कौन हैं सैम पित्रोदा? जानें राहुल गांधी से कनेक्शन; सियासी भूचाल ला देने वाले उनके 6 बड़े बयान
सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) अपने बयानों से अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं. उनके कई ऐसे बयान हैं, जिसकी वजह से कांग्रेस को उनसे किनारा करना पड़ा. पिछले दिनों वह अमेरिका में विरासत कर के बारे में अपने कमेंट को लेकर सुर्खियों में छा गए थे.

नई दिल्ली:
सैम पित्रोदा के नए बयान से कांग्रेस (Congress) एक बार फिर से घिरती नजर आ रही है. उन्होंने पूर्वी भारत और उत्तर भारत के रंग-रूप पर बयान देकर एक बार फिर से राजनीतिक भूचाल ला दिया है. कई लोगों के मन में ये सवाल जरूर होगा कि अपनी बयानबाजी से कांग्रेस को संकट में डाल देने वाले सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) आखिर हैं कौन?
बता दें कि सैम पित्रोदा का राहुल गांधी से भी खास कनेक्शन है. उनका पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है. वह इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. उनको ही भारत में सूचना क्रांति का जनक माना जाता है. यूपीए सरकार के कार्यकाल में वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में वह UN के लिए प्रधानमंत्री का सलाहकार भी रह चुके हैं.
वह जन सूचना संरचना और नवप्रवर्तन सलाहकार भी रहे. सैम पित्रोदा साल 2005 से 2009 तक भारतीय ज्ञान आयोग के चेयरमैन भी रह चुके हैं. वह भारत के दूर संचार आयोग के संस्थापक और पहले अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इस दौरान उन्होंने 21वीं सदी के लिए ज्ञान से संबंधित संस्थानों और बुनियादी ढांचे के लिए सुधार का खाका तैयार किया.
सैम पित्रोदा के बयान पर किसने क्या क्या कहा?
सैम पित्रोदा के बयान पर बीजेपी नेता और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पलटवार करते हुए कहा, "मैं दक्षिण भारत से हूं. मैं भारतीय दिखती हूं, मेरी टीम में नॉर्थ-ईस्ट इंडिया के उत्साही सदस्य हैं, वे भारतीय दिखते हैं. वेस्ट इंडिया के मेरे सहकर्मी भारतीय दिखते हैं. लेकिन नस्लवाद के लिए राहुल गांधी के राजनीतित गुरु को हम सभी अफ़्रीकी, चीनी, अरब और श्वेत दिखते हैं. अपनी मानसिकता और अपना दृष्टिकोण दिखाने के लिए धन्यवाद. I.N.D.I गठबंधन के लिए शर्म की बात!"
सैम पित्रोदा का राहुल गांधी से क्या है कनेक्शन?
सैम पित्रोदा को राहुल गांधी का राजनीतिक गुरु माना जाता है. राहुल गांधी समय-समय पर उनसे मुलाकात कर कई मुद्दों पर उनसे सलाह-मिशवरा करते रहे हैं. इससे माना जाता है कि राहुल गांधी उनके काफी नजदीक हैं. गांधी परिवार के विश्वासपात्र सैम पित्रोदा राहुल गांधी के भी काफी करीबी माने जाते हैं. यही वजह है कि विरोधी दल बीजेपी उनको राहुल गांधी का अंकल कहकर तंज कसता है.
सैम पित्रोदा का जन्म ओडिशा के टिटलागढ़ में एक गुजराती बढ़ई परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से पूरी की. वहीं वडोदरा के महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर डिग्री ली. साल 1964 में अमेरिका जाकर उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की. साल 1981 में भारत लौटकर उन्होंने देश की दूर संचार प्राणाली को मॉर्डन बनाने में मदद करने के बारे में सोचा. साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के न्यौते पर उन्होंने भारत लौटकर सी-डॉट यानि 'सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ टेलिमैटिक्स' की स्थापना की.
दूर संचार में सैम पित्रोदा का योगदान
साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आमंत्रण पर उन्होंने दूरसंचार के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए सी-डॉट यानि 'सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ टेलिमैटिक्स' की स्थापना की थी. उनकी क्षमता से प्रभावित होकर राजीव गांधी ने उनकी घरेलू और विदेशी दूरसंचार नीति को दिशा देने का काम किया. इतना ही नहीं सैम पित्रोदा एक बिजनेसमैन भी हैं. वह अमेरिका में कई कंपनियां भी चलाते हैं.
