कलैगुंवा ग्राम प्रधान को मिली न्यायालय से राहत

कलैगुंवा ग्राम प्रधान को मिली न्यायालय से राहत

न्यायालय के आदेश के बाद मतगणना हुयी स्थगित अन्य 13 सीटों के प्रणाम हुये घोषित ललितपुर। भ्रष्टाचार की जांच में आरोप सिद्ध होने के बाद जिला प्रशासन ने ग्राम प्रधान कैलगुंवा के अधिकारों को सीज करते हुये, उन्हें पद से अबमुक्त कर दिया था। इसके बाद प्रधान पक्ष ने जिला प्रशासन के आदेश के

 

न्यायालय के आदेश के बाद मतगणना हुयी स्थगित

 अन्य 13 सीटों के प्रणाम हुये घोषित 

ललितपुर।

भ्रष्टाचार की जांच में आरोप सिद्ध होने के बाद जिला प्रशासन ने ग्राम प्रधान कैलगुंवा के अधिकारों को सीज करते हुये, उन्हें पद से अबमुक्त कर दिया था। इसके बाद प्रधान पक्ष ने जिला प्रशासन के आदेश के खिलाफ न्यायालय की शरण ली। चूकि लंबे अंतराल के बाद भी वीचाराधीन मामले मेंं न्यायालय की कोई निर्देश न आने के संबंध मेंं वहां पर उप चुनाव कराने की निर्वाचन आयोग ने प्रक्रिया प्रारंभ कर दी थी।

प्रक्रिया पूर्ण होने से पूर्व मतदान प्रक्रिया पूर्ण होने के ठीक मतगणना से पहले उच्च न्यायालय ने तत्कालीन ग्राम प्रधान को राहत दी। जिस कारण अग्रिम आदेशों तक  यथा स्थिति बनाये रखने के कारण मतगणना को टाल दिया गया। बाकी कैलगुंवा को छोड 13  ग्राम पंचायतो का प्रणाम  घोषित किया। जिसमेंं 9 पूर्व मेंं ही निर्विरोध ग्राम प्रधान निर्वाचित हो चुके थे। सिर्फ 5 का ही परिणाम आना बाकी था। जिसमेंं से कैलगुंवा विशेष ग्राम पंचायत मानी जा रही थी। उल्लेखनीय है कि पूर्व ब्लॉक प्रमुख क्षेत्र पंचायत बार आशीष रिछारिया तथा पूर्व रोजगार सेवक सुरेन्द्र कुमार द्वारा ग्राम पंचायत कैलगुवां में रुपसिंह यादव उर्फ भूरा, संतोष, रामराज, राकेश एवं अन्य के खिलाफ  ग्रामवासियों को डराने धमकाने शिकायत की गयी थी।

साथ ही सरकारी जमीन पर कब्जा करने एवं मनरेगा में मृतकों एवं काम न करने वालों के नाम पर धनराशि आहरित करने, ग्राम निधि, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण के तहत शौचालय निर्माण में अपात्रों को लाभ पहुंचाने, योजनाओं में अनियमिता बरतने एवं सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोपों की जांच के लिए जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह द्वारा अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक आठ सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत रिपोर्ट में विस्तृत रुप से जांच आ या प्रस्तुत की। कमेटी ने पाया कि रुप सिंह यादव उर्फ भूरे एवं अन्य द्वारा लगभग 54 लाख 59 हजार रुपए मूल्य की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर उसे खुर्दबुर्द किया।

इसके साथ ही उपायुक्त श्रम रोजगार इन्द्रमणि त्रिपाठी ने मनरेगा के कार्यों की जांच के दौरान पाया कि ग्राम पंचायत कैलगुवां में मनरेगा के तहत कराये गए कार्यों में कुल 24 लाख 64 हजार 1500 रुपए का गबन किया गया है, जिसमें विभिन्न कार्यों को मानकानुरुप नहीं कराया गया था। साथ ही मृतकों के नाम पर भी जॉबकार्ड जारी कर धनराशि का भुगतान आहरित किया गया। स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण के अन्तर्गत की गई अनियमितताओं की जांच में जिला पंचायती राज अधिकारी ने पाया कि ग्राम पंचायत कैलगुवां में कुल 195 ऐसे शौचालयों की धनराशि आहरित की गई है, जिनका निर्माण कराया ही नहीं गया है अथवा अपूर्ण कराया गया है। इसके अतिरिक्त ग्राम पंचायत कैलगुवां में मुन्ना पुत्र जसू, मूले पुत्र मलखान, मुन्नीलाल पुत्र कल्ले, प्रभु पुत्र धनु में से प्रत्येक को आवास निर्माण हेतु 01 लाख 20 हजार रुपए की धनराशि अवमुक्त की गई, जबकि ये योजनान्तर्गत लाभ पाने हेतु पात्र नहीं थे। जिलाधिकारी ने इन अपात्रों से भी स पूर्ण धनराशि वसूलने के निर्देश दिये।

