दुधवा में बंगाल टाइगर कर रहे धमाल, संख्या हुई सैकड़ा पार

दुधवा में बंगाल टाइगर कर रहे धमाल, संख्या हुई सैकड़ा पार

स्वतंत्र प्रभात लखीमपुर रवि प्रकाश सिन्हा दुधवा में बंगाल टाइगर धमाल मचा रहे हैं। जंगल में उनकी चहलकदमी सभी रेंज में अब देखी जा रही है। सौ से ज्यादा बंगाल टाइगर की मिल्कियत रखने वाले दुधवा टाइगर रिजर्व का ये दायरा यूं ही फलता फूलता नहीं जा रहा बल्कि उसके पीछे यहां का वातावरण और

स्वतंत्र प्रभात लखीमपुर रवि प्रकाश सिन्हा

दुधवा में बंगाल टाइगर धमाल मचा रहे हैं। जंगल में उनकी चहलकदमी सभी रेंज में अब देखी जा रही है। सौ से ज्यादा बंगाल टाइगर की मिल्कियत रखने वाले दुधवा टाइगर रिजर्व का ये दायरा यूं ही फलता फूलता नहीं जा रहा बल्कि उसके पीछे यहां का वातावरण और दुधवा पार्क प्रशासन की सतर्कता और सुरक्षा का भी अहम योगदान है।

यूं तो कोरोना काल में इस बार दुधवा के बाघों के चाहने वाले सैलानी न के बराबर आए, लेकिन पिछले सालों का आंकड़ा ये गवाही देने के लिए काफी है कि यहां सैलानियों से मिले देशी-विदेशी धनराशि से सरकार भी मालामाल होती रही है। करीब 2201 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले दुधवा नेशनल पार्क के क्षेत्र में अब शायद ही कोई भूखंड ऐसा रह गया हो जिसमें बाघों ने अपना आशियाना न बनाया हो वरना हर जगह दुधवा के बाघ दहाड़ और उन्मुक्त विचरण करते नजर आ रहे हैं। वहीं दुधवा से सटे पीलीभीत टाइगर रिजर्व में भी बाघों का कुनुबा फलता फूलता नजर आ रहा है।

किशनपुर सेंचुरी रेंज है बाघों का पसंदीदा ठिकाना यूं तो संपूर्ण दुधवा टाइगर रिजर्व की सरजमीं बाघों का पसंदीदा ठिकाना है लेकिन किशनपुर सेंचुरी के घास के जंगल, तालाब और जंगल से सटे गन्ने के खेत मानों टाइगर के लिए इससे अच्छी कोई जगह नहीं। साल भर में शायद ही ऐसा कोई महीना हो जब यहां बाघों की चहलकदमी आपको नजर न आए। खास बात ये है कि टाइगर रिजर्व की इस रेंज में बाघ अपने पूरे कुनुबे के साथ ही विचरण करते नजर आते हैं।

दुधवा में बंगाल टाइगर कर रहे धमाल, संख्या हुई सैकड़ा पार

ऐसा नजारा प्रदेश के अन्य किसी अभ्यारण में देखने को नहीं मिलता। महेशपुर रेंज बना बाघों का नया बसेरा यूं तो तराई के जंगल बाघों के लिए एक मुद्धत से उनके पसंदीदा ठिकाने बने हुए हैं लेकिन खीरी जिले का महेशपुर रेंज अब बाघों का नया बसेरा बनकर तैयार हो चुका है। यहां के घने सागौन के जंगल, कठिना नदी की तलहटी और जंगल से बिल्कुल सटे गन्ने के खेत और बड़ी संख्या में नील गाय, जंगली सुअर जैसा बाघों का पर्याप्त व पसंदीदा भोजन उनको किशनपुर रेंज से खीचकर यहां बस जाने को मजबूर कर रहा है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक महेशपुर रेंज में करीब डेढ़ दर्जन बाघों की मौजूदगी है जिसके लगातार बढ़ने की उम्मीद जंगल के अफसरों को बनी हुई है। यूपी में कहां कितने बाघ है यह अनुमान के लिये टीम लगा दी है|

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