मक्कार चीन तू मान भी जा

मक्कार चीन तू मान भी जा

मक्कार चीन तू मान भी जा,अब आंख दिखाना छोड़ हमें !हमसे ही पैसे कमा-कमा,भीतर बाहर ना तोड़ हमें !! हमने समझा तुझको भाई,पर तू तो निपट कसाई है!तू धूर्त पड़ोसी भारत का,कुछ लाज शर्म ना आई है!!कर दें तुझको,बर्बाद बहुत, ऐसे भी ना अब मोड़ हमें !मक्कार चीन,तू मान भी जा,अब आंख दिखाना छोड़ हमें!!

मक्कार चीन तू मान भी जा,
अब आंख दिखाना छोड़ हमें !
हमसे ही पैसे कमा-कमा,
भीतर बाहर ना तोड़ हमें !!


हमने समझा तुझको भाई,
पर तू तो निपट कसाई है!
तू धूर्त पड़ोसी भारत का,
कुछ लाज शर्म ना आई है!!
कर दें तुझको,बर्बाद बहुत,


ऐसे भी ना अब मोड़ हमें !
मक्कार चीन,तू मान भी जा,
अब आंख दिखाना छोड़ हमें!!


ये तेरी अर्थव्यवस्था तो,
भारत के दम पर, चलती है!
चीनी चीज़ों को बेच-बेच,
वहां,तेरी जनता पलती है!!


हमने तो तुझको जोड़ा था,
पर तू भी तो,कुछ जोड़ हमें!
मक्कार चीन तू मान भी जा,
अब आंख दिखाना छोड़ हमें!!


हम समझ गए,मक्कारी को,
तेरी इस,झूठी यारी को!
जो तू छुप-छुप कर,करता है,
उस जंग भरी तैयारी को!!
मिट्टी के मटके समझ समझ,


कर तू ऐसे ना फोड़ हमें!
मक्कार चीन,तू मान भी जा
अब आंख दिखाना छोड़ हमें!!

(- रंजना मिश्रा )©️
कानपुर, उत्तर प्रदेश

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