सैम पित्रोदा अपने बयानों से अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं. उनके कई ऐसे बयान हैं, जिसकी वजह से कांग्रेस को उनसे किनारा करना पड़ा. पिछले दिनों वह अमेरिका में विरासत कर के बारे में अपने कमेंट को लेकर सुर्खियों में छा गए थे. जिसके बाद कांग्रेस ने यह कहकर किनारा कर लिया था कि वह सैम का निजी बयान है, उसके पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है.
बयानों से कब-कब सुर्खियों में रहे सैम पित्रोदा
सैम पित्रोदा ने जून, 2023 में कहा था कि मंदिरों से देश की बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी दिक्कतों का समाधान नहीं होगा, इन मुद्दों पर कोई बात नहीं करता. हर कोई राम और हनुमान मंदिर की बातें करता है. उन्होंने ये कहकर राजनीतिक भूचाल ला दिया था कि मंदिर निर्माण से आपको रोजगार नहीं मिलेगा.
सैम पित्रोदा ने द स्टेटमेंट को दिए एक्सक्लूजीव इंटरव्यू में भारत को विविधतापूर्ण देश बताया है, जहा पूर्व के लोग चीनी जैसे दिखते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे, उत्तर के लोग गोरे और दक्षिण के लोग अफ्रीका जैसे दिखते हैं. हालांकि, उनके इस बयान से कांग्रेस ने किनारा कर लिया है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा ने पिछले दिनों कहा था कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है. यानी किसी शख्स के मरने के बाद उसकी संपत्ति का कुछ हिस्सा उसके रिश्तेदारों को दिया जाता है, जबकि एक बड़ा हिस्सा सरकार अपने पास रख लेती है. सैम ने इस कानून को एक रोचक कानून बताया था.
I am from South India. I look Indian! My team has enthusiastic members from north east India. They look Indian! My colleagues from west India look Indian!
— Nirmala Sitharaman (Modi Ka Parivar) (@nsitharaman) May 8, 2024
But, for the racist who is the mentor of @RahulGandhi we all look African, Chinese, Arab and the White! Thanks for… pic.twitter.com/UzXi4ndwhk
सैम को साल 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान हुआ-तो-हुआ वाली टिप्पणी पर भी आलोचना झलेनी पड़ी थी. दरअसल 1984 सिख दंगों को लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया था कि तत्तालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के इशारे पर सिख दंगे हुए थे, जिस पर सैम ने कहा था कि 1994 में हुआ तो हुआ. हालांकि बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि उनकी हिंदी अच्छी नहीं है. वह कहना चाहते थे कि जो हुआ वह बुरा हुआ.
साल 2019 में सैम पित्रोदा ने कहा थआ कि मडिकल क्लास को स्वार्थी नहीं बनना चाहिए. उनको कांग्रेस की प्रस्तावित न्याय योजना की फंडिंग के लिए ज्यादा से ज्यादा टैक्स देने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा था कि टैक्स का बोझ बढ़ने से मिडिल क्लास को स्वार्थी बनीं बनना चाहिए. उनके इस बयान पर काफी बवाल हुआ था.
साल 2018 में पुलवामा में हुए अटैक के बाद पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक को लेकर भारत सरकार के एक्शन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पुलवामा जैसे हमले होते रहते हैं. इसके बारे में मैं ज्यादा नहीं जानता. उन्होंने कहा था कि मुंबई में भी हमला हुआ था.
सैम पित्रोदा के बयान पर AAP का पलटवार
सैम पित्रोदा के बयान की आम आदमी पार्टी ने भी आलोचना की है. संजय सिंह ने कहा कि इंडिया गठबंधन का कोई नेता सैम पित्रोदा के बयान का समर्थन नहीं करता, लेकिन बीजेपी दलितों पिछड़ों से भेदभाव करती है. इसी भेदभाव के चलते पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को राम मंदिर के शिलान्यास में नहीं बुलाया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी राम मंदिर और संसद के उद्घाटन में नहीं बुलाया गया.
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