प्रवेश और निकास मार्ग के लिए तरस रहे दिल्ली के गांव
On
आधुनिकता की चकाचौंध में राजधानी दिल्ली के पुराने बसे गांव उचित प्रवेश और निकास मार्गों लिए तरस रहें हैं। कुछ ऐसा ही हाल द्वारका एक्सप्रेस पर सदियों से बसे भरथल गांव के साथ भी है। भारत ही नही बल्कि एशिया के सबसे बड़े एक्सपो सैंटर के सामने बसे इस गांव की आज हालत यह है कि कहने को तो इसको दो दिशाओं से आवागमन के लिए कई मार्ग प्रदान किए गए हैं परन्तु काम का एक भी नही है। एक दिशा के प्रमुख रास्ते की हालत तो यह है कि वो टूटा फूटा कंकर पत्थरों कीचड से भरा रहता है जिस पर बरसात में तो छोड़ों आम दिनों में चलना भी असंभव है। मार्ग दोनो और से झाडियों से घिरा हुआ है। जिस पर हर समय गंदा पानी और बदबूदार काली गाद ही भरी रहती है।
मार्ग के दोनों ओर कुडे के अम्बार लगे रहते है। मजबूरी में लोग इस मार्ग का इस्तेमाल करते हैं और आए दिन हादसों का शिकार होते रहते हैं। यह मार्ग शराबी और नशेडियों का पसन्दीदा अड्डा बन चुका है। मार्ग पर स्ट्रीट लाइट तक की व्यवस्था नही है। अनेकों बार परेशान ग्रामीणवासी इस रास्ते की शिकायत प्रशासन से कर चुके हैं परन्तु अथॉरिटी के कानों पर जूं तक नही रेंगती। इस रास्ते की हालत बद से बदतर हो चुकी है। यह मार्ग आगे जाकर ओल्ड गुरूग्राम-बहादुरगढ मार्ग से मिलता है। असल में यह मार्ग दो नगर निगम पार्षदो, डीडीए की स्पष्ट तह सीमा में ना होने की मार झेल रहा है। इस मार्ग का अभी तक यह पता नही लग सका है कि यह बिजवासन नगर निगम पार्षद या द्वारका-सी नगर निगम पार्षद या डीडीए अंडर आता है।
गांव का एक निकासी मार्ग बिजवासन रेलवे स्टेशन की ओर से होते हुए गुरूग्राम-बहादुरगढ मार्ग पर निकलता जो इतना संकरा है कि उस पर एक साथ दो छोटी गाड़ियां भी आसानी से नही निकल सकती। अब यदि हम गांव के दूसरी दिशा के मार्ग की बात करें तो वो रास्ता सीधा द्वारका एक्सप्रेस वे पर जाकर निकलता है जो आगे चलकर दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस वे से मिलता है। इस मुख्य परिवहन मार्ग पर हर समय इतना भारी और तेज स्पीड ट्रैफिक रहता है कि गांव से निकलती सवारी के लिए दुर्घटनाग्रस्त होने का डर बना रहता है। द्वारका के अलग अलग सैक्टर के मैटो स्टेशन, गुरूग्राम उद्योग नगर, जनकपुरी, डाबडी, धौला कुंआ, नेशनल हाईवे आदि स्थानों पर जाने के लिए यू टर्न लेना पड़ता है।
यू टर्न जिसके लिए रोड पर एक अंडरपास की व्यवस्था की गई है। जो की पीछे से आ रहे मुख्य मार्गो के तेज ट्रैफिक के लिए है ना की गांव के लिए, वैसे भी उस अंडरपास तक पहुंचने लिए गांव के लोगों को द्वारका एक्सप्रेस वे को लांघ कर जाना पड़ता है। जो की तेज प्रवाह में चलते ट्रैफिक में अत्यन्त जोखिम भरा कार्य है इसी कारण इस मार्ग पर आए दिन दुर्घटनाए होती रहती है जिसमें आए दिन लोग जान गंवाते रहते हैं। मुख्य मार्ग पर ही एक यू टर्न भी दिया गया है जो गांव से लगभग 2 कि.मी दूरी पर उल्टी दिशा में चलने के बाद आता है। आए दिन अपनी मांग को लेकर ग्रामवासी धरना प्रदर्शन करते रहते परन्तु प्रशासन की उदासीनता ने गांव के लोगो में निराशा भर दी है।
