तीस हजार करोड़ सालाना का है नशे का काला कारोबार

तीस हजार करोड़ सालाना का है नशे का काला कारोबार

देश के लिए नशीले ड्रग्स का बढ़ता अवैध कारोबार आतंकवाद से भी बड़ी चुनौती है। दरअसल यह देश के दुश्मनों का आतंकवाद के लिए धन जुटाने और युवाओं को ड्रग्स के जाल में फंसा कर बिना सीधे युद्ध के बर्बादी की ओर धकेलने का छ्द्म युद्ध है जिसे पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश अंजाम दे रहे हैं आप को जानकर हैरानी होगी कि गुजरात-राजस्थान में दो अलग अलग छापेमारी सिर्फ दो दिन के भीतर में 1000 करोड़ की ड्रग्स बरामद की गई है। इन में गुजरात और राजस्थान के कई जिलों में 3 महीने से अधिक समय तक चले एक ऑपरेशन में,करीब तीन सौ करोड़ का ड्रग्स बरामद किया गया है इस नेटवर्क में शामिल व्यक्तियों के साथ-साथ चोरी छिपे चल रही फैक्ट्री प्रयोगशालाओं के स्थानों की पहचान करने के लिए गहन तकनीकी और जमीनी निगरानी की गई। नशे की दुनिया में इस ड्रग्स को ड्रोन, एम-कैट, व्हाइट मैजिक, "म्याऊं म्याऊं" और बबल भी कहते हैं.वहीं दूसरी सफलता गुजरात के समुद्री तट पर एटीएस और एनसीबी की संयुक्त कार्रवाई में 86 किलो ड्रग्स बरामद कर 14 पाकिस्तानी तस्करों को गिरफ्तार किया है। इस ड्रग्स की कीमत भी करीब छह सौ करोड़ रुपए की बतायी गयी है। इस तरह दो दिन के भीतर करीब 1000 करोड़ के नशीले सामान पकड़ लिए गए। 
 
आपको बता दें कि हाल ही में दो दिन पहले एटीएस गुजरात पुलिस के साथ एनसीबी की संयुक्त कार्रवाई में नशीले पदार्थ बनाने वाली कई लैब्स का भंडाफोड़ हुआ है. मेफेड्रोन ड्रग्स बनाने वाली गुजरात और राजस्थान में 3 हाईटेक लैब्स से करीब 300 करोड़ रुपये की ड्रग्स बरामद हुई है. अब तक 7 लोग गिरफ्तार किए गए हैं और इसके मास्टरमाइंड की पहचान हो गई है। एनसीबी के मुताबिक, एटीएस गुजरात पुलिस को गुजरात और राजस्थान में गुपचुप तरीके से मेफेड्रोन बनाने वाली लैब्स के बारे पता चला. इन लैब्स का भंडाफोड़ करने के लिए एटीएस गुजरात पुलिस और एनसीबी मुख्यालय ऑपरेशंस यूनिट की एक संयुक्त टीम का गठन किया गया था। 3 महीने से अधिक समय तक चले एक ऑपरेशन में, इस नेटवर्क में शामिल व्यक्तियों के साथ-साथ गुप्त प्रयोगशालाओं के स्थानों की पहचान करने के लिए गहन तकनीकी और जमीनी निगरानी की गई। नशे की दुनिया में इस ड्रग्स को ड्रोन, एम-कैट, व्हाइट मैजिक, "म्याऊं म्याऊं" और बबल भी कहते हैं। 
 
मिली जानकारी के अनुसार इसी 27 अप्रैल को करीब 4 बजे एटीएस गुजरात पुलिस और एनसीबी  की संयुक्त टीमों द्वारा राजस्थान के जालोर जिले के भीनमाल, ओसियां पर एक साथ छापेमारी की गई. जोधपुर जिला राजस्थान और गांधीनगर जिला गुजरात में कुल 149 किलोग्राम मेफेड्रोन (पाउडर और तरल रूप में), 50 किलोग्राम एफेड्रिन और 200 लीटर एसीटोन की बरामदगी हुई और अब तक 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. गांधीनगर में पकड़े गए लोगों से पूछताछ के आधार पर अमरेली (गुजरात) में एक और जगह की पहचान की गई है, जहां छापेमारी जारी है और अधिक ड्रग्स बरामदगी की उम्मीद है। एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर ऑपरेशंस ज्ञानेश्वर सिंह के मुताबिक इस नेटवर्क के सरगना की पहचान कर ली गई है और जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. मेफेड्रोन, जिसे 4-मिथाइलमेथकैथिनोन, 4-एमएमसी और 4-मिथाइलफेड्रोन के रूप में भी जाना जाता है, एम्फ़ैटेमिन और कैथिनोन ग्रुप की एक सिंथेटिक उत्तेजक ड्रग है.नशे की दुनिया में इसे ड्रोन, एम-कैट, व्हाइट मैजिक, "म्याऊं म्याऊं" और बबल भी कहते हैं। 
 
