jummah ki namaz
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

था बहुत शोर कि ग़ालिब के उड़ेंगे पुर्जे

था बहुत शोर कि ग़ालिब के उड़ेंगे पुर्जे   मुल्क में होली भी हो गयी और जुमे की नमाज भी लेकिन ग़ालिब के पुर्जे नहीं उड़े। ग़ालिब ने खुद लिखा था - था बहुत शोर कि ग़ालिब के उड़ेंगे पुर्जे देखने हम भी गए पै ये तमाशा न मस्जिदों...
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