सफल और सुरक्षित रहने लिए संगठित होना जरुरी : शांतनु महाराज

सफल और सुरक्षित रहने लिए संगठित होना जरुरी : शांतनु महाराज

 
वाराणसी:  सफलता और सुरक्षा के लिए लोग सतयुग में तपस्यात्रेता में यज्ञद्वापर में उपासना करते थे। अगर कलयुग में सफल और सुरक्षित रहना है तो संगठित होना होगा। अपनी भारतीय संस्कृति और पहचान पर गर्व करना होगा।  यह कहना है आचार्य शांतनु महाराज का। 
शिवपुर स्थित मिनी स्टेडियम में क्षत्रिय धर्म संसद की ओर से आयोजित दो दिवसीय शौर्य कथा के पहले दिन प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा में शस्त्र चलाना धर्म है। विधर्मियों के सामने नतमस्तक होना अधर्म है। कहा कि हनुमान जी आत्मरक्षा सिद्धांत के प्रतिपादक है। हनुमान जी ने लंका में असुरों के नतमस्तक नहीं हुए।
अपने बल और शौर्य से असुरों का नाश किए। कहा किव्यक्ति में संगति से गुण-दोष उभरते हैं। शौर्य जागरण के लिए महापुरुषों का स्मरण जरुरी है। इस अवसर पर रणविजय सिंहराहुल सिंहडॉ अरविंद सिंहपीठाधीश्वर अभय सिंहमहापौर अशोक तिवारीसंजीव कुमार सिंहमहेश्वर सिंहदृग बिंदु मणि सिंहअरुण कुमार सिंहठाकुर कुश प्रताप सिंहपद्मश्री चंद्रशेखर सिंहसत्येंद्र सिंहसंजय कुमार सिंहडॉ राम मूर्ति सिंहज्ञानेंद्र सिंहआशुतोष श्रीवास्तव आदि लोग उपस्थित रहे।

 

13 जनवरी छेरछेरा पर्व पर विशेष –
 

 ग्राम्य परिवेश में धान्य देवी की पूजा छेरछेरा पर्व

   - सुरेश सिंह बैस "शाश्वत" 

   छत्तीसगढ़ राज्य में माघ पूर्व की पूर्णिमा के दिन हर्ष और आनंद के साथ मनाए जाने वाला छेरछेरा पर्व यहां की सांस्कृतिक एवं सामाजिक महत्व को दर्शाने वाला एक लोकप्रिय त्यौहार है। मुख्य रूप से यह पर्व कहा जाये तो ग्रामीण व गांव देहातों में अपने पूरे चरमोत्कर्ष पर देखा जाता है। इसका कारण है इस त्यौहार का धान के फसल व खेत खलिहानों से घनिष्ट संबंध होनाशहरों में भी इसे मनाया जाता हैपर जो उल्लास और माहौल गांवों में देखने को मिलता है वह अब शहरों में नहीं रह गया हैं। इस दिन भोर से ही बच्चों की टोली "छेरछेरा कोठी के धान ला हेरते हेरा।" इस पंक्ति को दोहराते हुए बाल सुलभ आवाज के साथ पूरे गांव का भ्रमण करते हैं। "छेरछेरा" पर्व वास्तव में ईश्वर और अन्न की देवी की कृपा के प्रतिफल में किसानों द्वारा कृतज्ञता प्रकट करने वाला त्यौहार हैं। अन्नपूर्णा देवी की उदारता से किसान के खेत में धान की सुनहरी फसल जब उसके कोठार में पहुंचती हैं तो एक किसान ही उस क्षणों के अनुभूतियों को समझ सकता हैं।

जब उसके अथक परिश्रम के माध्यम से ईश्वर बदले में उसकी कोठी धान्य से भर देते हैं। और ऐसे समय में जबकि किसान को उसके खेतों से प्रतिसाद प्राप्त हो जाता हैतो वह उसे कुछ लोककल्याण की भावना के तहत अन्न दान करता है। हालांकि अब तक मेहनत के बाद एक कृषक अपने फसल के दाने दाने पर इतना ज्यादा आसक्ति रखता हैंजैसे एक माँ अपने शिशु पर। किसान मां की तरह ही अपने शिशु रुपी फसल को जैसे दुलारने पुचकारने पर मां प्रफुल्लित हो उठती है। ठीक उसी तरह किसान भी अन्न को दूसरो को बांटकर आनंद का अनुभव करता है। और अपने संचित किये गये फसल के कुछ अंश को बांटने के लिये आने वालों ( छेरछेरा में धान्य मांगने वालों ) की उत्सुकता और खुशी से प्रतीक्षा करता है। इस दिन प्रातः से ही बच्चों बूढ़ों की टोलियां छेरछेरा मांगने निकल पड़ती हैं। हर घर के दरवाजे इनके लिये खुले रहते हैं ,और मांगने वाला साधिकार वाणी में कहते हैं कि "छेरछेरा कोठी के धान हेरते हेरा" इन बाल भावनाओं को अन्नदान करके किसान न केवल आनंदित होते हैं बल्कि ऐसा कर वे ईश्वर प्रति अपना आस्था भी प्रकट करते हैं।

