सिविल जज जूनियर डिवीजन नियुक्ति विज्ञापन त्रुटिपूर्ण : संजय मेहता

सीएम को लिखा खत, ओबीसी को मिले आरक्षण, उम्र सीमा में दी जाए छूट

सिविल जज जूनियर डिवीजन नियुक्ति विज्ञापन त्रुटिपूर्ण : संजय मेहता

झारखंडी मुद्दों की लड़ाई लड़ रहे हज़ारीबाग, बरही निवासी एवं लॉ के छात्र संजय मेहता ने सीएम को एक पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि सिविल जज जूनियर डिवीजन की नियुक्ति परीक्षा विज्ञापन में कई खामियाँ हैं। ओबीसी को उम्र सीमा में छूट नहीं दी गयी है। साथ ही उम्र सीमा का कट ऑफ 2023 की जगह 2018 करने की माँग की गयी है। इसके साथ ही पत्र में अन्य माँगे भी की गयी है।

पत्र में उन्होंने विषय का उल्लेख करते हुए झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन संख्या 22/2023 के संदर्भ में तथ्यों के साथ बिंदुओं को रखा है।

सीएम हेमन्त सोरेन से अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा है कि झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा 22/2023 विज्ञापन जारी किया गया है। यह विज्ञापन झारखण्ड न्यायिक सेवान्तर्गत सिविल जज (जूनियर डिवीजन) नियमित नियुक्ति परीक्षा के लिए जारी किया गया है।

पत्र में कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग, झारखण्ड, रांची के पत्रांक- 791 दिनांक- 10.02.2023 द्वारा अधियाचित एवं संसूचित रिक्तियों के अनुरूप झारखण्ड न्यायिक सेवान्तर्गत "सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के 138 रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति हेतु जारी इस विज्ञापन में संवैधानिक एवं कानूनी बिंदुओं के आधार पर त्रुटियों का उल्लेख है।

क्या हैं पत्र के मुख्य बिंदु

श्री मेहता ने लिखा है कि झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा अभी तक सिर्फ चार बार ही झारखंड न्यायिक सेवा अंतर्गत झारखंड ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की परीक्षा का आयोजन हुआ है। पहली परीक्षा 2008, दूसरी परीक्षा 2014, तीसरी परीक्षा 2016 और चौथी परीक्षा 2018 में आयोजित हुई है।

2018 के बाद अब 2023 में यह परीक्षा आयोजित हो रही है। ऐसे में उम्र सीमा में छूट देना विधिक तौर पर उचित प्रतीत होता है। क्योंकि पाँच सालों तक परीक्षा आयोजित ही नहीं हुई। जबकि इस परीक्षा में ओबीसी को उम्र सीमा में कोई भी छूट नहीं दी गयी है। ऐसे में सभी को अवसर नहीं मिल पाएगा।

जबकि पड़ोसी राज्य बिहार ने झारखंड से अलग होने के बाद से ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की परीक्षा आठ बार आयोजित की है। साथ ही एसटी, एससी, ओबीसी को उम्र सीमा में पाँच साल की छूट भी दी है।

उन्होंने कहा है कि जेपीएससी द्वारा जारी विज्ञापन संख्या 22/2023 में उम्र सीमा का कट ऑफ डेट 31.01.2023 निर्धारित किया गया है। क्योंकि पिछले पाँच सालों में नियुक्ति हुई ही नहीं है ऐसे में उम्र सीमा का यह कट ऑफ डेट उचित नहीं प्रतीत होता है। यह अवसर की समानता के संवैधानिक अधिकार के विरुद्ध है।

बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 का हवाला

संजय मेहता ने लिखा है कि बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 85 में विधियों के अनुकूलन की शक्ति है। तथा धारा 86 में विधियों के अर्थान्वयन कि शक्ति का प्रावधान है। अर्थात बिहार राज्य में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की भर्ती से संबंधित एसटी, एससी, ओबीसी तथा महिलाओं की आरक्षण तथा उम्र सीमा में छूट की जो व्यवस्था है। उसी उम्र सीमा और छूट को झारखंड में लागू किया जा सकेगा।

तथ्यों के आधार पर लाखों छात्रों की ओर से सरकार से माँगे भी रखी है।

उन्होंने कहा है कि झारखण्ड न्यायिक सेवा अंतर्गत सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की परीक्षा में एसटी, एससी, ओबीसी, सामान्य वर्ग के सभी अभ्यर्थियों के उम्र सीमा में वृद्धि की जाए। साथ ही सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के तुलना में ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को 5 वर्ष अतिरिक्त उम्र सीमा में छूट दी जाए। साथ ही ओबीसी को केंद्र की भांति 27 प्रतिशत वर्टिकल आरक्षण की व्यवस्था की जाए।

झारखंड न्यायिक सेवा की परीक्षा में सीएनटी एक्ट 1908 एवं एसपीटी एक 1949 विषय को जोड़ने की बात पत्र में कही गयी है। झारखंड न्यायिक सेवा की परीक्षा में चयन हेतू उम्र सीमा के लिए कट ऑफ डेट 31.01.2023 के स्थान पर 31.01.2018 करने की माँग की गयी है। ताकि अन्य अभ्यर्थियों को भी मौका मिल सके।

झारखंड न्यायिक सेवा की परीक्षा प्रत्येक वर्ष लेने हेतू एक स्पष्ट नियमावली बनाने की भी मांग की गयी है।

उन्होंने सीएम से  कार्मिक, प्रसाशनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग झारखंड सरकार को उचित परामर्श देते हुए संशोधित अधियाचना झारखंड लोक सेवा आयोग को भेजने का अनुरोध किया है। साथ ही यह भी अनुरोध है कि वर्तमान विज्ञापन को रद्द करते हुए जल्द से जल्द जेपीएससी द्वारा संशोधित विज्ञापन जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करने की प्रक्रिया शुरू की जाए।

क्या कहते हैं संजय मेहता

संजय मेहता ने कहा कि मैं भी कानून का छात्र हूँ। एलएलबी के बाद फिलहाल एलएलएम कर रहा हूँ। न्यायिक सेवा के लिए मंगाए गए आवेदन के विज्ञापन में कई त्रुटियां हैं। ऐसे में कई नौजवानों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा। हमलोग लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके बावजूद भी सरकार इतनी बड़ी गलती करेगी तो छात्र कहाँ जाएंगे। न्यायिक सेवा में भी अन्याय होने लगेगा तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। सरकार जल्द त्रुटि दूर कर तुरंत विज्ञापन जारी करे।

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