उधर गुजरात तट से आतंकवाद विरोधी दस्ते और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो  ने जॉइंट ऑपरेशन के जरिए 86 किलोग्राम ड्रग्स बरामद किया है. बाजार में इसकी कीमत करीब 602 करोड़ रुपए आंकी गई है. एटीएस और एनसीबी ने संयुक्त कार्रवाई कर 14 पाकिस्तानी नागरिकों को भी अरेस्ट किया है. बता दें कि ये ऑपरेशन पिछले 2 दिन से चल रहा था।ऑपरेशन के दौरान गिरफ्तारी से बचने की कोशिश में पाकिस्तानी नागरिकों ने एटीएस अधिकारियों पर अपनी नाव चढ़ाने की कोशिश की और पुलिस को जवाबी कार्रवाई में फायरिंग करनी पड़ी. इसके बाद संदिग्धों को पकड़ लिया गया. सुरक्षा एजेंसियां पिछले दो दिनों से अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा के पास भारतीय जल सीमा के भीतर तलाशी अभियान चला रही थीं।
 
रिपोर्ट्स के अनुसार इंडियन कोस्ट गार्ड ने समुद्र में खुफिया जानकारी के आधार पर मादक द्रव्य विरोधी अभियान चलाया. जिसमें पाकिस्तानी नाव के 14 चालक दल के साथ 602 करोड़ रुपये मूल्य का लगभग 86 किलोग्राम नशीला पदार्थ जब्त किया गया. इंडियन कोस्ट गार्ड ने आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के सहयोग से एक सफल ऑपरेशन चलाया. ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए भारतीय तटरक्षक जहाजों और विमानों को मिशन पर तैनात किया गया था. एनसीबी और एटीएस अधिकारियों को ले जा रहे आईसीजी ने जहाज राजरतन ने संदिग्ध नाव की पहचान की. ड्रग्स से लदी नाव के चालकों ने भागने की कोशिश की, लेकिन तटरक्षक जहाज राजरतन ने इसे नाकाम कर दिया. एटीएस और भारतीय कोस्ट गार्ड की सजगता के कारण पिछले तीन वर्षों में ऐसे 11 सफल ऑपरेशन हुए हैं। 
 
सरकारी एजेंसियों का कहना है कि भारत में नशीले ड्रग्स का कारोबार तकरीबन 30 हजार करोड रुपए का है। सरकारी एजेंसीयां यह मानकर चलती हैं कि जितनी हीरोइन वह पकड़ पा रही हैं, वह देश में घूम रहे कुल हीरोइन का महज 10 फ़ीसदी होगा। इस आधार पर उनका आकलन है कि 3 हजार करोड रुपए की हीरोइन की जब्ती का मतलब है कि 30 हजार करोड रुपए का अवैध कारोबार भारत में चल रहा है। सरकारी एजेंसियों के मुताबिक यह धंधा इतना अधिक मुनाफे वाला है कि लोग मरने मारने के लिए तैयार रहते हैं। भारत पाकिस्तान के बॉर्डर के आसपास हीरोइन की तस्करी होती है। भारत नेपाल के बॉर्डर के आसपास गांजा की तस्करी होती। म्यानमार और पूर्वोत्तर भारत की सीमाओं पर भी कई तरह के नशीले पदार्थों की जमकर तस्करी होती है।नशे के कारोबार को स्थानीय बेरोजगार युवाओं के जरिए देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों और हास्टल के करीब विस्तार कर होनहार युवाओं को नशे के जाल में फंसा कर बर्बाद करने की बड़ी साजिश चल रही है सरकार अभी इस साजिश से निबटने के लिए कोई खास ड्रिल मैनेज नहीं कर सकीं है। भ्रष्टाचार भी नशे के अवैध कारोबार में बड़ी भूमिका अदा कर रहा है। 
 
दावा है कि पंजाब के बाद काश्मीर उड़ रहा है आतंकवाद से बाहर आ रहे काश्मीर को इन दिनों नशीले पदार्थ की खेप भेज कर नशे में डुबोने का खेल चल रहा है। देश में कुछ विदेशी ताकतों द्वारा नशीले पदार्थों की बड़ी खेप भेज कर एक छिपा कोल्ड वार किया जा रहा है। पाकिस्तान इस षडयंत्र का बड़ा खिलाडी है। पाकिस्तान के सीमांत भारतीय प्रदेशों में नशीले पदार्थ की तस्करी कर पैसा कमाने और उस पैसे का देश में आतंकवाद फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। हाल ही में ड्रोन के जरिए भी पंजाब और कश्मीर में हथियार और नशीले पदार्थ की खेप भेजने की अनेक वारदातों का खुलासा किया गया है। भारत सरकार को गंभीरता से कुछ सख्त फैसले लेकर नशे के कारोबार की रीड़ को तोड़ना होगा तभी नशे और आतंकवाद के सिंडिकेट को खत्म कर आंतरिक सुरक्षा को मजबूत बनाया जा सकता है।
 
मनोज कुमार अग्रवाल 
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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