तेलंगाना की कांग्रेस सरकार का अडानी से 100 करोड़ रुपये लेने से इनकार।
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स्वतंत्र प्रभात।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार ने अडानी फाउंडेशन द्वारा यंग इंडिया स्किल्स यूनिवर्सिटी को दिए गए 100 करोड़ रुपये के दान को अस्वीकार कर दिया है। सीएम ने कहा कि यह अडानी समूह द्वारा भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोपों पर संयुक्त राज्य अमेरिका में गौतम अडानी के अभियोग को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
औद्योगिक संवर्धन, उद्योग और वाणिज्य विभाग के विशेष मुख्य सचिव और आयुक्त जयेश रंजन द्वारा डॉ. प्रीति अडानी को लिखे गए एक पत्र में कहा गया है, “आपके फाउंडेशन की ओर से यंग इंडिया स्किल्स यूनिवर्सिटी को 100 करोड़ रुपये देने के लिए हम आपके आभारी हैं। आपका पत्र दिनांक 18.10.2024 को मिला। हमने अब तक किसी भी दानदाता से धन के भौतिक हस्तांतरण के लिए नहीं कहा है क्योंकि विश्वविद्यालय को धारा 80जी के तहत आईटी छूट नहीं मिली थी। हालाँकि यह छूट आदेश हाल ही में आया है। मुख्यमंत्री ने मुझे निर्देश दिया है कि वर्तमान परिस्थितियों और उत्पन्न विवादों को देखते हुए यह धन ट्रांसफर न किया जाए।“
इस बीच कांग्रेस ने कहा- हमने संसद में 267 के तहत अडानी का मुद्दा उठाया था। अडानी समूह पर गंभीर आरोप हैं, उसके बारे में हम इस मुद्दे को सदन के समक्ष रखना चाहते थे। क़रीब ₹2030 करोड़ की रिश्वत दी गई। जनता के पैसे का इस्तेमाल रिश्वत के लिए दिया गया, इसके बारे में हम देश को सदन के माध्यम से बताना चाहते थे और प्रधानमंत्री जी और उनके मंत्री परिषद के सामने हम ये मुद्दे रख रहे थे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- इसके पहले भी अडानी समूह पर स्टॉक मार्केट की हेराफेरी, वित्तीय धोखाधड़ी और फर्जी कंपनी खड़ी करने जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं। जहाँ-जहाँ मोदी जी जाते हैं, जिस भी देश में जाते हैं, वहाँ-वहाँ अडानी को कॉन्ट्रैक्ट मिलते हैं, ऐसी बहुत लंबी लिस्ट है। इसीलिये हम चाहते थे कि इस पर सदन में चर्चा हो।
दरअसल गौतम अडानी और सात सहयोगियों पर भारत सरकार के अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर (2,029 करोड़ रुपये) रिश्वत देने का आरोप लगाने के बाद अडानी समूह अमेरिका में जांच के दायरे में है। अमेरिका की सबसे बड़ी जांच एजेंसी एफबीआई ने अडानी के खिलाफ तमाम तथ्यों की जानकारी अमेरिका की फेडरल कोर्ट को दी है। पिछले सप्ताह सार्वजनिक हुए आरोपों के कारण कई देशों को अडानी समूह के साथ सौदों पर दोबारा विचार करना पड़ रहा या उन्हें रद्द करना पड़ा है।
हालाँकि अडानी समूह ने आरोपों से इनकार किया और उन्हें 'निराधार' बताया है। उसने कहा कि वो कानूनी मदद लेंगे। यहां यह बताना जरूरी है कि अडानी समूह की ग्लोबल डील बहुत तेजी से हुई। एफबीआई ने अडानी समूह के खिलाफ एक साल पहले जांच शुरू की थी।
अडानी समूह की ग्लोबल परियोजनाओं की वजह से उसका अंतर्राष्ट्रीय पोर्टफोलियो व्यापक है और इसमें एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया की परियोजनाएँ शामिल हैं। इसराइल में अडानी समूह के पास हाइफ़ा पोर्ट में 70% हिस्सेदारी है, जो देश की वार्षिक कार्गो मात्रा में 3% का योगदान देता है। इसराइल में पीएम बेंजामिन नेतन्याहू खुद करप्शन के आरोपों का सामना कर रहे हैं। इसराइल ने अडानी डिफेंस से भी करार किया है। इसराइल ने अभी कुछ नहीं कहा है लेकिन नेतन्याहू के हटने पर उनके समय के सभी समझौतों की जांच हो सकती है। भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी नेतन्याहू को अपना दोस्त बताते रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया में कारमाइकल कोयला खदान को लेकर अडानी समूह विवादों में हैं। वहां प्रदर्शन भी हुए हैं। कार्यस्थल पर नस्लवाद और सीमित उत्पादन क्षमता के आरोपों सहित परिचालन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। तंजानियामें 39.5 मिलियन डॉलर की साझेदारी का लक्ष्य पूर्वी अफ्रीकी बंदरगाहों का आधुनिकीकरण करना है। केन्या की घोषणा के बाद अभी तक तंजानिया ने कोई बयान नहीं जारी किया है।वियतनाममें अडानी समूह ने हवाई अड्डों और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 3 बिलियन डॉलर देने का वादा किया है। वियतनाम ने भी अडानी घूस कांड सामने आने के बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
अमेरिका में मामला सार्वजनिक होते ही सबसे पहले केन्या ने अडानी समूह के साथ दो परियोजनाओं को रद्द करने के लिए तेजी से कदम उठाया। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति विलियम रूटो ने गुरुवार को कहा था कि एक खरीद प्रक्रिया जिसके तहत देश के मुख्य हवाई अड्डे का नियंत्रण अडानी समूह को सौंपा जाने वाला था, उसे रद्द कर दिया गया है।
फ्रांस की सबसे बड़ी पावर कंपनी टोटल एनर्जी, जिसके पास अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) में 20% हिस्सेदारी है, ने अडानी से संबंधित किसी भी कारोबार में किसी भी नई फंडिंग या निवेश को रोक दिया है। कंपनी ने कहा, "जब तक अडानी समूह के व्यक्तियों के खिलाफ आरोप और उनके नतीजे साफ नहीं हो जाते, टोटल एनर्जी अडानी समूह की कंपनियों में अपने निवेश के हिस्से के रूप में कोई नई फंडिंग नहीं करेगा।
श्रीलंका में जांचः यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएफसी), जिसने कोलंबो में अडानी समर्थित पोर्ट टर्मिनल परियोजना के लिए $553 मिलियन का वादा किया था, हालिया आरोपों के बाद आगे की जांच शुरू कर दी है। यानी यह डील भी लटक सकती है।श्रीलंका अडानी समूह से जुड़ी नियोजित पवन ऊर्जा (विंड पावर) परियोजनाओं की समीक्षा कर रहा है। सरकार प्रस्तावों की वित्तीय स्थिति और पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन कर रही है, आने वाले हफ्तों में कैबिनेट चर्चा की उम्मीद है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पिछले शासन के तहत किए गए ऊर्जा समझौतों की जांच के लिए एक समीक्षा समिति का गठन किया है, जिसमें अडानी पावर के गोड्डा कोयला आधारित संयंत्र से जुड़ा सौदा भी शामिल है। समिति ने इन समझौतों की शर्तों और दीर्घकालिक स्थिति के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए, इन समझौतों की जांच के लिए एक कानूनी और जांच एजेंसी को शामिल करने की सिफारिश की है।
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