संजीव-नी|
On
क्योंकि आज उसने खाना नहीं खाया|
क्योंकि आज हरिया ने खाना नहीं खाया,
हथौड़े की तेज आवाज से भी तेज,
मस्तिष्क के तंतु कहीं तेजी से
शून्य में विलीन हो जाते,
फिर तैरकर,
वापसी की प्रतीक्षा किए बिना,
आकर वापस बैठ जाते,
किसी अलग जगह में
जो पुरानी नहीं होती,
लेकिन वह
कबाड़ में हथोड़ा चलाकर
वापस आए उन विचारों का
विरोध खुलकर करना चाह रहा था,
जिसकी उसे आजादी थी,
पर इतनी ऊर्जा,ताकत
और चाहत नहीं थी,
जो बेवजह उसकी अपनी जिंदगी में,
अन्चाहों की तरह
आकर, दिमाग में चक्कर लगाते,
हथोड़ा और जंग लगा लोहा
आपस में जुगलबंदी कर
कोई मधुर गीत नहीं गा सकते थे
कोई आशा का संकेत नहीं दे सकते थे
कि आने वाला कल
खुशहाली, हरीतिमा का होगा,
किसी को शायद मालूम न था
कि उसने
हथोड़ा चलाने से पहले
और बहुत पहले और
बहुत बाद तक खाना नहीं खाया।
संजीव ठाकुर
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर
श्रम मानक तय करे सरकार, श्रमिकों का शोषण नहीं किया जाना चाहिए।: सुप्रीम कोर्ट।
23 Dec 2024 17:40:42
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जल आयोग द्वारा दो एडहॉक कर्मचारियों को अचानक बर्ख़ास्त कर देने के ख़िलाफ़ याचिका...
अंतर्राष्ट्रीय
बशर अल-अस्साद- 'सीरिया नहीं छोड़ना चाहता था, लड़ना चाहता था, लेकिन रूसियों ने मुझे बाहर निकालने का फैसला किया
17 Dec 2024 16:30:59
International Desk सीरिया के अपदस्थ नेता बशर असद ने कहा कि एक सप्ताह पहले सरकार के पतन के बाद देश...
Comment List