होली पर मानवता का रंग: कूड़ा बीन रहे बेसहारा बुजुर्ग को वृद्धाश्रम संचालक ने दिया सहारा, घरवालों की तलाश जारी

होली पर मानवता का रंग: कूड़ा बीन रहे बेसहारा बुजुर्ग को वृद्धाश्रम संचालक ने दिया सहारा, घरवालों की तलाश जारी

कौशाम्बी। होली खुशियों, रंगों और प्रेम का पर्व है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह दिन भी सामान्य दिनों की तरह ही संघर्ष भरा होता है। ऐसा ही एक नजारा मंझनपुर नगर पालिका परिषद कार्यालय के पास देखने को मिला, जहां एक बुजुर्ग व्यक्ति कूड़ा बीनते नजर आए। उनकी फटेहाल स्थिति देखकर ओसा वृद्धाश्रम के संचालक आलोक रॉय ने अपनी इंसानियत का परिचय दिया और उनकी मदद के लिए आगे बढ़े।
 
 सड़क किनारे मिले लाचार बुजुर्ग 
होली के दिन जब चारों ओर रंगों की बौछार हो रही थी, लोग अपने परिवार और दोस्तों संग जश्न मना रहे थे, उसी दौरान वृद्धाश्रम संचालक आलोक रॉय मंझनपुर से ओसा वृद्धाश्रम की ओर जा रहे थे। जैसे ही वह नगर पालिका परिषद कार्यालय के पास पहुंचे, उनकी नजर एक वृद्ध व्यक्ति पर पड़ी, जो कूड़ा बीन रहा था। उनकी हालत बहुत खराब थी—गंदे और फटे कपड़े, उलझे हुए बाल और थकी हुई आंखें, जिनमें भूख और बेबसी साफ झलक रही थी।
 
संवेदनशीलता दिखाते हुए रोकी बाइक, बुजुर्ग से पूछा नाम-पता
यह दृश्य देखकर आलोक रॉय ने तुरन्त अपनी बाइक रोकी और उस बुजुर्ग के पास पहुंचे। उन्होंने उसका नाम-पता पूछा, लेकिन बुजुर्ग कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं थे। उनका जवाब न दे पाना इस बात की गवाही दे रहा था कि या तो उन्हें अपनी पहचान याद नहीं, या फिर कोई गहरी मानसिक पीड़ा उन्हें बोलने से रोक रही थी।
 
वृद्धाश्रम ले जाकर दिलाया भोजन और दिया नया जीवन
बुजुर्ग की दयनीय स्थिति देखकर आलोक रॉय ने उन्हें अपनी बाइक पर बैठाया और पहले उन्हें फल दिलाए। फिर उन्हें ओसा वृद्धाश्रम लेकर गए, जहां सबसे पहले उनकी सफाई कराई गई। उन्हें नहलाया गया, साफ कपड़े पहनाए गए और सम्मानपूर्वक भोजन कराया गया। भोजन करते समय उनके चेहरे पर आई संतुष्टि की झलक यह बता रही थी कि शायद लंबे समय बाद उन्हें भरपेट खाना नसीब हुआ था।
 
घरवालों की तलाश शुरू, परिजनों से मिलाने का प्रयास
वृद्धाश्रम संचालक आलोक रॉय ने कहा कि अब उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि जल्द से जल्द इस बुजुर्ग के परिजनों को खोजकर उन्हें उनके परिवार से मिलाया जाए। इसके लिए स्थानीय प्रशासन और आसपास के इलाकों में जानकारी जुटाई जा रही है। यदि परिवार का कोई पता नहीं चलता, तो वृद्धाश्रम में ही उनका पूरा ख्याल रखा जाएगा, ताकि उन्हें दोबारा ऐसी बेबसी का सामना न करना पड़े।
 
होली के रंग में इंसानियत का रंग शामिल
आलोक रॉय के इस कदम ने यह साबित कर दिया कि होली सिर्फ रंग और उत्सव का पर्व नहीं, बल्कि मानवता का भी उत्सव है। जहां कई लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ त्योहार मना रहे थे, वहीं उन्होंने एक अजनबी को अपनाकर उसका जीवन संवारने की पहल की।

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