डिजिटल युग में प्रयागराज महाकुंभ
प्रत्येक बारह वर्ष बाद महाकुंभ की प्रथा सदियों से चली आ रही है। लेकिन पुराने समय में संसाधनों की कमी थी और बहुत से लोगों का जाना भी मुश्किल हो जाता था। लेकिन वर्तमान वर्ष 2025 का प्रयागराज महाकुंभ एक ऐसे युग में पड़ा है जब न तो संसाधनों की कमी है और न ही प्रचार प्रसार के लिए समय का इंतजार करना पड़ता है। कुंभ में क्या चल रहा है, हर एक क्षण की खबर लगातार सोशल मीडिया से लोगों तक पहुंच रही है। कुंभ स्नान करने जाने के लिए लोगों के पास किसी चीज की कमी नहीं है।
हैलीकोप्टर, हवाई जहाज, ट्रेन, बस और निजी वाहन जिसकी जैसी क्षमता है वह कुंभ स्नान के लिए पहुंच रहा है। लेकिन आज के इस डिजिटल समय ने पिछले समय के भीड़ के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। बेहतर प्रबंधन के लिए प्रयागराज महाकुंभ मेला क्षेत्र एक नया जिला बना दिया गया ताकि वहां के अधिकारी सिर्फ मेला क्षेत्र पर ही ध्यान दे सकें। कर्मचारियों की ड्यूटी केवल मेला क्षेत्र में ही रहे। सरकार ने अपनी तरफ से सारी कोशिश की है कि इतनी बेतहाशा भीड़ को सही तरीके से प्रबंधन किया जा सके।
वर्तमान प्रयागराज महाकुंभ में एक अलग बात रही वो है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से खबरों को या कहें लोगों को वायरल करने की। इसमें काफी लोग ऐसे सामने आये जो जमकर सोशल मीडिया का निशाना बने। उनमें चाहे माला बेचने वाली बंजारन मोनालिसा हो, आईआईटी बाबा हो, अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री ममता कुलकर्णी हों या फिर एंकर हर्षा का साध्वी रुप, लोगों में खूब चर्चा का विषय बना। ऐसा लगा कि मानो सोशल मीडिया वाले यूट्यूबर अब कुछ छोड़ेंगे नहीं।
कई यूट्यूबरो को तो बाबाओं ने डांटकर भगाया लेकिन वो कहां मानने वाले ये नहीं तो कोई और आईआईटी बाबा पहले खूब चर्चा का विषय बने। चर्चा भी होनी ही थी भारत में, एक आईआईटियंस बनना लोगों का ख्वाब होता है, लाखों करोड़ों का पैकेज छोड़ बाबा बन जान इतना सरल भी नहीं है। किसी भी चैनल ने आईआईटी बाबा को नहीं छोड़ा होगा और बाबा भी खूब हंस हंस कर लोगों को इंटरव्यू देते रहे। लेकिन समय बदला और वही यूट्यूब वाले आईआईटी बाबा को मानसिक रोगी या नशेड़ी और पता नहीं क्या क्या बताने लगे।
एंकर हर्षा की खूबसूरती के खूब बखान किये गये और उन्हें साध्वी घोषित कर दिया गया। हर्षा ने भी खूब इंटरव्यू दिये और जब अति ज्यादा हो गई तो हर्षा कुंभ छोड़ के चलीं गईं। मोनालिसा नाम की लड़की जो चित्रकूट से माला बेचने के लिए कुंभ में आई थी। लेकिन उसकी नीली आंखों ने यूट्यूबरो का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया गया और उसकी तुलना हॉलीवुड की अभिनेत्री मोनालिसा से की जाने लगी, उसका माला बेचना बंद हो गया वह केवल इंटरव्यू गर्ल बन कर रह गई।
इसके बाद बोलीवुड की बेहतरीन अदाकारा ममता कुलकर्णी जो कि अपने लाइमलाइट जीवन की चकाचौंध को छोड़ने साध्वी बनके कुंभ क्षेत्र में आईं थीं उनका किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनना चर्चा का विषय बना रहा। उन्होंने क्यों ऐसा किया, वो उस लाइमलाइट से कैसे बाहर निकलीं यह सब सवाल उनसे होते रहे। कहने का प्रयागराज कुंभ एक मायने में पूरी तरह से सोशल मीडिया की गिरफ्त में रहा। मतलब हमारे देश के सोशल मीडिया को इतनी आज़ादी रही कि वो किसी को भी किसी भी हद तक वायरल कर दे।
शायद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (टीवी चैनल) और प्रिंट मीडिया अखबार किसी के विषय में कुछ कहने और लिखने के लिए पहले बहुत कुछ सोचते होंगे लेकिन सोशल मीडिया ने कुछ भी नहीं सोचा। ममता कुलकर्णी के विषय में तो इतना वायरल हुआ कि उनके अखाड़े में ही उनकी आलोचना शुरू हो गई। कुंभ में सोशल मीडिया के मकड़जाल में एक बात तो खुलकर सामने आई कि शायद आने वाले समय में इसके प्रति कुछ पाबंदियां लागू होंगी। सोशल मीडिया जानकारियां तो दे रहा है लेकिन उसके साथ साथ बहुत कुछ झूठ भी परोस रहा है।
लोगों की निजता को भी उजागर कर रहा है। कोई सुंदर है, कोई आईआईटी करके बाबा बन रहा है या कोई एक्ट्रेस साध्वी बन रही है यह उसकी निजता है। उनकी बातों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना उनके लिए परेशानी का सबब बना। सोशल मीडिया ने जिस तरह से कुंभ क्षेत्र में अपने मकड़जाल को फैलाया है इससे आने वाले समय में कुछ पाबंदियों की अपेक्षा है।
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