क्या बंगाल भी केंद्र शासित राज्य है ?

क्या बंगाल भी केंद्र शासित राज्य है ?

मणिपुर की आग को क़ाबू न कर अपने वाले लोग कोलकाता में एक नृशंस वारदात के बाद पिछले एक महीने से बंगाल को सुलगाये हुए हैं,और अब तो बंगाल के राजयपाल ने बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी को मंत्रिमंडल  की आपात बैठक बुलाये जाने का निर्देश देकर ये भी बताने का दुस्साहस कर डाला है कि बंगाल भी अघोषित रूप से केंद्र शासित राज्य है। बंगाल के गवर्नर अपने आपको लेफ्टिनेंट गवर्नर समझ बैठे हैं। मुझे लगता है कि  ममता बनर्जी को अब भाजपा और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की मानसिक शांति के लिए अपने पद से इस्तीफा देकर विधानसभा के नए चुनाव करा देना चाहिए।

लत्ते का सांप ' बनाने में दक्ष भाजपा को कोलकाता की महिला चिकित्स्क के साथ बलात्कार और हत्या की वारदात के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ लड़ने का एक और बदसूरत बहाना मिल गया है।  भाजपा संदेशखाली की कथित वारदातों के बाद भी ममता बनर्जी से सिंघासन खाली नहीं करा पायी। अब बलात्कार की इस नृशंस वारदात के बहाने एक बड़ा आंदोलन भी ममता को हटाने के लिए सही औजार साबित नहीं हो रहा है ,हालाँकि बंगाल के गवर्नर डॉ सीबी आनद बोस एड़ी-चोटी   का जोर लगा रहे हैं ममता सरकार को अपदस्थ कराने की। उन्होंने मुख्यमंत्री से मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाने के निर्देश दिए हैं।

बोस साहब भूल जाते हैं कि  वे अव्वल तो एक गवर्नर हैं ,लेफ्टिनेंट गवर्नर नहीं। दुसरे वे सिर्फ गवर्नर हैं बंगाल के मुख्यमंत्री नहीं। मंत्रिमंडल की अभियाचित बैठक बुलाने और न बुलाने का नैतिक अधिकार उन्हें है नहीं ,लेकिन वे ऐसा कर रहे हैं,, क्योंकि उनकी इस कार्रवाई से उनके आका खुश हो सकते हैं। सीबी आनंद बोस अपने और अपने आकाओं की ख़ुशी के लिए पिछले दिनों में बहुत कुछ उछल-कूंद  कर चुके हैं ,लेकिन वे भूल रहे हैं कि  इस मामले में वे पूर्व  गवर्नर जगदीप घनकड़ को छू भी  नहीं सकते। बोस साहब सिर्फ राज्य सरकार को बर्खास्त करने के लिए केंद्र को अपनी   रिपोर्ट भेज सकते हैं ,जो वे भेज चुके हैं ,लेकिन  दिल्ली सरकार किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का या तो साहस नहीं जुटा पा रही है या फिर   उसे मालूम  है की ऐसा करने से सरकार को जगहंसाई  हो सकती  है।

बलात्कार और हत्या जैसी जघन्य  वारदातों के बाद यदि किसी चुनी हुई सरकार को अपदस्थ करने  के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूरत  मानी जाये तो सबसे पहले मणिपुर को प्राथमिकता देना होगी ।  बाद में देश का शायद ही कोई ऐसा सूबा हो जो नारी शक्ति वंदन में अव्वल हो और वहां बलात्कार तथा हत्या जैसी जघन्य वारदातें  आये दिन न हो रहीं हों।  देश के दिल मध्यप्रदेश में महाकाल की नगरी  उज्जैन   में तो फुटपाथ  पर  बलात्कार  के चलचित्र  वायरल हो चुके हैं ,लेकिन क्या हुआ ।  वहां पत्ता भी नहीं खड़का,क्योंकि मप्र की मुख्यमंत्री ममता दीदी नहीं हल्की मोहन भैया हैं। डबल इंजिन की सरकार है उनकी। मेरठ में एक नाबालिग लड़की कि साथ सामूहिक बलात्कार  हुआ ,लेकिन उप्र  में योगी  जी  की सरकार है।

बलात्कार और हत्या की जघन्य वारदातें तो केवल   बंगाल में अक्षम्य हैं। एक कटु सत्य ये है कि  भाजपा का महाबली नेतृत्व पिछले दस साल में अपनी सारी ताकत लगाकर भी बंगाल को नहीं जीत पाया है।  जीतना तो दूर ममता बनर्जी को न भयभीत कर पाया है और न झुका पाया है। उसका हार दांव उलटा ही पड़ा है ।  ममता बनर्जी को न ईडी ,सीबीआई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तरह जेल भेज पायी और न नीतीश बाबू की तरह अपना समर्थक बना पायी। ममता को अपदस्थ करने के अश्वमेघ यज्ञ में जगदीप धनकड़ की आहूति भी बेकार गयी। ममता इतनी सख्तजान निकलेंगी ये भाजपा के महाबलियों ने सोचा ही न था। ममता न बैलेट से हारी और न बुलट से। ममता को बहन मायावती की तरह घेरना भी मुमकिन नहीं हुआ और ममता सीना तानकर  आईएनडीआईए गठबंधन  के साथ खड़ी हो गयीं।

आपको यकीन करना पडेगा कि  भाजपा ने जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370  को हटाने का अपना दिवास्वप्न तो पूरा कर लिया किन्तु बंगाल जीतने का सपना अभी तक अधूरा है ।  ममता बनर्जी बंगाल में मुख्यमंत्री पद पर बैठकर भाजपा के महाबली नेतृत्व की छाती पर दाल दल रहीं हैं। मै भी उन लोगों में से हूँ जो ममता बनर्जी के सरकार और पार्टी   चलने के तौर-तरीकों से इत्तफाक नहीं रखते,लेकिन मै उन लोगों में भी शुमार किया जा सकता हूँ जो तानाशाही के खिलाफ बहादुरी से लड़ने का साहस दिखने के कारण ममता की सराहना करते है। भाजपा के देवीय नेतृत्व के लिए जितना आसान जम्मू-कश्मीर से संविधान का अनुच्छेद 370  हटाना था उतना आसान बंगाल की सत्ता से ममता बनर्जी को हटा पाना नहीं है।

भाजपा बंगाल में एक हारे हुए योद्धा के रूप में नजर आ रही है। मेरी भाजपा के प्रति पूरी सहानुभूति भी है ,और मै भाजपा के महाबली नेतृत्व से  गुजारिश करना चाहूंगा कि  पार्टी ममता बनर्जीको अपने तय समय तक बंगाल में आसानी से राज करने दे। भाजपा के लिए बेहतर है कि  वो अपनी ताकत बंगाल में ममता को अपदस्थ करने में लगाने के बजाय हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव जीतने में खर्च करे।लेकिन मुझे बचपन में कंठस्थ कराया गया वो श्लोक भी याद आता है कि  -
उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये।
 पयःपानं भुजङ्गानां केवलं विषवर्धनम् ॥
भगवान भाजपा को सद्बुद्धि दे ताकि वो बंगाल फोबिया से मुक्त होकर देश की सेवा कर सके ,अपनी बैशाखियों को सम्हाले रह सके। देश को भाजपा की बहुत जरूरत है। भाजपा नहीं होगी तो देश को हिन्दूराष्ट्र कौन बनवाएगा ?
राकेश अचल 

 
 

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