69000 शिक्षक भर्ती की CBI जांच हो
69000 शिक्षक भर्ती की सीबीआई जांच हो सपा सरकार में भर्तियों में भ्रष्टाचार राजनीतिक मुद्दा बना, पीएम ने भी इसे प्रमुखता से उठाते हुए पारदर्शी भर्ती और खाली पदों को भरने का वादा किया था, लेकिन योगी सरकार में हुआ क्या? ऐसी कोई भर्ती नहीं जिसमें पेपर लीक और धांधली न हुई हो, तब फिर
69000 शिक्षक भर्ती की सीबीआई जांच हो
सपा सरकार में भर्तियों में भ्रष्टाचार राजनीतिक मुद्दा बना, पीएम ने भी इसे प्रमुखता से उठाते हुए पारदर्शी भर्ती और खाली पदों को भरने का वादा किया था, लेकिन योगी सरकार में हुआ क्या? ऐसी कोई भर्ती नहीं जिसमें पेपर लीक और धांधली न हुई हो, तब फिर 69000 इसका अपवाद कैसे हो सकता था। इस परीक्षा का पेपर वायरल हुआ था, महीनों पीएनपी पर आंदोलन चला, रोजगार के सवाल जंतर मंतर पर आयोजित 7 फरवरी के प्रदर्शन में भी प्रमुखता से उठाया गया, रिट भी की गई थी जो लंबित हैं लेकिन दुखद यह रहा कि बेरोजगारी की मार से पीड़ित युवा जिसे लगता है कि उसका चयन हो जायेगा|
वह चाहे जितना भ्रष्टाचार हो उसे लगता है कि परीक्षा निरस्त न हो और यह स्वाभाविक भी है। अपने विवेक का भी इस्तेमाल करना जरूरी है। जिन लोगों ने पेपर आउट कराया, उन्हीं के द्वारा प्रचार कर दिया गया कि जो पास हैं उन सभी लोगों का चयन सुनिश्चित है बशर्ते 60/65 कट आफ लागू हो, भ्रष्टाचार की बहस ही पीछे चली गई, अपेक्षाकृत समर्थन नहीं मिला, अभी भी कुछ युवा भाजपा सरकार के इतना समर्थक हैं कि सरकार की किसी भी गलत नीति जिसमें स्वयं का भी अहित हो रहा हो विरोध नहीं करते, जो पहले आंदोलन में थे, उतनी सक्रियता नहीं है।
कई अन्य विवाद हैं और इस सबके बीच रोजगार और भ्रष्टाचार के सवाल पर तमाम मतभेदों के बावजूद युवाओं में जैसी एकता बनना चाहिए फिलहाल उसका अभाव दिखता है, जिसका फायदा रोजगार खत्म करने में आमादा योगी सरकार को मिल रहा है । 144 /142/ जैसे अभ्यर्थियों की जाँच होनी चाहिए अभी भी वक्त है कि मिलजुल कर भ्रष्टाचार, भाईभतीजावाद का पुरजोर तरीके से विरोध हो, अन्यथा सरकारें आती जाती रहेंगी, अगर भ्रष्टाचार संस्थाबद्ध हो गया तो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी पढ़ाई लिखाई का कोई मतलब नहीं रह जायेगा, जिससे समाज व देश का बड़ा अहित होगा।
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