kavya darshan
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी|

संजीव-नी| आज मेरे दिल का क्या हाल है।     आज न जाने मेरे दिल क्या हाल है, सुर है न ताल है हाल मेरा बेहाल है।     आंखों से क्या जरा ओझल हुए तुम, जिन्दगी की हर चाल ही बेचाल है।     सोते जागते...
Read More...
कविता/कहानी 

संजीव-नी। 

संजीव-नी।  कविता       तमाम रातों का जुगनू बना दिया मुझको।     तेरी बेरुखी ने नया तजुर्बा दिया मुझको कैसे जीते यहाँ यह सिखा दिया मुझको।     कोशिश लाख करूं उस पल को भूलता नहीं बेचैनी का एक सिलसिला दिया मुझको।     तोक अपने उसूलों के...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी।

संजीव-नी। देशभक्ति का जज्बा।    देश में आतंकवादियों के हमले से हुए  शहीदों की शहादत पर बाकी बचे हुए अस्पताल में पड़े हताहत पर।    एक भिखारी ने  दिया खुलकर दान बढ़ा दी मानवता की आन और बढ़ा दी भिखारियों की शान।   भिखारी...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी। 

संजीव-नी।  वक्त कभी रुकता नहीं संजीव।     बेवफाई मैं किसी से करता नहीं सच्चा प्यार भी कभी मरता नहीं।     जो अपना सुरूरे मिजाज रखता है वो अपनी हद से कभी गुजरता नहीं।     जाम पीकर देखिये सियासत का कभी ता जिंदगी ये नशा...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

कविता

कविता दुनिया आजमाती रही मुझे संजीव।     अपने अंदाज ही बड़े निराले हैं प्यार के जख्म दिल में पाले हैं।     मौज करते हैं मांग मांग कर जो मजबूत हाथ पैर वाले हैं।     जिंदगी में जो रंगीन दिखते हैं दिल के कुछ गोरे...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीवनी।

संजीवनी। क्रूरता की परिणति युद्ध।     युद्ध के बाद बड़ा पश्चाताप ही परिणति होती है, अक्सर होता है ऐसा देश या इंसान दुख और पश्चाताप में डूब जाता है हमेशा के लिए। युद्ध, हिंसा,  किसी समस्या का हल नहीं। फिर क्यों लोग...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नीl

संजीव-नीl मानवीय संवेदनाओं को जिंदा रखिए, l    मानवीय संवेदनाओं को जिंदा रखिए, l रिश्तो की भावनाओं को जिंदा रखिए।    संबंधों की नर्म ऊष्मा जिंदा रखिए, अहसासों के दर्द को जिंदा रखिए,    चुप्पी दफ़्न करती कोमल रिश्तों को, लफ्जों की आकांक्षाओं को...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी। 

संजीव-नी।  जाते ही माँ के सारे दिल भी बट गए।     पर्दे रिश्तों के भी सारे परे हट गए जाते ही माँ के दिल भी सारे बट गए।     मुद्दतों बाद मिलनें से संभला नही जुनूँ देखा मुझे तो दौड़ गले से लिपट...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी।

संजीव-नी। व्यंग।     हिंदी दिवस l     नेशनल हिन्ढी डे ? एक अंग्रेज नुमा नेता जी हिंदी दिवस पर  आये,करने भाषण बाजी । बोले, लेट अस सेलिब्रेट एन एन्जॉय हिंदी डे, मुझे हिंदी अच्छी नही आती मेरे पूरे परिवार को नही भाती, मेरा...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी|

संजीव-नी| हिंदुस्तान की सच्ची तस्वीर। नल पर अकाल की व्यतिरेक ग्रस्त जनानाओं कीआत्मभू मर्दाना वाच्याएं।एक-दूसरे के वयस की अंतरंग बातों,पहलुओं कोसरेआम निर्वस्त्र करती,वात्या सदृश्य क्षणिकाएं,चीरहरण, संवादों सेआत्म प्रवंचना, स्व-स्तुति,स्त्रियों के अधोवस्त्रों में झांकती...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नीl

संजीव-नीl उनके अंदाज ही अलहदा निराले हैंlउनके अंदाज ही अलहदा निराले हैंइश्क के जख्म हमने दिल में पालें हैं।मौज करते हैं भीख मांग-मांग करजो मजबूत साबुत हाथ पैर वाले हैं।जिंदगानी की उमंग में उड़ते पंछीकुछ...
Read More...
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

कुवलय

कुवलय कला का पुरस्कार  अब मिलता नहीं है  चित्र विचित्र होकर भी कोई बिकता नहीं।    घर की वापसी  अब कोई करता नहीं  प्रजातंत्र के लिए  कोई लड़ता नहीं।    सभ्यता व संस्कृति से अब कोई डरता नहीं श्रमिक के लिए किसी से...
Read More...