ऊपरवाले की बेरहमी से खून के आँसू रो रहे हैं किसान

स्वतंत्र प्रभात-
पोटकपूर्वी सिंहभू झारखण्ड:
मजदूर के बाद अब किसानों के रोजी रोटी पर ग्रहण लग गयी। बिन बारिश खेत मे लगे धान , चारा सब जल गए । बदहाल किसान परेशान छोटे व्यापारी । किसानों एवं मजदूरों के आमदानी नही होने से फेरी करके एवं गांव में छोटे ब्यापारी पर इसका बहुत असर पड़ता है।ग्रामीण क्षेत्रों के मजदूरों से जब बात किया गया तो उन्होंने बताया कि जब मजदूरी बंद हुई तो सोचे खेत मे काम करके अपने परिवार का भरण पौषण करेंगे पर ऊपरवाले ने भी हमारे गरीबी का मजा ले रहा है।अब बारिश की शिकायत कहाँ करें। पहले बालू गिट्टी बंद हुआ मजदूरी का काम मिलना बंद,सरकारी राशन दुकान में समय से अनाज मिलना बंद ओर अब बारिश ने आखरी रोजी रोटी का सहारा छीन लिया । अब हम किसको फरियाद करें। कुछ किसान कहते हैं हम समिति से ऋण लेकर खेतों में खर्च किये थे जमीन भी दूसरे का रेंट में लेकर खेती कर रहे थे अब खर्च किये पैसे कहाँ से चुकाएंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूर एवं किसान बहुत ज्यादा चिंतित है सुबह उठकर बारिश की आस में रहने के बाद रात मायूसी से सोते हैं। गरीबी ने कुछ दिन पूर्व पोडाडिहा पंचायत गांव मुदासई के टोला भोक्ताटाँगा निवासी अनूप सरदार 38 वर्ष का देहांत गरीबी के कारण हो चुका है।उनकी पत्नी हमारे समाचार पत्र के माध्यम से कहती है कि आज हमारी गरीबी ने हमे बेबस कर दिया । आंख के सामने पति की मौत हो गयी। भगवान किसी को गरीब पैदा न करें। एम जी एम अस्पताल में इलाज के दौरान अधिकांश दवाई बाहर से लाने कहा जा रहा था , में कहां से लाती पैसा । लोगों से मांग कर दूसरों से उधारी लेकर इलाज करवा रहे थे । अभी में बिन पिता चार बच्चों को कैसे पालूंगी। मजदूरी का काम मिल नही रहा , खेत सूखे हुए हैं अब कैसे बच्चों को पालूंगी। उन्हें पढ़ाना तो दूर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना मुश्किल है। सरकार को जल्द मजदूरों एवं किसानों के लिए कोई रणनीति बनाने की जरूरत है ताकि उनकी आर्थिक स्तिथि सुधर सके। अगर समय रहते इस विसय को गंभीरता से नही लिया गया तो स्तिथि ओर गंभीर होगी।मजबूरी में लोगों में अपराधिक प्रवृत्ति में बृद्धि हो सकती है। रोजगार सीमित जरूरत असीमित नतीजा अपराधिक प्रवृत्ति में प्रवेश।