चर्य नहीं होगा कि दूध, दिव्यता की निशानी है।

 दूध पर निर्भरता लोगों के स्वास्थ्य को दिव्य बनाती है। राष्ट्र के समुदाय का स्वास्थ्य ही उसकी संपत्ति है। समुदाय या लोगो का स्वास्थ्य भोजन पर आधारित होता है। अतएव हम कह सकते हैं कि दूध, राष्ट्रीय दिव्यता का द्योतक है।

  दिव्यता की निशानी है दूध
डॉ. शंकर सुवन सिंह

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