तांत्रिको की प्रमुख रात्रि दीपावली,अमावस्या-कौशलेन्द्र शास्त्री

तांत्रिको की प्रमुख रात्रि दीपावली,अमावस्या-कौशलेन्द्र शास्त्री
दीपावली,अमावस्या की रात्रि तंत्र साधना की महारात्रि-आचार्य कौशलेन्द्र शास्त्री
दीपावली की रात तंत्र शास्त्र की महारात्रि होती है। इसदिन सन्यासी-अघोरी लोग नकारात्मक शक्तियों को सिद्ध कर विजय हासिल करते है। जानकार कहते है कि 21वीं सदी में भी डॉक्टर-इंजीनियर जैसे जागरूक_लोग तंत्र-मंत्र पर विश्वास करते है। वैज्ञानिक चांद से लेकर मंगल तक पहुंच गए, लेकिन तंत्र-मंत्र की गुप्त विद्या उन्हे विचार करने के लिए विवश कर देती है।
इसका बानगी दीपावली की रात्रि दिखाई देता है। जब कई संपन्न परिवार के सदस्य अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए तंत्र विद्या का सहारा लेते है।
तंत्र-मंत्र सांकेतिक भाषा का रहस्य है। इसका जिक्र शास्त्रों में सांकेतिक भाषा के रूप में है। तंत्रशास्त्र में दो बातें मिलती हैं पहला साधना का फल व दूसरा विधि का अंश। विधि विधान संकेतों में बताए गए हैं। किस मनो भूमि का व्यक्ति, किस काल, किन मंत्रों का किन उपकरणों द्वारा क्या प्रयोग करें, यह सब संकेत सूत्र में छिपाकर रखा गया है। तंत्रशास्त्र गुप्त इस कारण है कि अनाधिकारी लोग इसे प्रयोग न कर सकें। साधना और उसके विधि-विधान को गुप्त रखने के अनेक आध्यात्मिक कारण है।
तंत्रशास्त्र में अनेक विधान हैं जैसे की टोना, टोटका, उपाय, उतारा, साधना सिद्धि आदि। टोना का उपयोग शत्रु के अनिष्ट के लिए होता है। जबकि टोटका स्वार्थं पूर्तिंके लिए ही किया जाता है। तंत्रशास्त्र का उपयोग त्यौहारों के आते ही आरंभ हो जाता है मगर तंत्रशास्त्र अनुसार दीपावली पर किए गए टोटके अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं। दीपावली पर मंत्र जगाए जाते हैं व विशेष सिद्धियों पर विजय पाई जाती है।
संसार की रचना के साथ ही कई चीजों का अविष्कार हुआ है। जैसे-जैसे मनुष्य ने उन्नति की अपने स्वार्थं, पुरुषार्थं, परोपकार के लिए कुछ न कुछ खोजता रहा, ये जिज्ञासा संसार में सदैव प्रबल रही है। कई ऐसे सिद्धिप्रद मुहुर्तं होते हैं जिनमें तंत्रशास्त्र में रुचि लेने वाले तथा इसके प्रकांड ज्ञाता तंत्र-मंत्र की सिद्धि, प्रयोग, व अनेक क्रियाएं करते हैं। इन महूर्तों में सर्वांधिक प्रबल महूर्तं हैं धनतेरस, दीपावली की रात, दशहरा, नवरात्र व महाशिवरात्री। इसमें दीपावली की रात्र को तंत्रशास्त्र की महारात्रि कहा जाता है।
बदलते समय के साथ दीपावली पर होने वाले टोने-टोटके और तांत्रिक गतिविधियों में अब कई तरह के बदलाव आ गए हैं। माना जाता हैं कि दीपावली के पांच दिनों में खास करके दीपावली की रात्रि कई तांत्रिक अनेक प्रकार की तंत्र साधनाएं करते हैं। वे कई प्रकार के तंत्र-मंत्र अपना कर शत्रुओं पर विजय पाने, गृह शांति बढ़ाने, लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने तथा जीवन में आ रही कई तरह की बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए विचित्र टोने-टोटके अपनाते हैं।
लक्ष्मी की बहन दरिद्रा भू-लोक की करती है सैर
मान्यतानुसार दीपावली की महारात्रि देवी लक्ष्मी अपनी बहन दरिद्रा के साथ भू-लोक की सैर पर आती हैं। जिस घर में साफ-सफाई और स्वच्छता रहती है, वहां मां लक्ष्मी अपने कदम रखती हैं और जिस घर में ऐसा नहीं होता वहां दरिद्रा अपना डेरा जमा लेती है। जादू-टोना, व टोटका आदि का संबंध ऋग्वेदकाल से माना जाता है। अथर्ववेद में भी इन विषयों का वर्णन है। कई स्थानों पर नवरात्र आरंभ होते ही लोग सजग हो जाते हैं तथा उनकी यह सजगता दीपावली के खत्म होने तक बनी रहती है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह सभी कर्म रात्रि के समय किए जाते हैं अथात सूर्य के आभाव में। जब महामावस्या अर्थात दीपावली पर चंद्रमा बलहीन हो जाता है तभी अभिचार कर्मां अपने परचम पर होता है।
ज्योतिष सेवा केन्द्र लखनऊ
आचार्य कौशलेन्द्र पाण्डेय जी
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