इस प्रकार जिलाधिकारी ने तकनीकी सहायक बालमुकुन्द से 1.7133 लाख, अरुण कुमार तकनीकी सहायक से 6.5005 लाख, ग्राम पंचायत अधिकारी/पंचायत सचिव धर्मदास सुमन से 14.2098 लाख, ग्राम प्रधान मीरा से 7.0133 लाख, पूर्व ग्राम प्रधान पुष्पा से 10.9855 लाख, पंचायत सचिव मंगल सिंह से 3.28900 लाख, रुपसिंह उर्फ भूरे यादव से 48.23 लाख तथा पुष्पेन्द्र पुत्र संतोष से 1.06 लाख की वसूली कराये जाने के आदेश जारी किये तथा उपरोक्त के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराने के निर्देश भी जारी किये। साथ ही दोषी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरु करने के भी आदेश जारी किये।

जिलाधिकारी ने निजी एवं सरकारी जमीन पर रुपसिंह उर्फ भूरा यादव द्वारा संगठित रुप से कब्जा करने के कारण रुपसिंह उर्फ भूरा यादव को भूमाफिया घोषित करते हुए एफ.आई.आर. करने के भी निर्देश दिये थे। जिलाधिकारी के आदेश बाद भी रिकबरी प्रस्तावित नहीं की गयी, हालही में प्रभारी मंत्री ने पूरे प्रकरण को संज्ञान में लिया था, इसके बाद जिलाधिकारी के आदेश पर मुख्य विकास अधिकारी ने उपायुक्त मनरेगा, परियोजना निदेशक व जिला पंचायत राज अधिकारी को पत्र जारी कर पूर्व में कार्यवाही के सम्बन्ध में जबाब तलब किया था। साथ ही इस कार्यवाही में देरी होने के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण भी तलब किया गया है। बताते चलें कि तीनों विभागों पर 24 लाख 64 हजार 15 सौ रुपये, 24 लाख 64 हजार 15 सौ रुपये की रिबकरी प्रस्तावित है।

इस प्रकार कुल 93 लाख रुपये की रिकबरी प्रस्तावित थी। पूरे प्रकरण को संज्ञान में लेकर प्रभारी मंत्री ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के निर्देश जारी किये थे। परन्तु जिला प्रशासन द्वारा वर्तमान की गयी कार्यवाही में कहीं भी सपा नेता का उल्लेख नहीं किया गया था। मनेरगा विभाग ने पूरे प्रकरण में जाँच कर देाषी तकनीकी सहायक लालसिंह, अरूण कुमार, ग्राम पंचायत अधिकारी धर्मदास सुमन, वर्तमान ग्राम प्रधान मीरा व निवर्तमान ग्राम प्रधान पुष्पा रिकवरी की रकम निर्धारित की थी।

सभी 8 लाख 39 हजार 169 रुपये वसूली निर्धारित की गयी थी। , इस प्रकार मनरेगा विभाग को कुल 25 लाख 17 हजार, 760 रुपये की वसूली प्रस्तावित की गयी थी। इस आदेश के खिलाफ ग्राम प्रधान मीरा यादव ने न्यायालय की शरण ली। लेकिन उनकी दायर याचिका पर न्यायालय ने तत्काल कोई कदम नही उठाया जिसके चलते निर्वाचन आयोग ने उप चुनाव हेतु प्रक्रिया प्रारंभ कर दी। लेकिन मतगणना से ठीक पहले न्यायालय ने चुनाव प्रक्रिया को रोक कर यथा स्थिति बनाये रखने का आदेश दिया। न्यायालय के आदेश पर कैलगुंवा  ग्राम पंचायत की मतगणना को रोक दिया। अन्य स्थानों की मतगणना पूर्ण  की गयी। 

ये हुये  निर्विरोध निर्वाचित ग्राम प्रधान

विकास खण्ड महरौनी की ग्राम पंचायत खिरिया लटकनजू मेंं देवेन्द्र कुमार, खटौरा मेंं हेमन्त कुमार, ड़ोगराखुर्द काशीराम,  ड़ोगराखुर्द बड़ी बहू,  सिलावन दीपक, चौवारा रघुवीर व विकासखण्ड तालबेहट की ग्राम पंचायत धनगौल में राजन सिंह व रारा दशरथ सिंह निर्विरोध निर्वाचित हुये। तो वहीं पचौड़ा मेंं शून्य नामांकन रहा। 

यह प्रत्याशी हुये विजयी घोषित

 विकासखण्ड मड़ावरा की ग्राम पंचायत बरौदिया से रत्तु सिंह, विकासखण्ड बिरधा की ग्राम पंचायत पटसेमरा से गंगा देवी,   विकासखण्ड बिरधा की ग्राम पंचायत देवगढ़ से दरऊ, विकासखण्ड बिरधा की ग्राम पंचायत बरौदा से  लाखन ङ्क्षसह प्रधान पद पर निर्वाचित हुये।

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