kavya darshan
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Read More... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
ईमानदारी और ईमानदार। हां सचमुच यह सच है, कि वह इमानदार है यह भी सच है वह गरीब और फटे हाल है, आपदाओं से घिरा हुआ, आफतों का साथी, परेशानियां उसे छोड़ती नहीं, पर वह परेशान नहीं, मायूस भी नहीं,...
Read More... संजीव -नी।
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कविता, चलो थोडा मुस्कुराते है।।चलो थोडा मुस्कुराते हैइस दवा को आजमाते है.कठिनाई में खिलखिलाते है,मुसीबत में भी मुस्कुराते हैं।जिसकी आदत है मुस्कुराना,वो ही ज़माने को झुकाते है।मायुसी विषाद की जड़ होती है,उदासी...
Read More... संजीव-नी।
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कविता, प्यारी मां तेरी जैसी l स्वरूपा नारी सर्वत्र पूजनीय) पुरुषों को स्त्रियों का कृतज्ञ होना चाहियेl हर किसी की माँ हो, माँ हो मेरी जैसी, हर नारी लगती प्यारी मुझे मां जैसीl रोटी के इंतजाम में गई मां की...
Read More... संजीव-नी|
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आज मेरे दिल का क्या हाल है। आज न जाने मेरे दिल क्या हाल है, सुर है न ताल है हाल मेरा बेहाल है। आंखों से क्या जरा ओझल हुए तुम, जिन्दगी की हर चाल ही बेचाल है। सोते जागते...
Read More... संजीव-नी।
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कविता तमाम रातों का जुगनू बना दिया मुझको। तेरी बेरुखी ने नया तजुर्बा दिया मुझको कैसे जीते यहाँ यह सिखा दिया मुझको। कोशिश लाख करूं उस पल को भूलता नहीं बेचैनी का एक सिलसिला दिया मुझको। तोक अपने उसूलों के...
Read More... संजीव-नी।
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देशभक्ति का जज्बा। देश में आतंकवादियों के हमले से हुए शहीदों की शहादत पर बाकी बचे हुए अस्पताल में पड़े हताहत पर। एक भिखारी ने दिया खुलकर दान बढ़ा दी मानवता की आन और बढ़ा दी भिखारियों की शान। भिखारी...
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वक्त कभी रुकता नहीं संजीव। बेवफाई मैं किसी से करता नहीं सच्चा प्यार भी कभी मरता नहीं। जो अपना सुरूरे मिजाज रखता है वो अपनी हद से कभी गुजरता नहीं। जाम पीकर देखिये सियासत का कभी ता जिंदगी ये नशा...
Read More... कविता
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दुनिया आजमाती रही मुझे संजीव। अपने अंदाज ही बड़े निराले हैं प्यार के जख्म दिल में पाले हैं। मौज करते हैं मांग मांग कर जो मजबूत हाथ पैर वाले हैं। जिंदगी में जो रंगीन दिखते हैं दिल के कुछ गोरे...
Read More... संजीवनी।
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क्रूरता की परिणति युद्ध। युद्ध के बाद बड़ा पश्चाताप ही परिणति होती है, अक्सर होता है ऐसा देश या इंसान दुख और पश्चाताप में डूब जाता है हमेशा के लिए। युद्ध, हिंसा, किसी समस्या का हल नहीं। फिर क्यों लोग...
Read More... संजीव-नीl
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मानवीय संवेदनाओं को जिंदा रखिए, l मानवीय संवेदनाओं को जिंदा रखिए, l रिश्तो की भावनाओं को जिंदा रखिए। संबंधों की नर्म ऊष्मा जिंदा रखिए, अहसासों के दर्द को जिंदा रखिए, चुप्पी दफ़्न करती कोमल रिश्तों को, लफ्जों की आकांक्षाओं को...
Read More... संजीव-नी।
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जाते ही माँ के सारे दिल भी बट गए। पर्दे रिश्तों के भी सारे परे हट गए जाते ही माँ के दिल भी सारे बट गए। मुद्दतों बाद मिलनें से संभला नही जुनूँ देखा मुझे तो दौड़ गले से लिपट...
Read More... संजीव-नी।
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व्यंग। हिंदी दिवस l नेशनल हिन्ढी डे ? एक अंग्रेज नुमा नेता जी हिंदी दिवस पर आये,करने भाषण बाजी । बोले, लेट अस सेलिब्रेट एन एन्जॉय हिंदी डे, मुझे हिंदी अच्छी नही आती मेरे पूरे परिवार को नही भाती, मेरा...
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