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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी। आकाश की अनंत ऊंचाई दो l

संजीव-नी। आकाश की अनंत ऊंचाई दो l संजीव-नी। आकाश की अनंत ऊंचाई दो l    इनकी छोटी-छोटी हथेलियों में, पूरे ब्रह्मांड को समा जाने दो, संपूर्ण संभावना के साथ  पैदा हुआ नवजात, एक नन्हा पंछी तो है। आंखों में भविष्य के सपने  जल की निश्छलता, सूरज की किरणों...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी।

संजीव-नी। आकृती ऐसी बनाना चाहता हूं।    आकृती ऐसी बनाना चाहता हूं जो सीधी भी, सादी भी, बोल दे सारी मन की व्यथा भी।    फूलों की दीपमाला सी धूप दीप सी मंत्रोचार सी।    जिसे चाह ना हो माया की, खुली हर पीड़ित...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी।।

संजीव-नी।। संजीव-नी।। आनंद तो जीवन में चलते जाना ही हैंl    मुझे फेके गए पत्थर अपार मिले, फक्तियाँ,ताने बन कर हार मिले।    शौक रखता हूं सब के साथ चलने का, कही ठोकरे,कही जम कर प्यार मिले।    जीवन बीता आपा-धापी में ही यारों,...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

चुनाव 24: काम या दूसरों पर इल्ज़ाम 

चुनाव 24: काम या दूसरों पर इल्ज़ाम  स्वतंत्र प्रभात  जिस तरह हर चीज में बदलाव हो रह है उसी तरह राजनैतिक मुद्दे भी बदल गये हैं। राजनैतिक दलों से जनता की उम्मीद रहती है कि वह देश का, प्रदेश का, क्षेत्र का और उनका विकास कराएं। लेकिन...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

धर्मनिरपेक्षता की व्यापक संवैधानिक मीमांसा l (सीमाओं की जमीनी हकीकत )

धर्मनिरपेक्षता की व्यापक संवैधानिक मीमांसा l (सीमाओं की जमीनी हकीकत ) स्वतंत्र प्रभात धर्मनिरपेक्षता लोकतंत्र को सशक्त करने हेतु एक महत्वपूर्ण संवेदनशील एवं शाश्वत सिद्धांत हैl धर्मनिरपेक्षता भारतीय राजनीति का मूल आधार तत्व हैl जिसमें राजनीतिक दलों को भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण भूमिका अंतर्निहित हैl धर्मनिरपेक्षता धार्मिक उग्रवाद का बड़ा विरोधी...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

विश्व रिकॉर्ड होल्डर विजय कुशवाहा के आठवें काव्यसंग्रह पनघट का लोकार्पण संपन्न

विश्व रिकॉर्ड होल्डर विजय कुशवाहा के आठवें काव्यसंग्रह पनघट का लोकार्पण संपन्न फर्रुखाबाद।  साहित्यकार विजय कुशवाहा के आठवें काव्यसंग्रह पनघट का लोकार्पण सुप्रसिद्ध चिंतक एवं मानस मर्मज्ञ सुभाष चन्द्र शर्मा जी के कर कमलों से संपन्न हुआ। इस अवसर पर शर्मा जी ने विजय कुशवाहा के काव्यसंग्रह पनघट के बारे में अपने...
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