मुर्दे की शव यात्रा में न रोना न कोरोना
भीलवाड़ा/भीलवाड़ा शितला सप्तमी/अष्टमी वर्षों पुरानी परंपरा के तहत सोमवार को दोपहर चित्तोड़ वालो की हवेली के पास से परम्परागत मुर्दे की शवयात्रा निकाली गई। शवयात्रा में न रोना था ना कोरोना का भय। वायरस से बेखौफ होकर शीतला अष्टमी के मौके पर आज मुर्दे की सवारी निकाली गई जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए हैं देशभर
भीलवाड़ा/भीलवाड़ा शितला सप्तमी/अष्टमी वर्षों पुरानी परंपरा के तहत सोमवार को दोपहर चित्तोड़ वालो की हवेली के पास से परम्परागत मुर्दे की शवयात्रा निकाली गई। शवयात्रा में न रोना था ना कोरोना का भय। वायरस से बेखौफ होकर शीतला अष्टमी के मौके पर आज मुर्दे की सवारी निकाली गई जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए हैं देशभर में कोरोना वायरस के चलते लोग डरे नही वहीँ भीलवाड़ा में आज कहीं डर नजर नही आया परंपरा के मुताबिक मुर्दे की सवारी निकाली गई और इसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए है जबकि शहर में कोरोना वायरस के डर से कई कार्यक्रम रद्द किए गए हैं।चित्तौड़ वालों की हवेली के निकट से मुर्दे की सवारी प्रारंभ हुई जो शहर के मुख्य मार्गों से होती हुई गुजरती है जिंदा व्यक्ति को मुर्दे के रूप में अर्थी पर लेटाया जाता है जो बार-बार उठकर भागने का प्रयास करता है लेकिन उसे लोग पकड़ कर फिर वहां लेटा देते हैं।
50 कट्टे गुलाल के उड़ाए
मुर्दे की शव यात्रा में युवाओं ने इतनी गुलाल उड़ाई कि गोलप्याउ चोराहा, गुलमंडी वह बड़ामंदिर क्षेत्र में सड़के रंगीन हो गई हंसी ठिठोली के कारण यात्रा में शामिल लोगों का खूब मनोरंजन हुआ आयोजन टीम के सदस्य कृष्ण गोपाल जागेटिया और रमेश भरावा ने बताया कि शव यात्रा में करीब 50 कट्टे गुलाल उड़ाई गई।
तय स्थान से पहले भागा मुर्दा
शव यात्रा में नकली मुर्दा बन कर सोया युवक बाबूलाल तय स्थान बहाला से पहले ही पटकने के डर से बड़ा मंदिर के पास ही कूद गया पहले नकली मुर्दा बनने वाला युवक तय स्थान पर ही सनेति से उतरता था लेकिन पिछले कुछ सालों से नीचे पटकने के डर से बड़े मंदिर के पास ही कूद गया
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