बलरामपुर में राप्ती के घट रहे जलस्तर के साथ कटान हुआ तेज

लगभग 100 बीघा जमीन फसल के साथ नदी में समाहित

बलरामपुर में राप्ती के घट रहे जलस्तर के साथ कटान हुआ तेज

 लोग कटन को लेकर उचित प्रबंध की कर रहे मांग

बलरामपुर जनपद में राप्ती का जलस्तर कम हो रहा है जिसके साथ ही लोगों की समस्याएं बढ़ गई हैं राप्ती से सटे तटीय इलाकों में राप्ती की कटान कर रही है राप्ती का कटान तेज हो गया है ।जिसके चलते लोगों की खेतों में लगी फैसले नदी में समाहित हो रही है। स्थानीय लोगों के मुताबिक लोगों का काफी नुकसान हो रहा है। लोगों ने जिला प्रशासन से कटान को लेकर उचित प्रबंध करने की मांग की है।
 
बलरामपुर जनपद में बीते दिनों हुई बारिश से राप्ती का जलस्तर लगातार बढ़ रहा था तब भी कटान तेज हो रही थी। वहीं राप्ती का जलस्तर आप काम हो रहा है अब भी राप्ती कटान तेज हो रही है। जिसके चलते बलरामपुर जनपद के तीनों तहसीलें राप्ती के कटान से प्रभावित हैं। जिसके चलते सैकड़ो बीघे की जमीन फसलों सहित नदी में समाहित हो गई है। विकासखंड हरैया सतघरवा के ग्राम पंचायत चौक कला में राप्ती नदी के कटान के कारण किसानों की करीब 100 बीघा उपजाऊ जमीन फसल सहित कट कर नदी में समाहित हो चुकी है। गांव में बना पंचायत भवन कटान से मात्र पांच मीटर की दूरी पर है। स्थानीय लोगों ने कटान को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई की मांग की है। वहीं, पचपेड़वा के खादर क्षेत्र में बूढ़ी राप्ती का जल स्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है लेकिन, लोगों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। बूढ़ी राप्ती के किनारे इमलिया खादर व पजोहा के बीच कटे बांध की मरम्मत ग्रामीण कर रहे हैं। स्थानीय ग्रामीण रमेश कुमार गुप्ता, कृष्ण यादव, रजिंदर यादव का कहना है कि बाढ़ की समस्या के समाधान के लिए जिला प्रशासन को करना चाहिए।
 
कई सड़के हुई क्षतिग्रस्त 
 
बलरामपुर जनपद में बीते दिनों हुई बारिश के चलते पानी के तेज बहाव से कई सड़के व सड़को के अप्रोच दास गए हैं। इसके साथ ही पहाड़ी नालों में हुई आई बाढ़ के चलते कई मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए हैं। जिसके चलते लोगों के आवागमन में काफी दिक्कत हो रही है। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है की हर बार यही समस्या हो जाती है लेकिन इसका कोई उचित प्रबंध नहीं होता है जिसके चलते हमेशा सड़के क्षतिग्रस्त होती रहती है।
 

About The Author

Post Comment

Comment List

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel

साहित्य ज्योतिष

संजीव-नी।
संजीव-नी।
संजीव -नी।
संजीव-नी।
संजीव-नी|