अदम्य साहस और वीरता के प्रतीक थे महाराणा प्रताप

अदम्य साहस और वीरता के प्रतीक थे महाराणा प्रताप

अदम्य साहस और वीरता के प्रतीक थे महाराणा प्रताप


स्वतंत्र प्रभात संजय द्विवेदी।
कोरांव प्रयागराज।

जय भवानी सेवा संघ के बैनर तले दिशा भारत गैस एजेंसी कोराव के सभागार में सोमवार को महाराणा प्रताप की जयंती मनाई गई। जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि मेवाड़ के महान राजपूत शासक महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 ई0 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था 

जिन्होंने मुगल शासकों को बुरी तरह पछाड़ते हुए मुगलों की अधीनता को कभी स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप का नाम भारतीय इतिहास में उनकी वीरता और दृढ़ प्रतिज्ञा के लिए अमर है। इसी प्रकार प्रेम शंकर सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप ने मुगल साम्राज्य के विस्तारवाद के खिलाफ सैन्य प्रतिरोध और हल्दीघाटी, देवर की लड़ाई लड़ी थी। जिसे काफी अहम माना जाता है। 

प्रत्येक वर्ष इस वीर योद्धा की 9 मई को जयंती मनाई जाती है, और इनके वीरता और साहस को याद किया जाता है। इसी प्रकार महाराणा प्रताप की जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जीत बहादुर सिंह ने महाराणा प्रताप के जीवन वृतांत को विस्तार से बताते हुए उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला।

 जयंती कार्यक्रम में प्रमुख रूप से ज्योति प्रकाश सिंह उर्फ बाबा, धनंजय सिंह, नागेंद्र सिंह, धर्मराज सिंह, अजय सिंह, विजय सिंह, राजनीत सिंह, राजेंद्र बहादुर सिंह संतोष सिंह, जय मां भवानी सेवा संघ के मीडिया प्रभारी अजय प्रताप सिंह समेत भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।


 

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