मौनी अमावस्या पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा मैया  में डुबकी

मेले में पेयजल,प्रकाश और सफाई की समुचित व्यवस्था ना होने से श्रद्धालु परेशान

मौनी अमावस्या पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा मैया  में डुबकी

 कलान। शाहजहांपुर/श्रृंगी ऋषि की तपोभूमि ढाईघाट में चल रहे माघ मेला राम नगरिया में तमाम अव्यवस्थाओं के बीच प्रमुख पर्व मौनी अमावस्या  पर सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान शुरू कर दिया।लाखों श्रद्धालुओं ने हरि बोलो मौनी खोलो के उद्घोष के साथ पतित पावनी गंगा मैया में डुबकी लगाकर गंगा पुरोहितों अन्न, वस्त्र, फल, मिष्ठान और नकद मुद्रा दान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। जिला पंचायत शाहजहांपुर के प्रबंधन में लगे मेले में प्रजापति ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से लगाये गये द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये।
 
मेले में साधु-संतों के पंडालों में चल रही श्रीराम कथा,भागवत,हवन,यज्ञ में हिस्सा लिया।महिला श्रद्धालुओं ने प्रसाद के रूप में श्रंगार सामग्री के साथ ही घरेलू उपयोग की वस्तुओं की खरीदारी की और गरमा गरम जलेबी और चाट- पकौड़ी का स्वाद लिया। बच्चों ने मिक्की माउस में उछलकूद और बिजली से संचालित झूले का आनन्द लिया।
 
प्यास बुझाने के लिए लिया गंगा मैया का सहारा
 लगभग तीन किलोमीटर की लम्बाई में लगे मेले में जिला पंचायत की ओर से गंगा तट पर बनाये गए सदर घाटों के समीप बने एकमात्र मूत्रालय में  मानव मल से उठती दुर्गंध से श्रद्धालुओं को लघुशंका निजात पाना तो दूर उसके पास से निकलना भी मुश्किल हो रहा था।
 
मेले में आये श्रद्धालुओं को प्यास बुझाने के लिए गंगा मैया का ही सहारा लेना पड़ा।मेले के सदर बाजार तक में एक हैण्ड पम्प दिखाई नहीं दे रहा था।मेले में कुछ चाट-पकौड़ी की दुकानों के समीप ही हैण्ड पम्प लगाए गए हैं।चाट-पकौड़ी बिक्रेताओं ने बताया कि उन्होंने दो सौ रुपये देकर अपनी दुकानों के समीप हैंडपंप लगवाये हैं।सदर घाटों पर तो प्रकाश की व्यवस्था की गई है किंतु शेष घाटों पर अंधेरा छाया रहता है।जिससे ब्रह्ममुहूर्त में गंगास्नान करने घाटों पर जाने वाले बुजुर्ग श्रद्धालु अंधेरे में गिरते नजर आए और घाट पर भीड़ भी अधिक दिखाई दी ।
 
 मेले में श्रद्धालुओं की समस्याएं सुनने के लिए बने जिला पंचायत के कैंप कार्यालय में तैनात मेलाधिकारी और कर्मचारी कार्यालय में बैठने के बजाय भीड़ बढ़ने पर अपने आवासीय टैन्ट में आराम करने चले जाते हैं।जिससे श्रद्धालुओं की समस्याओं का निदान भी नहीं हो पा रहा है।
 
मेले में स्वच्छ शौचालय बनवाये जाने के बजाय सदर घाट से पूर्व बने सुलभ शौचालय में प्रति व्यक्ति दस रुपये शुल्क बसूला जा रहा है।जिससे गंगातट पर कल्पवास कर रहे श्रद्धालु मेले के आसपास ही शौच करके गंदगी फैला रहे हैं।

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