hindi sahitya
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Read More... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
वक्त कभी रुकता नहीं संजीव। बेवफाई मैं किसी से करता नहीं सच्चा प्यार भी कभी मरता नहीं। जो अपना सुरूरे मिजाज रखता है वो अपनी हद से कभी गुजरता नहीं। जाम पीकर देखिये सियासत का कभी ता जिंदगी ये नशा...
Read More... संजीव-नी ।
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By Swatantra Prabhat UP
ईश्वर का हर पल करो वंदन अभिनंदन। जरा विचार कीजिए आपके पसंद करने न करने से मैं आदमी न रहकर छोटा जीव जंतु या चौपाया हो जाऊंगा , और आपकी पसंदगी से मैं आदमी से ईश्वर हो जाऊंगा या मेरी...
Read More... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
क्या सचमुच अकेला है वह। अकेला है वह? उसने सोचा, वह अकेला नहीं है, उसके सोचने के पहले सोचने के बाद और सोचने के बीच, वह अकेला नहीं है, सब हैं उसके साथ । कई मित्र हैं उसके, हजारों, वाह...
Read More... काव्य प्रेम
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By Swatantra Prabhat Desk
कब किताबों के पनों सेप्यार हो गयापता ही न चला। कब अल्फाज़ो कालफ्ज़ो से इकरार हो गयापता ही न चला। कब शब्दों कोमात्राओंं से नूरी इश्क़ हो गयापता ही न चला। कब प्रकृति का...
Read More... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
अन्न की बर्बादी,दुनिया पर भारी। ना करो अन्न की बर्बादी, भुखमरी पर है यह भारी, चारों तरफ छाई है गरीबी, भुखमरी और बेचारी, भोजन की अनावश्यक बर्बादी पूरी दुनिया पर पड़ रही है भारी। थाली में लो भोजन उतना खा...
Read More... [जम्मू-काश्मीर में आतंकवादी घटना पर त्वरित कविता]
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By Swatantra Prabhat Desk
जम्मू(कठुआ) में जवानोंपर तुमने किया हमलानिरीह श्रद्धालुओं कोमौत की नींद सुलाईतुम्हें जरा भी शर्म नहीं आई।हमला था तुम्हारा कायराना,हमसे बढ़ाना चाहते हो यारानाअब फिर तुम्हारे घर में घुसमार कर सर्वनाश करेंगे तुम्हारा।...
Read More... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat UP
पृथ्वी पर न करो इतना अत्याचार,पृथ्वी पर न करो इतना अत्याचार,मानव जीवन,वन करे चित्कार।वनों का विनाश मानवीय भविष्यके लिए खतरनाक, विनाशकारीअब उसे संवारने की हमारी बारी।क्यूं और कैसे हो गए हम,प्रकृति के इतने...
Read More... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat UP
प्रकृति,पर्यावरण पर कविताlप्रकृति की लीला कितनी न्यारीहम सबको लगती कितनी प्यारी बहती नदिया कितनी न्यारीजल, नदिया और लताएं प्यारीइन की रक्षा करना जिम्मेदारी हमारीlभालू ,हिरण और बंदर कितने मासूम प्यारे.हम सबके करीबी दोस्त सब...
Read More... संजीवनी।
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By Swatantra Prabhat UP
क्यों खतो में इत्र की तरह महकते नहीं।क्यों गुलाबों की तरह महकते नहीं,क्यूं चिड़ियों की तरह चहकते नहीं।दफ्न हो रही है तमन्ना ए आरजू,क्यू कलियों की तरह खिलते नहीं।मर जायेगा आशिक़ तनहा होकर,क्यों खतो...
Read More... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat UP
परछाइयों में तेरी रंग मिलाता हूं,तेरे एहसासों के संग बहा जाता हूं। तेरा एहसास बडा इंद्रधनुषी जानम,,तेरे ख्यालो में भिखर बिखर जाता हूँ।।तेरे सांसों की खुशबू से इतर,कोई और महक नहीं सह पाता हूं ।.न...
Read More... संजीव-नी। जीने का कोई तरीका आसान तो दे दे ।
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By Swatantra Prabhat UP
जीने का कोई तरीका आसान तो दे दे ।हे ईश्वर जमीं नही दी,आसमान तो दे,थोड़ा सा जीने का अदद सामान तो दे।बहुत की अभिलाषा,लिप्सा,आकांक्षा नहीं,जीने का कोई तरीका आसान तो दे ।रोज खाली हाथ लौटता...
Read More... संजीव-नी। आकाश की अनंत ऊंचाई दो l
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नी। आकाश की अनंत ऊंचाई दो l इनकी छोटी-छोटी हथेलियों में, पूरे ब्रह्मांड को समा जाने दो, संपूर्ण संभावना के साथ पैदा हुआ नवजात, एक नन्हा पंछी तो है। आंखों में भविष्य के सपने जल की निश्छलता, सूरज की किरणों...
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