    आज के आधुनिक जीवन में  लोग जहां भिखारी के सामने चंद सिक्के फेंककर अपने अहं की तुष्टि करते हैंपरंतु छेरछेरा में मांगने वाला न तो हीनभावना का शिकार होता है और न ही उसे हीनता की दृष्टि से देखा जाता है। 'बल्कि उसे ईश्वर का प्रतिनिधि समझा जाता है वहीं देने वाले में न अहं का भाव बिल्कुल नहीं  रहता है उल्टे वह देकर अपने आप को उपकृत महसूस करता है। मानो उसका प्रसाद (अन्नदान) ईश्वर को स्वीकार हो गया। असीम प्रसन्नता का अनुभव करते हुए कृषक अन्न उठा उठा कर देते हुए तब बोलउठता है। 

 

"में मीसकूट के छेरछेरा मनाबो ।

धाने ल बांटे बर घरोंघर जाबो ।।

इस त्यौहार का एक प्रमुख और लोकप्रिय हिस्सा है "डंडा नाच"! यह पर नाच शाकम्भरी देवी की मिन्नत और प्रार्थना के लिये किया जाता है! हर किसान देवी से प्रार्थना कर वरदान मांगता है कि - "उसके घर में धनधान्य की कमी न रहे. सदा अन्नधन से उसका घर भरा रहे।"" छेराछेरा त्यौहार के एक माह पूर्व से ही कृषक "डंडानाच" प्रारंभ कर देते हैं यह एक सामूहिक नृत्य होता हैजिसमें चार से बीस तीस तक व्यक्ति शामिल रहते हैं।नर्तक दल की टोली समसंख्या पर होती है। नृत्य के साथ-साथ डंडा गीत गायन भी चलता है। जिसकी अपनी एक अलग शैली होती है इन गीतों में ज्यादातर धार्मिक व पौराणिक व्याख्यानों का उल्लेख रहता हैं। डंडा नृत्य के समय नृतक के एक हाथ में डंडा रहता है जो करीब दो फीट तक का होता है।

एवं गोल के बीच में मांदरझांझर व मंजीरा बजाने वाले भी रहते हैं। एक व्यक्ति मुख्य गायक रहता है ।बाकी लोग सामूहिक रूप से (कोरस) गाते हैं। नृत्य के समय गोल घेरा बनाकर सभी लोग एक स्वर से कू... कू.. कू.. की करतल ध्वनि से माहौल को उन्मादित बना देते हैं। इस समय अत्यंत चित्ताकर्षक लगता हैदेखने सुनने वालों को छेरछेरा के दिन लोग जाति-पाति के भेदभाव को भूलकर परस्पर एकता एवं बंधुत्व के सूत्र में बंध जाते हैं समाजवाद व एकता का प्रतीक यह त्यौहार छत्तीसगढ़ राज्य का अत्यंत ही अनूठा त्यौहार हैजिसमें मांगने और देने वाली में एक प्रतिस्पर्धा सी मची रहती हैं। क्या गरीब और क्या धनवान सभी मुक्त भावना से छेरछेरा मांगते हैं और वहीं छेरछेरा देने वाले हृदय से दान देकर अपने को धन्य मानते हैं।

इस दिन प्रायः प्रत्येक घरों में छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाये जाते हैं इन व्यंजनों में "अनरसा" और "गुड़हा चीला" प्रमुख हैं। सभी लोग अपने इष्ट मित्रों एवं परिवारों के बीच इन व्यंजनों को बैना के रूप में परस्पर एक दूसरे को बांटते हैं। इस तरह नर एवं नारी दोनों वर्गों में परस्पर स्नेह छलक उठता है !. छेरछेरा के दिन कृषक जहां संचय के प्रति निष्ठामय कर्मठता का परिचय देते हैंवहीं समाज के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी को स्मरण कर दान करके लोक कल्याण की उच्च परंपरा को भी जीवित रखते हैं।

जो लोग हेरछेरा को भिक्षावृत्ति का पर्व कहकर नाक भी सिकोड़ते हैं वे छेरछेरा में निहित पवित्र संदेश को समझने में भूल करते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि जिसमें स्नेहबंधुत्वत्यागकृतज्ञतालोक कल्याण एवं समाजवादी भावना का समावेश होगावह भिक्षावृत्ति कैसे हो सकती हैं। ऊंच नीच अमीर-गरीबछूत-अछूत एवं बालक वृद्ध के भेदभाव से मुक्त यह पर्व एकता और उल्लास का स्नेहिल अजस्त्र स्त्रोत है। यह भावनात्मक एकता का सशक्त साधन हैं। लोगों को इसी बहाने एकता के सूत्र बांधकर समाज को भेदभाव रहित रखकर आपस में एकता स्थापित करने की प्रेरणा देती हैं।

 सुरेश सिंह बैस "शाश्वत"

About The Author

Post Comment

Comment List

अंतर्राष्ट्रीय

भारत ने पाकिस्तान में जासूसी एजेंसी रॉ से हत्याएं कराईंः वॉशिंगटन पोस्ट का दावा। भारत ने पाकिस्तान में जासूसी एजेंसी रॉ से हत्याएं कराईंः वॉशिंगटन पोस्ट का दावा।
स्वतंत्र प्रभात।     अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट का कहना है कि भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) ने...

Online Channel