सरकारी जमीन कब्रिस्तान पर लगे दर्जनों पेड़ों को काट ले गए लकड़कटटे
प्रधान और लकड़कतों की मिली भगत से खेला गया खेल, सरकारी जमीन पर लगे दर्जनों पेड़ों को काटकर हजारों का खजाने को चुना
क्षेत्रीय लेखपाल व वन दरोगा सहित ग्राम प्रधान तथा लकड़कटटो की मिली भगत से हरियाली का सफाया किए जाने के लगाए जा रहे गंभीर आरोप
लखीमपुर खीरी - तहसील लखीमपुरवा वन रेंज शारदा नगर के जिम्मेदारों व लकड़ी माफियाओं के बीच गहरी साथ घाट के चलते सरकारी जमीन कब्रिस्तान में खड़े दर्जनों पेड़ों को काटकर सरकारी खजाने को हजारों रुपए के राजस्व का चुनाव लगाए जाने का मामला सामने आया है इस खेल में ग्राम प्रधान की भूमिका सवालों के घेरे में बताई जा रही है सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार तहसील क्षेत्र लखीमपुर के ग्राम पंचायत बड़ा गांव बढेरा में जो ओपन रेंज शारदा नगर के अंतर्गत आता है उक्त गांव में स्थित सरकारी जमीन जो कब्रिस्तान के नाम दर्ज कागजात बताई जाती है।
उक्त जमीन पर दर्जनों पेड़ से सम जामुन जंगल जलेबी शिव बाबुल गूलर आदि अन्य प्रजाति के पेड़ खड़े थे उक्त पेड़ों को लकड़कत्ते कलीम मशीन मासूम कली व अन्य लोगों ने क्षेत्रीय लेखपाल और बंदरों का सहित प्रदान की मिली भगत से कटकर राजस्व के लाखों का चुनाव सरकारी खजाने को लगाते हुए आपस में बंदर बांट कर लिया गया जानकारी यह भी मिली है उक्त पेड़ों की कथित नीलामी प्रधान द्वारा की गई थी नियम कहता है कि प्रधान को नीलामी करने का अधिकार ही नहीं है तथा सरकारी पेड़ों की नीलामी से पूर्व एजेंडा निकालकर प्रस्ताव पास किया जाता है।
उसमें भूमि प्रबंध समिति का सचिव क्षेत्र लेखपाल मौजूद रहता है उसके बाद वन विभाग द्वारा उक्त पेड़ों का मूल्यांकन एवं जापान किया जाता है तड़परांत सक्षम अधिकारी कर्मचारी द्वारा नीलामी की सूचना प्रकाशित करने के बाद नियत तीर्थ को बोली देता बोली दाताओं के समक्ष बोली लगाई जाती है और सबसे हाईएस्ट बोली डाटा के नाम आदेश जारी कर दिया जाता है इसके बाद वन विभाग द्वारा निकासी रमन्ना जारी किया जाता है परंतु यहां पर बगैर विद्या प्रक्रिया अपनाएं ही मनमाने तरीके से सरकारी खजाने को चूना लगाने का खेल खेला गया ऐसा आप ग्रामीणों का है।
इतना ही नहीं सरकारी जमीन से हो रहे कटान की जानकारी बंदरों का श्याम कुशल शुक्ला को दी गई तो उन्होंने कहा उसमें वन विभाग का कोई रोल नहीं है यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है आप लेखपाल से कहें. इसके बाद क्षेत्रीय लेखपाल बड़ा गांव के मोबाइल नंबर पर सूचना दी गई और जानकारी चाहिए गई तो उन्होंने बताया मैं अभी बात करके बताता हूं लेकिन किसी ने भी मामले पर गौर करना उचित ही नहीं समझा इसके परिणाम स्वरुप प्रतिबंधित प्रजाति के शीशम के कई पेड़ों के साथ काफी अन्य प्रसाद के पेड़ों को काटकर हरियाली का सफाई करवा डाला गया और राजस्व का चुनाव सरकारी खजाने को लगाकर अपनी-अपनी जेब भर ली गई।
यदि क्षेत्रीय लेखपाल और वन दरोगा लेते एक्शन तो बरामद होती कई ट्रांली लकड़ी
उक्त मामले की जानकारी जब अमर भारती समाचार के संवाददाता ने वन दरोगा श्याम किशोर शुक्ला को दी तो उन्होंने कहा वहां पर कब्रिस्तान में लगे हुए छूट प्रजाति के पेड़ काटे जा रहे हैं,प्रतिबंधित पेड़ों के कटान से मैं ठेकेदार को मना कर दिया है और यह मेरे अधिकार में नहीं आता है आप क्षेत्रीय लेखपाल या राजस्व विभाग के अफसर से बात करिए इन साहब ने मौके पर गए बगैर ही कह दिया कि प्रतिबन्धित पृजाति के पेड़ नहीं काटे जाएंगे जबकि शीशम के गिरे तीन पेड़ों को लकड़कट्टों ने काट गिराया और लकड़ी भी उठा ले गए.! चेत्रीय लेखपाल साहब को भी टेलिफोनिक अवगत कराया उनका भी वही गोलमोल रटा रटाया जवाब अभी फोन करके पता करता हूं और पल्ला झाड़ लिया दोनों कर्मचारियों के इस मिलीभगत व लापरवाही पूर्ण कार्य शैली के चलते सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा है!और यह पहला मामला नहीं है इसी शारदा नगर रेंज के विकासखंड फुलबेहड की ग्राम पंचायत इब्राहिमपुर में 13 पेड़ देसी आम के काटकर हरियाली मिटा डाली गई जब इस मामले पर वन दरोगा अनिल कुमार से जानकारी चाहि गई तो उन्होंने बताया कि हम छुट्टी पर थे लखनऊ पैर का एमआरआई कराने गए थे जबकि उस दिन 26 जनवरी रविवार का दिन था तो उक्त छुट्टी पर कैसे थे कहां एम आर आई हुई होगी उसके बाद बताया गया कि हां 21 आम के पेड़ो का परमिट था जब पूरी बाग में आम के पंद्रह पेड़ ही थे तो 21 आम के पेड़ों का परमिट कैसे और किस सक्षम अधिकारी द्वारा जारी कर दिया गया?वन दरोगा अनिल कुमार का यह कथन हास्यास्पद ही नहीं बल्कि लकड़ीमाफिया से मिली भगत होने का पुख्ता प्रमाण देता दिखाई पड़ रहा है यह हाल है शारदा नगर रज के जिम्मेदारों के जिनके संरक्षण में व्यापक स्तर पर हरियाली सफाये का खेल बदस्तूर जारी है और जिम्मेदार रेंज अफसर चैन की नींद ले रहे हैं उक्त दोनों मामलों की लिखित ऑनलाइन शिकायत कर कार्यवाही की मांग किए जाने की बात प्रकाश में आई है.
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