आखिर क्यों सरकार और प्रशासन गांव के साथ इस तरह का सौतेला व्यवहार करते हैं। लगभग हर जगह नेशनल हाई वे और एक्सप्रेस वे पर गावों को सर्विस रोड दिए गए है परन्तु भरथल गांव को कोई सर्विस रोड नही दिया गया है। द्वारका और उसके आधुनिक रोड दिल्ली देहात की जमीनो में ही बने है परन्तु सरकार ने उनके लिए कोई सुविधाजनक काम नही किया बल्कि उनके लिए कठिनाईया और बढा दी है। जहां पहले कालेज या स्कूल के बड़ी क्लासों के बच्चे द्वारका के कोचिंग सैंटरो में साईकल या विद्युत स्कूटी पर बड़ी आसानी से चले जाते थे। आज उनके लिए द्वारका सेक्टर में जाना बहुत कठिन काम हो गया है। मां बाप खुद साथ जाकर मुश्किल हालातों में उन्हे टयुशन सैंटरो तक पहुंचा कर आते और वापिस ले कर आते है।
कई मां बाप वही सैंटरो के बाहर बैठे रहते क्यों की वापिस आकर फिर जाने के लिए लम्बा रास्ता काटकर आना पडता है। यदि मां बाप को कोई काम है तो बच्चों को छुट्टी करनी पड़ती है क्यों की अभिभावक बच्चों को अकेला भेजने से डरने लगे हैं। क्यों कि आए दिन मार्ग पर हादसे होते रहते है। भरथल बहुत पुराने समय से बसा हुआ गांव साथ लगते गावों में अपने भाईचारे में जाने के लिए बड़े बुढे पैदल चले जाते थे अब उनके लिए भी तेज रफ्तार ट्रैफिक को पार कर आना जाना बहुत मुश्किल हो गया है। भरथल गांव में श्री दादा मोटे मंदिर धाम भी है। जहां की मानता दूर दूर तक लाखों लोगो में है। हर साल मन्दिर में एक बड़े मेला का आयोजन किया जाता है।
जहां हजारों की संख्या में लोग पहुचते है। उनके लिए भी मन्दिर पहुंचना अब बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य हो गया है। नेता वोट लेने तो आ जाते परन्तु गांव के हित में काम करने के लिए तैयार नही होते। गांव के लोग अपनी मांगो को लेकर जगह जगह धरने प्रदर्शन करते रहते हैं परन्तु कोई सुनने को तैयार नही है। यह हाल सिर्फ एक गांव का नही है। दिल्ली देहात के ज्यादातर गावों के साथ अलग अलग समय की सरकार यह व्यवहार करती आई हैं।
देहात की जमीनों पर कलोनिया बसाने के चक्कर मे गांव के गांव उठा दिए जाते हैं। कई गावों के नाम तक खत्म हो गए है। डीडीए या अन्य आथोरटीज कृप्या इस और ध्यान दे कि उनकी प्लानिंग से बाहर से आकर नए लोग तो दिल्ली में बस रहे है और सरकार व डीडीए देहात की जमीनो पर बड़ी बड़ी बिल्डिंगे बना कर और सुपर फास्ट रोड बना कर पैसे तो खूब कमा रही है परन्तु दिल्ली देहात के मूल निवासियों का जीवन मुश्किल करती जा रही है। सर्विस रोड दिल्ली देहात के गांवो का हक है और सरकार को विश्वास कर के चुनने वाले लोगो को उनका हक हर हाल में मिलना ही चाहिए।
(नीरज शर्मा'भरथल')
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर
तेलंगाना राजपत्रित अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष मोहम्मद रफी ने कहा कि उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए
13 Nov 2024 16:38:21
गोवर्धन उपाध्याय की रिपोर्ट राजपत्रित अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष मोहम्मद रफी ने कहा कि उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई...
अंतर्राष्ट्रीय
इस्लामिक देशों की बैठक के बीच सऊदी के विदश मंत्री अचानक भारत पहुंचे, जयशंकर ने बुलाया
13 Nov 2024 17:56:26
International Desk सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद भारत की धरती पर उतर चुके हैं।...
Comment List