उत्तर- पूर्वांचल राज्यों में फिर से अपनी सीमा को लेकर बंदूक की गोली चली

 सीमा विवाद को लेकर  केंद्रीय सरकार की  अब तक कोई बयान नहीं


 असम  कुछ महीने पहले  असम और मिजोरम के सीमा को लेकर  असम पुलिस के 6 जवान शहीद हुए थे . यू बात लेकर पूरे देश भर में  और देश की  पूरी मीडिया ने  आवाज उठाई थी . जिससे केंद्रीय सरकार थोड़ी सी  शक्ति दिखाई थी. लेकिन जब  राष्ट्रीय  चैनल और पेपर ओं ने इस खबर को बंद किया तब  फिर से उत्तर पूर्वांचल  राज्यों में  अपनी सीमा विवाद को लेकर  मोहन फिर से गर्म होने लगा .

इस बार असम से  भारत की  सबसे पहले सूर्य उदय होने वाली राज्य अरुणाचल प्रदेश  के बीचो में  अपनी सीमा को लेकर  बंदूक की गोलियां फिर से चली . असम की   आखिरी सीमा में बसी एक गांव जिसका नाम रामपुर है . उस गांव में इस बार अरुणाचल के कुछ  अरुणाचल की लोगों ने असम की  सरकारी लोगों  को निशाना बनाकर गोलियां चलाई .

वह लोग असम सरकार की वन विभाग के  अधिकारी और कर्मी थे . इस  घटना में कोई भी हताहत नहीं हुई या घायल नहीं हुआ . लेकिन असम सरकार  की वन  मंडल विभाग के  अधिकारी  रामपुर फॉरेस्ट  की बीट ऑफिसर  वनमाली नाराजी मरते-मरते बचे .  रामपुर में स्थित  रंगा  फॉरेस्ट रिजॉर्ट  मैं कुछ अरुणाचल प्रदेश की लोक आकर वनांचल कि पेड़ों को काट रहे थे .  यह कानून  के खिलाफ भी है . यह काम रोकने के लिए  जब असम सरकार की  वन विभाग के कर्मी  गए थे तभी यह घटना  घटी है .

इसके बाद  लखीमपुर के वन विभाग और  पुलिस प्रशासन तुरंत हरकत में आए और  घटनास्थल पर पहुंचकर  उसकी जांच की . गौर करने वाली बात है कि इसी हफ्ते  इसी वनांचल क्षेत्र के धर्मागढ़ में  इस तरह की  घटना घट चुकी है . लेकिन लखीमपुर पुलिस प्रशासन ने  और जिला प्रशासन ने भी  अरुणाचल असम की सीमा की  सुरक्षा के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया था .  जिस वजह से  1 हफ्ते के अंदर दुबारा यह घटना  हुआ है .

1 हफ्ते के अंदर दो बार इस तरह का घटना  होने के  बाद  असम के  रहने वाले लोगों के अंदर  अकबर का महल  आ गया है और स्थानीय लोग इससे चिंतित भी हो चुके हैं . और इस बार देखने वाली बात है कि इस बार लखीमपुर जिले की   प्रशासन  और  असम की राज्य सरकार  क्या कदम उठाते हैं  असम और अरुणाचल की सीमा विवाद को लेकर

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