हिंदी को उदारवादी भाषा बनाना अति आवश्यक प्रवीण अग्रहरि

हिंदी को उदारवादी भाषा बनाना अति आवश्यक प्रवीण अग्रहरि

बुंदेलखंड नवोदय महाविद्यालय श्रीनगर में मनाया गया हिंदी दिवस 


स्वतंत्र प्रभात 

महोबा 

 आज बुंदेलखंड नवोदय महाविद्यालय श्रीनगर महोबा में हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर ऑनलाइन लाइव माध्यम से जुड़कर प्रवीण अग्रहरि तीखर के संपादक द्वारा हिंदी दिवस पर विचार प्रस्तुत किये गए।उन्होंने हिंदी के विषय में कहा कि हिंदी को उदारवादी भाषा बनना चाहिए, जो कि कई भाषाओं को समाहित किए हुए हैं, बच्चों को भी बताया गया की हम अपने हिंदी भाषी रहन- सहन को दूसरों के सामने प्रस्तुत करने से हिचकिचाय नहीं हम जैसा रहते हैं,

खाते हैं, पहनते हैं वैसा रहने में हमें कोई कमी महसूस नहीं करनी चाहिए, महाविद्यालय के प्राचार्य विश्वनाथ ने मुख्य वक्ता प्रवीण अग्रहरि का धन्यवाद व्यक्त किया और कहा कि हिन्दी को आज हम बोलते-सुनते-पढ़ते हैं, वो 3400 साल में बनी है। 1500 ईसा पूर्व में हिन्दी की मां कही जाने वाली संस्कृत की शुरुआत हुई थी। 1900 ईसवी में हिन्दी खड़ी बोली में लिखना-पढ़ना शुरू किया गया। आशीष मिश्रा प्रवक्ता ने कहा अंग्रेजी, स्पेनिश और मंदारिन के बाद हिंदी दुनिया में चौथी सबसे

अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी दिवस पर हर साल, भारत के राष्ट्रपति भाषा के प्रति योगदान के लिए लोगों को राजभाषा पुरस्कार से सम्मानित करते हैं। भारत में हिंदी भाषा का इतिहास इंडो-यूरोपियन भाषा परिवार के इंडो-आर्यन शाखा से है। छात्रा अर्पणा, कीर्ति ने अपने विचार प्रस्तुत किए और कार्यक्रम का संचालन छात्रा आकांक्षा विश्वकर्मा ने किया। कार्यक्रम में , पूजा यादव, सुरेंद्र तिवारी , राजकुमार पांचाल, विनय सिंह , मनोज कुमार नामदेव उपस्थित रहे ।

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