महाकुंभ पवित्र गंगा स्नान का महा-आयोजन।
वैश्विक आध्यात्मिक गुरु बनने की महत्वपूर्ण पहलl
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प्रयागराज में 144 वर्ष में आने वाले महाकुंभ के आयोजन ने यह तो सिद्ध कर दिया है की लगभग देश और विदेश के नागरिक इस महाकुंभ की पवित्र अवसर पर गंगा में स्नान करेंगे एवं पुण्य लाभ उठाने का प्रयास भी करेंगेl भारत के ही लगभग 45 से 50 करोड़ श्रद्धालु इस पुण्य महाकुंभ में गंगा के संगम में पुण्य स्नान करने का लाभ उठाने वाले हैं। विश्व में इस अनूठे आयोजन को देखने विदेश के हजारों,लाखों पर्यटक गंगा में डुबकी लगाने लगातार प्रयागराज आ रहे हैं एवं पुण्य गंगा स्नान का लाभ उठा रहे हैं।
इस महाकुंभ के गंगा स्नान एवं गंगा पूजन ने इस बात को सिद्ध कर दिया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सफल धार्मिक प्रशासक वैश्विक स्तर पर निर्विवाद नेतृत्व कर्ता के रूप में स्थापित हो चुके हैं और इस महाकुंभ के आयोजन से यह भी स्थापित कर दिया है कि भारत का सनातन वैभव और सांस्कृतिक संपदा और परंपरा विश्व में स्थापित होने जा रही है भारत वैश्विक सनातनी गुरु बनने की ओर मार्ग प्रशस्त कर चुका है इस आयोजन ने पूरे विश्व को धर्म के प्रति आस्था एवं समर्पण से अभिभूत कर दिया है अब भारत को आध्यात्मिक विश्व गुरु बनने से कोई रोक नहीं सकता है।
मनुष्य को धर्म के साथ ही कर्म की वेदी पर अपने श्रम की की आहुति देनी चाहिए, जिससे मानवीय जीवन अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। जीवन में लक्ष्य की प्राप्ति और सफलता के लिए मनुष्य को निरंतर कर्म,धर्म की प्रधानता रखकर संयम तथा मनोबल भी रखना होगा lइसके अलावा मनुष्य अपनी इच्छाओं का दास ना होकर उस पर नियंत्रण रख स्वामी बनने का प्रयास करना होगा तब सोची गई सफलता आपके सामने होगीl
कठिन तथा विषम परिस्थितियों में मनुष्य को अपने मनोबल को सदैव विनम्रता,संयम और साहस के साथ ऊंचा रखना चाहिए।अपने द्वारा की गई मेहनत पर विश्वास एवं निरंतरता रखनी होगी। तब जाकर ही जीवन में सफलता के पल आपके सामने आएंगे l निराशा, हताशा और हीन भावना को कठोर श्रम के बलबूते पर ही विजय प्राप्त की जा सकती हैl
जीवन में उतार-चढ़ाव, कठिन समय और विषम परिस्थितियां आती ही रहती हैंl संकट का समय विषम परिस्थितियां जीवन के अलग-अलग पहलू हैं ।इनसे जूझ कर जो मानव आगे बढ़ता है, वह उच्च मनोबल वाला साहसी व्यक्ति होता है। व्यक्ति के जीवन में साहस, उच्च मनोबल ही सफलता की कुंजी है। जिस भी व्यक्ति ने विषमताओं में रास्ता निकलने का साहस करके आगे बढ़ने का प्रयास किया है वही सफल हुआ है। हमेशा सफलता का मूल आत्मविश्वास, कठिन श्रम और उच्च आदर्श वाले व्यक्ति की प्रेरणा ही सफलता दिलाने वाली होती है।
मनुष्य को कभी भी किसी भी परिस्थिति में मन से हार नहीं माननी चाहिए। उसे सदैव प्रयासरत रहकर परिश्रम तथा जुझारू पन से हर परिस्थिति का सामना कर सदैव अपने लक्ष्य के प्रति अग्रसर होते रहना चाहिए। मनुष्य को अपनी हर हार, हर पराजय से कुछ ना कुछ सीख लेनी चाहिए एवं इससे अनुभव प्राप्त कर फिर से खड़ा होने एवं उस पराजित मनोदशा से छुटकारा पाकर फिर से लड़ने की ऊर्जा एवं शक्ति प्राप्त करनी चाहिए, यह सफलता का बड़ा मंत्र है।
