मौनी अमावस्या पर कुंभ मेला में भगदड़। 40 लोगों के मरने की आशंका । सैकड़ो घायल ।
संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगाई गई।
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आसपास के 10 जिलों के डीएम और एसपी प्रयागराज के सीमा पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लगाया गया।
प्रयागराज।आज मौनी अमावस्या के अमृत महाकुंभ के सबसे महत्वपूर्ण स्नान पर्व पर जूटे करोड़ की उमड़ी भीड़ के चलते संगम क्षेत्र में बड़ा हादसा हुआ। और भगदड़ मच ने के कारण लगभग 40 लोगों की मौत होने की आशंका है । सैकड़ो लोग अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराए गए हैं । पूरे मेला में लगभग दोपहर तक अफरातफरी मची रही और प्रशासन सामान्य स्थिति करने में काफी मस्कत करनी पड़ी।
घटना के बारे में बताया गया कि संगम क्षेत्र के पास बने एक बाड़े में सुबह अमृत महोत्सव में स्नान करने के उद्देश्य से रात में लोग सोए हुए थे इसी बीच लगभग 2:00 बजे रात यह सूचना मिली की नागा साधुओं का जुलूस निकलने वाला है जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं का भीड़ टूट पड़ी और वहां पर सो रहे लोगों को कुचलते हुए आगे निकल गए।
बैरिकेडिंग तोड़ते हुए संगम के उस क्षेत्र तक पहुंचे जहां पर अत्यधिक भीड़ का दबाव होने के कारण भगदड़ मच गई जिससे कि काफी लोग उसके चपेट में आते गए। पुलिस 2 घंटे बाद कुचले हुए लोगों को पास में पहुंचने में सफल हो पाई। और अंत में भगदड़ में दबे लोगों को लिए किसी तरह से रास्ता बनाकर लगभग 40 एम्बुलेंस अस्पताल में घायलों को पहुंचाने के लिए लगाई गई जो पहले केंद्रीय अस्पताल महाकुंभ में ले जाएं गये लेकिन उनकी गंभीर हालत को देखते हुए स्वरूप रानी अस्पताल में भर्ती कराए गए ।जहां इलाज के दौरान भी बहुत से लोगों की मौत हुई जिसे काल्विन अस्पताल में धीरे से मृतकों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई है।
प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार लगभग मौके पर ही 20 लोग मरे थे और 20 लोग बाद में भगदड़ में गंभीर रूप से कुचल जाने के कारण । अस्पताल में मेला प्रशासन मीडिया कर्मियों को नहीं जाने दिया न तो कोई जानकारी दी बह यह इतना बयान देते रहे की भगदड़ में घटना हुई है लेकिन उसे कंट्रोल कर लिया गया है कुछ लोग घायल हुए हैं जिसमें कुछ लोग गंभीर हालत में हैं।उन्हें अस्पताल तुरंत भेजा गया है जिनका इलाज चल रहा है।
पहले प्रशासन 3 घंटे तक इस हादसे को छुपाता रहा और यह दावा करता रहा की स्थिति सामान्य है और कंट्रोल कर लिया गया है लेकिन धीरे-धीरे परिजनों की पुकार और गम्भीर स्थिति का पता चलता गया ।मौके पर पत्रकारों के पहुंच कर के देखने से हादसे की पोल खुली और अस्पताल में भर्ती और मरने वालों की संख्या के बारे में पता लग ही गया । यद्यपि की प्रशासन ने अभी तक सही-सही आंकड़ा नहीं दिया है।
इस हादसे से योगी सरकार के व्यवस्थाओं की कलई खुल गई और श्रद्धालुओं में भारी आक्रोश देखा गया। अखाड़ा के शाही स्थान पर सुबह रोक लगाई गई जिससे साधु संत पहले तो नाराजगी व्यक्त की लेकिन बाद में अखाड़ा परिषद ने इस हादसे को ध्यान में रखते हुए शाही स्नान करने से इनकार कर दिया। बाद में मुख्य मंत्री योगी के अपील के बाद वह लोग दोपहर बाद साधारण ढंग से स्नान करने के लिए राजी हुए और स्नान किया भी।
इस घटना की बहुत से साधु संत दुर्व्यवस्था और वीआईपी कल्चर को जिम्मेदार बताया है उनका कहना है कि प्रशासन लगातार मौनी अमावस्या के एक दिन पूर्व तक केवल vip स्नान में व्यस्त था और उनकी ही खैर मक़दम में करने में ध्यान दिया। यदि करोड़ों की भीड़ को ध्यान में रख करके अनुमान लगाने में वह सफल रहता तो ऐसा नहीं हो सकता था ।जबकि 2013 में लगे महा कुंभ में ऐसा हादसा हो चुका था।
फिलहाल इस समय भी मेले में करोड़ों लोग स्नान कर रहे हैं और मेले में को कंट्रोल कर लिया गया हैं ।इस हादसे की बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज के सीमा वाले जनपद वाराणसी जौनपुर प्रतापगढ़ कौशांबी रीवा मिर्जापुर आदि जनपदों के डीएम और एसएसपी से अपने क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं को कंट्रोल करने की अपील की और फिलहाल उन्हें प्रयागराज मेला क्षेत्र में संगम में स्नान करने से रोक लगा देना पड़ा जिससे प्रयागराज और आस पास जनपद के लोग स्नान करने नहीं पहुंच पाए । चारों तरफ से प्रयागराज के संगम में जाने वाले रास्तों पर पुलिस ने रोक लगा दिया।
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