राष्ट्रीय पोषण माह का हुआ शुभारम्भ

राष्ट्रीय पोषण माह का हुआ शुभारम्भ

कार्यक्रम में सुपरवाईजर बबीता सिंह,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता सिंह, सहायिका कमला गौड़ मौजूद रहे 


स्वतंत्र प्रभात

प्रयागराज कुपोषण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने गुरुवार को शहर प्रथम के आंगनबाड़ी केन्द्र कटरा बख्तियारी पर दीप प्रज्ज्वलित कर राष्ट्रीय पोषण माह का शुभारंभ किया। इस मौके पर सांसद ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कहा कि बच्चे, गर्भवती और धात्री महिलाओं को लक्ष्य मानते हुए उन्हें पोषण के प्रति जागरूक करें। उनके स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें। उन्होंने कहा कि महिलाओं से भी अपील की है कि वह परिवार के साथ अपने खानपान का भी ध्यान रखें। स्वस्थ मां ही स्वस्थ परिवार का निर्माण करती है। इस तरह के अभियान से महिलाओं की सेहत में काफी सुधार हुआ है। कार्यक्रम के शुरुआत में सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने छह माह की अनन्या व कुश को खीर खिलाकर अन्नप्राशन व आरुषि, श्रेयांश, अरबिया और अरबिश को पोषण टोकरी दी। उन्होंने केंद्र पर ही अरबिया का वजन भी कराया। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से सितम्बर माह राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है।जिला कार्यक्रम अधिकारी दिनेश सिंह ने बताया कि पोषण माह गंभीर कुपोषित बच्चों की प्रारंभिक पहचान कर उन्हें उचित इलाज एवं कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उनके स्वास्थ्य सुधार के लिए पोषण माह का आयोजन

जिले में किया जाएगा। बच्चों एवं किशोरियों तथा धात्री व गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए सितंबर माह में पोषण माह का आयोजन किया जा रहा हैं। पोषण माह अभियान के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को पोषण एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाएगा। इस वर्ष पोषण माह में खास बात यह होगी की रसोई और न्यूट्री गार्डेन विकसित कर पौधे लगाए जाएंगे। भूमि का अभाव होने पर गमलों का सहारा लिया जाएगा। संजिता सिंह बाल विकास परियोजना अधिकारी शहर प्रथम ने बताया कि पूरे माह हर सप्ताह अलग कार्यक्रम कर पोषण के प्रति जागरूकता फैलाई जाएगी | जिसमे प्रथम सप्ताह में सरकारी स्कूल, आवासीय स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, ग्राम पंचायत की अतरिक्त भूमि पर पोषण वाटिका की स्थापना करना ।गांवो में होगी पोषण पंचायतें।पोषण माह के दौरान अधिक से अधिक बैठकें होंगी। मोबाइल के जरिए भी लोगों को जानकारी दी जाएगी। बच्चों में रोग एवं मृत्यु दर कम करने के लिए उनमें कुपोषण की पहचान की जाएगी और गांव में पोषण पंचायतों का आयोजन होगा और स्थानीय स्तर पर इनका प्रबंधन विभागीय कन्वर्जन के मध्यम से किया जायेगा| 

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