संजीव-नी ।
ईश्वर का हर पल करो वंदन अभिनंदन।
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ईश्वर का हर पल करो वंदन अभिनंदन।
जरा विचार कीजिए
आपके पसंद करने न करने से
मैं आदमी न रहकर
छोटा जीव जंतु या चौपाया
हो जाऊंगा ,
और आपकी पसंदगी से
मैं आदमी से ईश्वर
हो जाऊंगा
या मेरी काया महामानव
में रूपांतरित हो जाएगी।
ईश्वर ने मानव बना कर भेजा है
मानव बन कर संसार में
आए हैं तो
अपनी बुद्धि और आत्मा को
शुद्ध और ताजी हवा और
विचारों के झोंकों से
थोड़ा शुद्ध कर लो।
मानव की मानव सेवा
से ही परमार्थ होता है,
किसी की पसंदगी या
नापसंदगी से मानवीय
स्वरूप बदला नहीं करता,
हां ना पसंदगी, विरोध और
घृणा से मस्तिष्क में
मनोरोग की व्याधि जरूर
पैदा हो सकती है
और व्यक्तित्व स्खलित
भी हो सकता है,
यदि आप ऐसा सोचते हैं
कि आपकी नापसंदगी
से ईश्वर का दिया हुआ
मेरा स्वरूप क्षणभंगुर हो
वाष्पित हो जाएगा,
तो मेरे दोस्त थोड़ा मुस्कुराओ
और कर्म किए जाओ,
फल और परिणाम की
लालसा मिथ्या और
नश्वर ही है ।
कर्म ही समय का वंदन है
और सच्चे मन से किया गया
काम ईश्वर की आराधना है।
फिर खुले विचारों से
उठाओ जिंदगी के
हर पल का आनंद।
ईश्वर का हर पल
करो वंदन-अभिनंदन।
संजीव ठाकुर
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