अब मां के साथ ही रहेगा नवजात शिशु, हालत नाजुक होने पर भी नही किया जाएगा अलग

अब मां के साथ ही रहेगा नवजात शिशु, हालत नाजुक होने पर भी नही किया जाएगा अलग

मां और नवजात शिशु को एक ही छत के नीचे मिलेंगी नि:शुल्क वीआईपी स्वास्थ्य सुविधाएं


शिवगढ़,रायबरेली। "कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो प्यार से उछाल कर देखो यारो" इस कहावत को कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब 'सक्षम शिवगढ़' के संस्थापक डॉ.विश्वजीत कुमार व कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब की सीईओ मुख्य कार्यकारी अधिकारी वैज्ञानिक आरती कुमार ने एनएचएम 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन' एवं राज्य सरकार के समन्वित सहयोग से चरितार्थ साबित कर दिखाया है।

गौरतलब हो कि कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब के संस्थापक डॉ. विश्वजीत कुमार का राष्ट्र प्रेम एवं उनकी राष्ट्र सेवा की भावना वर्ष 2003 में उन्हें स्वदेश वापस ले आई। वर्ष 2003 में उन्होंने रायबरेली जिले के शिवगढ़ राजमहल में उन विषम परिस्थितियों में कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब की स्थापना की जब थी जब उत्तर प्रदेश में ही नहीं समूचे देश में नवजात शिशु मृत्यु दर बहुत अधिक थी।

सीईएल की वैज्ञानिक सलाह एवं तकनीकी और सार्थक प्रयासों से चंद महीनों में जो परिणाम सामने आए वह वाकई चौंकाने वाले थे। केएमसी के जादुई करिश्मे से चंद महीने में नवजात शिशु मृत्यु दर में 54 प्रतिशत कमी आ गई। जिसके बाद कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब टीम की वैज्ञानिक सलाह एवं तकनीकी सहयोग व एनएचएम उत्तर प्रदेश सरकार के समन्वित सहयोग से समूचे उत्तर प्रदेश में 174 केएमसी लाउंज स्थापित किए गए।

 जिनमें नवजात शिशुओं एवं केएमसी माताओं की  सम्मानजनक वीआईपी देखभाल से आज समूचे उत्तर प्रदेश में बचपन खिलखिला रहा है। ग्रामीण अंचल में स्थित शिवगढ़ कस्बे से शुरू हुई केएमसी क्रांति का डंका आज यूपी ही नही विश्व के कोने - कोने में बज रहा है। केएमसी को करीब से जानने के लिए भारतीय शोधकर्ताओं के साथ ही अब तक दर्जनों विदेशी शोधकर्ता कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब आ चुके हैं।


क्या है केएमसी....

कहते हैं कि मां अपने नवजात शिशु को जब अपने सीने से लगाकर गर्माहट (केएमसी) देती है नवजात शिशु और मां के मध्य एक मजबूत बान्ड बनता है उनका रिश्ता प्रगाढ़ और मजबूत होता है। शिशु चौकता नही है, उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, उसका शारीरिक एवं मानसिक विकास तीव्र गति से होता है। ज्ञात हो कि केएमसी 'कंगारू मदर केयर' देखभाल एक तकनीक है जो किसी जादुई करिश्मे से कम नही है।

 इस विधि में समय से पूर्व जन्मे लो बर्थ वेट अथवा अपरिपक्व कम वजन के नवजात शिशुओं को मां अथवा परिवार का कोई भी वयस्क सदस्य अपने सीने से लगाकर त्वचा से त्वचा का स्पर्श देकर सीने की गर्माहट देता है। जिससे उसके शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। इससे वह हाइपोथर्मिया (ठंडा बुखार) आदि का शिकार नही होता।

साकार हुआ सपना, बुलंदशहर में बन रहा यूपी का मॉडल एमएनसीयू
बुलन्दशहर की तर्ज पर यूपी के प्रत्येक जिले में बनेगा एमएनसीयू

कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब के संस्थापक डॉ.विश्वजीत कुमार व सीईओ आरती कुमार का सपना था कि प्रसव के बाद नवजात शिशु अथवा मां की कितनी भी गम्भीर हालत क्यों ना हो उन्हें एक दूसरे की नजरों से ओझल अथवा अलग ना किया जाए, मां और शिशु को सम्मानजनक तरीके से बेहतर से बेहतर नि:शुल्क वीआईपी स्वास्थ्य सुविधाएं मिले। सीईएल की वैज्ञानिक सलाह एवं तकनीकी सहयोग व एनएचएम उत्तर प्रदेश सरकार के समन्वित सहयोग से 30 सितम्बर 2019 को यूपी के बदायूं में केएमसी से प्रेरित देश एवं प्रदेश के पहला एमएनसीयू ( मदर न्यू बोर्न केयर यूनिट) नवजात शिशु - मां देखभाल ईकाई की स्थापना की गई थी।

 एमएनएसयू की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए इसका विस्तार करने के उद्देश्य से  अभी हाल ही में सीईएल व बुलन्दशहर की स्वास्थ्य टीम ने सफदरगंज दिल्ली हॉस्पिटल के एमएनसीयू का विजिट किया था। जहां से वापस लौटने के बाद सीईएल की वैज्ञानिक सलाह एवं तकनीकी सहयोग व एनएचएम उत्तर प्रदेश सरकार के समन्वित सहयोग से बुलंदशहर के जिला कस्तूरबा महिला अस्पताल में यूपी का मॉडल एमएनसीयू बनाया जा रहा है।

 जिसमें बुलंदशहर के जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग का भरपूर सहयोग मिल रहा है। इसी की तर्ज पर यूपी के प्रत्येक जिले में एमएनसीयू बनाया जाएगा। सीईएल सीईएल की सीईओ आरती कुमार, प्रमोद सिंह, अग्रिमा आरती साहू,सत्य प्रकाश,अनूप शुक्ला, प्रिया चतुर्वेदी, अग्रिमा कमलेश आदि की - देख रेख जिसे बनाने का कार्य इस समय युद्ध स्तर पर चल रहा है। इससे पूर्व नवजात शिशुओं की बेहतर देखभाल के लिए प्रत्येक जिले में केएमसी लाउन्ज के बगल में एसएनसीयू (सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट) नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई की स्थापना की गई थी। किंतु इसमें मां की हालत गम्भीर होने पर मां को कहीं अन्यत्र रेफर करना पड़ जाता था।

जिससे मां और शिशु दोनों एक दूसरे की नजरों से ओझल हो जाते थे, दोनों को एक दूसरे की कमी महसूस होती थी। जिसे दृष्टिगत रखते हुए एमएनसीयू की कल्पना की गई थी। अब मां अथवा नवजात शिशु की हालत गम्भीर होने पर भी उन्हें एक दूसरे से अलग अथवा एक दूसरे की नजरों से ओझल नहीं किया जाएगा। एमएनसीयू में एक ही छत के नीचे दोनों का बेहतर से बेहतर इलाज एवं वीआईपी देखभाल की जाएगी।

 गुरुवार को विकास प्राधिकरण बुलन्दशहर की वाइस चेयर निशा अनन्त,मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक ने बनाए जा रहे एमएनसीयू की तैयारियों का जायजा लिया एवं पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया। इस मौके पर सीएमएस ज्योत्सना कुमारी, रश्मि पांडेय,डॉ.राकेश शर्मा,डॉ.राजेन्द्र कुमार,भूपेंद्र शर्मा,हॉस्पिटल क्वालिटी मैनेजर अनुराग, मनोज शर्मा,हिमांशु,श्रुति कीर्ति,एसएनसीयू इंचार्ज मोनिका ,मोहम्मद तफ़्सीर आदि लोग मौजूद रह।

आधुनिक सुविधाओं से लैस  होगा एमएनसीयू
एमएनसीयू में एक ही छत के नीचे रेडिएंट वार्मर,रिमोट कंट्रोल (सेमी फाउलर) बेड,बेडसाइड स्टूल,टेबल, बेड साइड कर्टेन , बायोमेडिकल कलर कोडेड ट्राली,स्ट्रेचर,व्हीलचेयर,नर्सिंग स्टेशन,चिकित्सक कक्ष,परीक्षण एवं परामर्श कक्ष,भोजनालय,पेयलज वाटरकूलर, आओ युक्त रसोई आदि रहेगी। एमएनसीयू को आकर्षक बनाने के लिए फर्नीचर एवं चिकित्सीय सुविधाओं को सुसज्जित ढंग से स्थापित किया जाएगा। सबसे खास बात रहेगी की यूपी के सभी एमएनसीयू एक ही कलर और डिजाइन में नजर आएंगे।

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