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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी। 

संजीव-नी।  वक्त कभी रुकता नहीं संजीव।     बेवफाई मैं किसी से करता नहीं सच्चा प्यार भी कभी मरता नहीं।     जो अपना सुरूरे मिजाज रखता है वो अपनी हद से कभी गुजरता नहीं।     जाम पीकर देखिये सियासत का कभी ता जिंदगी ये नशा...
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संजीव-नी ।

संजीव-नी । ईश्वर का हर पल करो वंदन अभिनंदन।    जरा विचार कीजिए आपके पसंद करने न करने से  मैं आदमी न रहकर  छोटा जीव जंतु या चौपाया  हो जाऊंगा , और आपकी पसंदगी से  मैं आदमी से ईश्वर  हो जाऊंगा  या मेरी...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी।

संजीव-नी।    क्या सचमुच अकेला है वह।    अकेला है वह? उसने सोचा, वह अकेला नहीं है,  उसके सोचने के पहले सोचने के बाद और सोचने के बीच, वह अकेला नहीं है, सब हैं उसके साथ ।    कई मित्र हैं उसके,  हजारों,  वाह...
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काव्य प्रेम

काव्य प्रेम कब किताबों के पनों सेप्यार हो गयापता ही न चला। कब अल्फाज़ो कालफ्ज़ो से इकरार हो गयापता ही न चला। कब शब्दों कोमात्राओंं से नूरी इश्क़ हो गयापता ही न चला। कब प्रकृति का...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। अन्न की बर्बादी,दुनिया पर भारी।    ना करो अन्न की बर्बादी, भुखमरी पर है यह भारी, चारों तरफ छाई है गरीबी, भुखमरी और बेचारी, भोजन की अनावश्यक बर्बादी पूरी दुनिया पर पड़ रही है भारी।    थाली में लो भोजन उतना खा...
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 [जम्मू-काश्मीर में आतंकवादी घटना पर त्वरित कविता]

 [जम्मू-काश्मीर में आतंकवादी घटना पर त्वरित कविता] जम्मू(कठुआ) में जवानोंपर तुमने किया हमलानिरीह श्रद्धालुओं कोमौत की नींद सुलाईतुम्हें जरा भी शर्म नहीं आई।हमला था तुम्हारा कायराना,हमसे बढ़ाना चाहते हो यारानाअब फिर तुम्हारे घर में घुसमार कर सर्वनाश करेंगे तुम्हारा।...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। पृथ्वी पर न करो इतना अत्याचार,पृथ्वी पर न करो इतना अत्याचार,मानव जीवन,वन करे चित्कार।वनों का विनाश मानवीय भविष्यके लिए खतरनाक, विनाशकारीअब उसे संवारने की हमारी बारी।क्यूं और कैसे हो गए हम,प्रकृति के इतने...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। प्रकृति,पर्यावरण पर कविताlप्रकृति की लीला कितनी न्यारीहम सबको लगती कितनी प्यारी बहती नदिया कितनी न्यारीजल, नदिया और लताएं प्यारीइन की रक्षा करना जिम्मेदारी हमारीlभालू ,हिरण और बंदर कितने मासूम प्यारे.हम सबके करीबी दोस्त सब...
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संजीवनी।

संजीवनी।       क्यों खतो में इत्र की तरह महकते नहीं।क्यों गुलाबों की तरह महकते नहीं,क्यूं चिड़ियों की तरह चहकते नहीं।दफ्न हो रही है तमन्ना ए आरजू,क्यू कलियों की तरह खिलते नहीं।मर जायेगा आशिक़ तनहा होकर,क्यों खतो...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। परछाइयों में तेरी रंग मिलाता हूं,तेरे एहसासों के संग बहा जाता हूं।  तेरा एहसास बडा इंद्रधनुषी जानम,,तेरे ख्यालो में भिखर बिखर जाता हूँ।।तेरे सांसों की खुशबू से इतर,कोई और महक नहीं सह पाता हूं ।.न...
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संजीव-नी। जीने का कोई तरीका आसान तो दे दे ।

संजीव-नी। जीने का कोई तरीका आसान तो दे दे । जीने का कोई तरीका आसान तो दे दे ।हे ईश्वर जमीं नही दी,आसमान तो दे,थोड़ा सा जीने का अदद सामान तो दे।बहुत की अभिलाषा,लिप्सा,आकांक्षा नहीं,जीने का कोई तरीका आसान तो दे ।रोज खाली हाथ लौटता...
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संजीव-नी। आकाश की अनंत ऊंचाई दो l

संजीव-नी। आकाश की अनंत ऊंचाई दो l संजीव-नी। आकाश की अनंत ऊंचाई दो l    इनकी छोटी-छोटी हथेलियों में, पूरे ब्रह्मांड को समा जाने दो, संपूर्ण संभावना के साथ  पैदा हुआ नवजात, एक नन्हा पंछी तो है। आंखों में भविष्य के सपने  जल की निश्छलता, सूरज की किरणों...
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