सर्वप्रथम मनुष्य अपने मनोबल से किन्हीं भी परिस्थितियों को जीतने का साहस रखता है, इसीलिए मनोबल मनुष्य की पहली आवश्यकता है। मनोबल ही साहस को जन्म देता है और साहस, आत्मबल को और आत्मबल से ही मनुष्य किन्हीं भी परिस्थितियों से जूझना एवं टकराने की क्षमता पैदा करता है। जब मनुष्य के पास खोने के लिए कुछ ना हो तो वह निश्चिंत होकर साहस, क्षमता एवं संयम से आगे बढ़ने का प्रयास करता है, क्योंकि वह जानता है की पीछे पलट कर उसके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है, शिवाय आगे बढ़ने एवं सफलता के लिए अग्रसर होने के।
मनुष्य का मनोबल एवं दृढ़ प्रतिज्ञा ही मनुष्य को सदैव आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देते रहते हैं। मनुष्य के जीवन का एक तथ्य और भी अत्यंत महत्वपूर्ण है वह है सकारात्मक सोच, जो उसे हमेशा आगे बढ़ने की ओर उत्साहित करती रहती है। सकारात्मक सोच एवं किसी भी परिस्थिति को अपने नियंत्रण में लाने की सुनियोजित योजना मनुष्य में आशाओं को भर देती है एवं परिस्थितियों को चुनौती देने की क्षमता का विकास करती है। यह मनुष्य ही है जो हर परिस्थिति में साहस और मनोबल के दम पर उससे विजय प्राप्त करता है।
मनुष्य के जीवन और पशु के जीवन में यही फर्क है कि मनुष्य के पास सोचने के लिए मस्तिष्क होता है और वह उसके सकारात्मक उपयोग के साथ आगे बढ़ने की क्षमता रखता है। मनुष्य मुस्कुराता, हंसता और खिलखिलाता है। जबकि पशु में मुस्कुराने हंसने की क्षमता नहीं होती, और यही कारण है कि मनुष्य ने विषम परिस्थितियों पर सदैव विजय प्राप्त करने का प्रयास किया है, वह काफी हद तक सफलता पाने में सफल भी हुआ है।
मनुष्य यदि परिस्थितियों में अन्य प्रतियोगिताओं में, खेल में, या युद्ध में पराजित होकर भी प्रेरणा लेकर पुनः साहस के साथ पुनःतैयार होता है तो वह आने वाले समय में सफलता का सही हकदार भी होता है, क्योंकि उसने पूरी क्षमता, साहस ,मनोबल के साथ पराजय को स्वीकार कर के उससे कुछ सीखने का प्रयास किया है। अपनी कमियों को दूर करने की हर संभव कोशिश भी की है ।इस तरह वह अगली परीक्षा में जरूर सफल होता है और यही मानव जीवन का सफल अध्याय भी होता है।
कुल मिलाकर परिस्थितियां तथा घटनाएं ,दुर्घटनाएं मनुष्य को परिस्थितियों के सामने पराजित करने, झुकाने की कोशिश करती हैं किंतु मानव अपने शारीरिक, मानसिक, नैतिक, चारित्रिक एवं मानसिक आत्मबल से उसे सफलता में बदल देता है। अनवरत प्रयासरत व्यक्ति अपने साहस परिश्रम से हर चुनौतियों का सामना कर परिस्थितियों में विजय प्राप्त कर अपने जीवन को सफलता के शिखर पर पहुंचाता है। जीवन में कठिन परिस्थितियों से जूझ कर जो मानव सदैव सफल होता है वह पूरे समुदाय और समाज के लिए एक प्रेरणादाई व्यक्तित्व बन कर पूरे समाज एवं देश को मार्गदर्शन भी प्रदान करता है।
इसीलिए मनुष्य को किन्हीं भी परिस्थितियों में, खासकर विषम परिस्थितियों में अपने मनोबल और साहस को त्यागना नहीं चाहिए। उच्च मनोबल और साहस की ऊर्जा ही मनुष्य को नई दिशा, नए प्रकाश पुंज की ओर अग्रसर करती है।
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