सार्वजनिक शौचालय की स्थिति अति जर्जर होने के कारण वर्षों से बंद पड़ा
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उतरौला (बलरामपुर)- करोड़ों की लागत से बना आधुनिक बस स्टेशन उतरौला परिसर मे पहले से बना सार्वजनिक शौचालय की स्थिति अति जर्जर होने के कारण वर्षों से बंद पड़ा है। बस स्टेशन उतरौला के खण्डहर हो चुके भवन पर शासन द्वारा इसको आधुनिक बस स्टेशन बनाने के लिए लगभग डेढ़ करोड़ रुपए आवंटित किए थे। धन आवंटन के बाद भवन निर्माण तो पूरा हो चुका है। लेकिन बस स्टेशन उतरौला के अन्दर बने सार्वजनिक शौचालय का जीर्णोद्धार अब तक नहीं कराया गया।
जिसके चलते यात्रियों को शौचालय के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बस स्टेशन पर मात्र एक सार्वजनिक शौचालय होने से यात्रियों को मजबूरन उसका उपयोग करना पड़ता था। शौचालय भवन अति जर्जर हो जाने पिछले तीन वर्ष से बंद पड़ा है। अब यहां यात्रियों के शौच, लघुशंका व स्नान के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। जिस कारण यात्रियों को काफी असुविधा होती है। आदिल हुसैन ने बताया कि बस स्टेशन के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी एक शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया।
और न ही पुराने सुलभ शौचालय का मरम्मत करवा कर उसका पुनः संचालन ही कराया गया । विवश होकर यात्रियों को खुले में शौच व लघुशंका करना पड़ता है। सार्वजनिक शौचालय में ताला बंद रहने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर महिला यात्रियों को अनेक समस्याओं से गुजरना पड़ता है। बस स्टॉप पर अलग अलग जगहों के लिए सफर पर निकले यात्रियों को शौच या लघुशंका के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है।
प्रशासन की अनदेखी से सार्वजनिक शौचालय का मकसद बेमानी साबित हुआ है। बस स्टेशन पर शौचालय का उद्देश्य दूरदराज से अलग-अलग स्थानों के लिए बसों से सफर करने वाले यात्रियों को सुविधा देना है। लेकिन अफसरों की अनदेखी के चलते सार्वजनिक शौचालय में ताला लटक रहा है। पिछले करीब एक वर्ष से शौचालय में ताला बंद होने के चलते बस स्टॉप पर उतरने वाले यात्रियों को शौच व लघु शंका के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है। सफर पर निकले यात्री रोडवेज बसों से उतरकर लघुशंका के लिए इधर उधर भटकने को मजबूर हो गए हैं।हालांकि नगर पालिका परिषद निरीक्षण के दौरान स्थानीय लोगों ने इस समस्या को लेकर अवगत कराया था
इसके बाद भी रोडवेज विभाग समेत तहसील के अन्य अफसरों की नजर इस समस्या पर नहीं पड़ रही है। जबकि सरकार स्वच्छता अभियान को लेकर दिन रात लोगों को जागरूक करने में जुटी हुई है। लेकिन ताज्जुब है कि अफसरों की कुम्भकर्णी नींद नहीं खुल रही। बताया जाता है कि करीब दो दशक पूर्व यात्रियों को शौचालय की सुविधाएं देने की शुरुआत हुई थी। लेकिन मरम्मत के अभाव एवं लापरवाही के चलते इसमें फिर से ताला लटक गया। शौचालय अति जर्जर हो जाने से सफर करने वाले राहगीरों को काफी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है।
राम कुमार, सतीश, राहुल, पंकज, इरशाद, जावेद, आसिफ, सुहेल,आरिफ आदि का कहना है कि मरम्मत के अभाव में सार्वजनिक शौचालय बंद हो गया। कई बार मांग के बावजूद भी इसका मरम्मत करवाकर नहीं खोला जा रहा हैं। नगर क्षेत्र के अनेक समाजसेवियों ने इस बाबत कई बार अधिकारियों से लिखित शिकायत भी किया। लेकिन अधिकारी सार्वजनिक शौचालय का मरम्मत करवा कर इसे पुनः खुलवाने का नाम नहीं ले रहे हैं।
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